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40 वर्षीय जिन्ना 14 साल की लड़की के प्यार में हो गए थे दीवाने
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समाचार नाउ ब्यूरो | Publish Date:14:00:48 PM / Sat, Dec 26th, 2015 | Updated Date:normal
राजकोट। पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के जन्म को लेकर विरोधाभास है। कुछ का कहना है कि उनका जन्म कराची में 20 अक्टूबर 1876 को हुआ। जबकि सरोजिनी नायडू द्वारा जिन्ना की जीवनी पर लिखी किताब के मुताबिक, उनका जन्म 25 दिसंबर 1876 को हुआ। जिन्ना अपनी उम्र से लगभग आधी उम्र की मरियम उर्फ रूटी उर्फ रतन के दीवाने थे, जिसके बाद में उन्होंने प्रेम विवाह किया था।
जिन्ना ने मुंबई की यूनिवर्सिटी से मैट्रिक की थी। वे मात्र 19 साल की उम्र में ही वकील बन गए थे। जिन्ना बचपन से ही बहुत तेज दिमाग के थे। इसी के चलते राजद्रोह के आरोप का सामना कर रहे बाल गंगाधर तिलक ने 1905 में जिन्ना को ही अपना वकील बनाया था। हालांकि, जिन्ना यह केस जीत नहीं सके थे और तिलक को सश्रम कारावास की सजा हो गई थी।
जिन्ना मूल रूप से गुजराती हैं। उनके पिता जिन्नाभाई पुंजा का जन्म गुजरात, कठियावाड के पनेली गांव में हुआ था। पुंजा एक प्रसिद्ध व्यापारी थे और जिन्ना के जन्म से पहले सिंध (अब पाकिस्तान) में जाकर बस गए थे। पाकिस्तान की स्थापना के बाद जिन्ना पाकिस्तान के पहले गर्वनर जनरल बने। टीवी की बीमारी से ग्रसित जिन्ना ने कराची में 11 सितंबर 1948 को रात के लगभग साढ़े दस बजे दुनिया से विदा ली।
जिन्ना ने अपनी उम्र से लगभग आधी उम्र की मरियम उर्फ रूटी उर्फ रतन से प्रेम विवाह किया था। अलग पाकिस्तान का सपना साकार करके दुनिया भर में मशहूर हुए जिन्ना का कद इतना ऊंचा था कि रूटी के साथ उनका रोमांचक प्रेम प्रकरण इतिहास के पन्नों में हाशिए पर चला गया।
जिन्ना की पहली शादी महज 14 साल में
पाकिस्तान के कराची शहर में 25 दिसंबर 1876 को जन्मे जिन्ना की मात्र 14 वर्ष की उम्र में ही एमीबाई नामक लड़की से शादी हो गई थी। 17 वर्ष की उम्र में ही वे बैरिस्टर की पढ़ाई के लिए लंदन चले गए थे। सन् 1896 में जिन्ना मुंबई पहुंचते, उससे पहले ही एमीबाई का निधन हो गया था।
बैरिस्टर के रूप में जिन्ना अपने शाम का समय मुंबई के ‘ओरिएंटल क्लब’ में बिताया करते करता था। बिलियर्ड और चेस के शौकीन जिन्ना की क्लब में आने वाले अनेक लोगों से दोस्ती थी। इसमें मुंबई के नामी उद्योगपति सर दिनशा पिटीट का नाम भी शामिल था। जिन्ना अक्सर दिनशा के बंगले में आयोजित होने वाली पार्टियों में भी शरीक हुआ करते थे। कभी-कभी तो वे बंगले पर दिनशा के साथ शतरंज खेलते हुए भी नजर आ जाते थे। जिन्ना और दिनशा के बीच अच्छी दोस्ती थी।
दार्जिलिंग में हुई रूटी से मुलाकात
इसी बीच एक बार दिनशा ने मुंबई की गर्मी से राहत पाने के लिए दार्जिलिंग में छुट्टियां बिताने का प्रोग्राम बनाया। दिनशा ने जिन्ना को भी आमंत्रित किया और फिर दिनशा के परिवार के साथ जिन्ना भी दार्जिलिंग जा पहुंचे। यह 1916 का वर्ष था, जो जिन्ना की जिंदगी में नई सुबह लाने वाला था।
दार्जिलिंग में ही जिन्ना की मुलाकात दिनशा की 14 वर्षीय बेटी रतनबाई उर्फ रूटी से मुलाकात हुई। हालांकि, इससे पहले रूटी, जिन्ना को कई बार देख चुकी थीं। वर्षो पूर्व विधुर हो चुके जिन्ना का दिल रूटी पर आ गया।
रूटी के साथ 1919 में किया निकाह
20 फरवरी 1900 को जन्मी रूटी 1919 में 19 साल की हो गईं। जिन्ना ने रूटी के साथ 19 अप्रैल, 1919 को शुक्रवार के दिन निकाह कर लिया। रूटी को हासिल करने के लिए जिन्ना ने धर्म का ही सहारा लिया। इसके तहत उन्होंने रूटी का धर्म परिवर्तन करवा दिया। अब रूटी ‘मरियमबाई’ बन चुकी थी। इस समय जिन्ना मुस्लिम सीट से चुने गए थे और वे मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व करते थे। इसलिए अगर वे ‘सिविल मैरिज’ करते तो उन्हें अपना पद खोना पड़ जाता।
रूटी की अंतिम इच्छा थी कि शव का दाह संस्कार हो
रूटी की अंतिम इच्छा थी कि उनके शव को दफनाया न जाए, बल्कि ‘दाह-संस्कार’ किया जाए। उन्होंने अपनी यह अंतिम इच्छा पारिवारिक मित्र कानजी द्वारकादास को बताई थी। कानजी ने यह बात जिन्ना को बताई। लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते जिन्ना ऐसा नहीं कर सके और ईश्ना असरी कब्रस्तान में रूटी को दफना दिया गया। यानी की रूटी की दफन विधि के पीछे भी राजनीति का ही अहम रोल रहा।
जिन्ना की पत्नी रूटी ने 20 फरवरी को जन्म लिया था और दुनिया से विदाई भी इसी दिन ली। रूटी ने प्रेम भी देखा और उसके दर्द को भी भोगा। अपनी उम्र से दोगुने उम्र के विधुर व्यक्ति से शादी की। लेकिन जिसे इतना चाहा, वह उसकी आखिरी इच्छा तक पूरी नहीं कर सका। जब तक रूटी जीवित रही, उसकी मर्जी के आगे किसी की न चल सकी थी, क्योंकि रूटी तो आखिर रूटी ही थी।
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