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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Fri ,09 Jun 2017 07:06:41 pm |
समाचार नाऊ ब्यूरो - ब्रिटेन में आम चुनावों में वोटिंग के बाद शुक्रवार को वोटों की गिनती जारी है। गुरुवार को संसद की कुल 650 सीटों के लिए वोट डाले गए थे। अब तक 646 सीटों के नतीजे सामने आ चुके हैं। पीएम थोरेसा मे की लीडरशिप वाली कंजरवेटिव पार्टी 315 सीटें जीतकर सबसे आगे है। उसे 12 सीटों का नुकसान होता दिख रहा है। जबकि मुख्य विपक्षी दल लेबर पार्टी 261 सीटें जीतकर दूसरे नंबर पर है। सरकार बनाने के लिए 326 सीटें (बहुमत का आंकड़ा) जीतना जरूरी है। किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिलने से हंग पार्लियामेंट होना तय है। माना जा रहा है कि ब्रेग्जिट की सपोर्टर थेरेसा को तीन साल पहले चुनाव कराना भारी पड़ गया
रेसा मे ने साउथ-ईस्ट इंग्लैंड की मेडेनहेड सीट 37,780 वोटों से जीत ली है। बीबीसी के मुताबिक बहुमत नहीं मिलने के बावजूद थेरेसा मे को सरकार बनाने का यकीन है। उन्होंने क्वीन एलिजाबेथ से इसकी इजाजत लेने के लिए बकिंघम पैलेस में उनसे मुलाकात करने का फैसला किया है।
- इस बीच, लेबर पार्टी लीडर और संसद में विपक्ष के नेता जेरेमी कॉर्बिन ने कहा है, "चुनाव हारने के बाद पीएम थेरेसा मे को पद छोड़ देना चाहिए।"
- ब्रिटिश मीडिया के मुताबिक, थेरेसा ने पीएम पोस्ट से इस्तीफा देने से फिलहाल इनकार कर दिया है और कहा है कि उनकी पार्टी सरकार बनाने की पूरी कोशिश करेगी।
- वहीं, रॉयटर्स के मुताबिक लेबर पार्टी ने कहा है कि वह माइनॉरिटी गवर्नमेंट बनाने की कोशिश करेगी।
650 में से अब तक 646 सीटों के नतीजे घोषित
पार्टी | सीटें | पिछली बार से बदलाव |
कंजरवेटिव | 315 | -12 |
लेबर | 261 | +31 |
लिबरल डेमोक्रेट्स | 12 | +3 |
एसएनपी | 35 | -19 |
ब्रिटेन को मिली पहली महिला सिख सांसद
- ब्रिटेन को पहली महिला सिख सांसद मिल गई है। भारतीय मूल की लेबर पार्टी कैंडिडेट प्रीत कौर गिल ने बर्मिंघम एजबेस्टन सीट 24,124 वोटों से जीत ली है।
- इसके अलावा, तनमनजीत सिंह धेसी ने स्लॉघ सीट 34,170 वोटों से जीती है। ये लेबर पार्टी के पहले पगड़ी वाले सिख सांसद हैं।
Q. भारत के लिए ये चुनाव अहम क्यों?
A. इस चुनाव के नतीजों का भारत-ब्रिटेन संबंधों पर बड़ा असर होगा, क्योंकि भारत ब्रिटेन का अहम ट्रेड पार्टनर है। अगर ब्रिटेन यूरोपीय यूनियन के कस्टम यूनियन में बना रहता है तो भारत को ब्रिटेन के बजाए यूरोपीय यूनियन से डील करनी पड़ेगी।
- थेरेसा मे यूरोपीय कस्टम यूनियन से भी अलग होने के लिए कमिटेड हैं।
- ब्रिटेन कारों पर इम्पोर्ट ड्यूटी कम करने के साथ ही फाइनेंशियल सर्विसेस और लॉ फर्मों के भारत में एंट्री की मांग कर सकता है। ब्रिटेन अगर ईयू से बाहर होता है तो उसका ईयू से ट्रेड कम हो जाएगा। इस नुकसान की भरपाई के लिए ब्रिटेन भारत से ट्रेड बढ़ा सकता है
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