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By समाचार नाउ ब्यूरो | Publish Date: Wed ,19 Aug 2020 10:08:18 pm |
पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विधानसभा चुनाव के पहले सीएम नीतीश कुमार ने एक मास्टर स्ट्रोक खेला. उन्होंने नियोजित शिक्षकों के लिए नई सेवा शर्त लागू कर दिया. इस स्ट्रोक को रोकने के लिए विपक्ष के पास कोई सधा क्षेत्ररक्षण दिखाई नहीं दे रहा है.
मंगलवार को बिहार कैबिनेट ने कक्षा 1 से 12 वर्ग के लिए 4 लाख से अधिक पंचायत राज संस्थओं और नगर निकायों के शिक्षकों के लिए सेवा नियमों को मंजूरी दे दी. उन्हें अब सरकारी शिक्षकों की तरह कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ) योजना और अंतर-जिला स्थानांतरण का लाभ मिलेगा. अब नियोजित शिक्षकों को सिर्फ शिक्षक कहा जाएगा और वे कहीं भी ट्रांसफर ले सकते हैं.
2020 सितंबर से मिलेगा ईपीएफ का लाभ
इसके अनुसार, शिक्षकों को कर्मचारी भविष्य निधि (ईपीएफ ) का लाभ सितंबर, 2020 से ही दिया जाएगा. वहीं इन शिक्षकों के मूल वेतन में 15 प्रतिशत की वृद्धि की गई है, जिसका लाभ एक अप्रैल, 2021 से मिलेगा. ऐसे में कहा जा रहा है नीतीश सरकार ने चुनावी घोषणा की है.
लंबे समय से थी 'समान काम-समान वेतन की मांग'
इस साल चुनाव में इन नियोजित शिक्षकों के परिवारों का साथ मिल गया तो ठीक है, वरना इनके वेतन वृद्धि के लिए आने वाली सरकार के लिए 'सिरदर्द' होगा. वैसे, शिक्षक संघ सरकार के इस फैसले से ज्यादा खुश नहीं दिख रहे हैं. इसे विधानसभा चुनावों से पहले एक राजनीतिक 'चाल' के रूप में देखा जा रहा है, कहा जा रहा है कि शिक्षकों के 'समान काम के बदले समान वेतन' की लंबे समय से लंबित मांग को भी स्वीकार नहीं किया गया है.
इतना ही नहीं, अगर सीएम नीतीश कुमार की सरकार एक और बार आती है तो वो अपने वादों को पूरा करेंगे लेकिन अगर विपक्ष की सरकार आती है तो नीतीश कुमार उनके लिए 2765 करोड़ का अतिरिक्त बोझ छोड़ कर जाएंगे.
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