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गुरमेहर के पक्ष में उतरी मां,पाक पर टिप्पणी की बताई वजह

By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Fri ,03 Mar 2017 05:03:42 pm |


जालंधरः दिल्ली विश्वविद्यालय के लेडी श्रीराम कॉलेज में पढ़ने वाली शहीद फौजी अफसर मनदीप सिंह की बेटी गुरमेहर कौर को लेकर सियासत तेज होती जा रही है। गुरमेहर के वीडियो संदेश 'पाकिस्तान ने मेरे पिता को नहीं मारा, जंग ने मारा' पर देश में माहौल गर्म है। इस मामले में बेटी के समर्थन में मां राजविंदर कौर फिर सामने आई है। उन्‍होंने कहा, बेटी को मैंने ही बताया कि उसके पिता को युद्ध ने मारा।

राजविंदर का कहना है कि 'पाकिस्तान ने मेरे पिता को नहीं मारा, जंग ने मारा' के एक लाइन से उसने युद्ध के खिलाफ अपनी भावना व्‍यक्‍त की। उसका मकसद एक खास घटना का हवाला देकर अपनी बात कहना था। छोटी होने पर उसके अंदर नफरत थी। तब उसे मैंने समझाया था कि पाकिस्तान ने उसके पिता को नहीं बल्कि जंग ने मारा था।

राजविंदर ने कहा, गुरमेहर यही बताना चाहती थी कि युद्ध क्या है। युद्ध विनाश है, ऐसी स्थिति जिसमें लोग आपस में लड़ते हैं, देश आपस में लड़ते हैं। मैं अपनी बेटी के मन में पड़ोसी देश की ऐसी छवि नहीं बनने देना चाहती थी जो उसमें जहर भरे या भविष्य में शांति के मौके को अवसर देने के लिए तैयार न हो। 


राजविंदर कौर कहती हैं कि संस्कारी बच्चे की कामना करते हुए गुरमेहर के जन्म से पूर्व परिवार ने दिल्ली स्थित बंगला साहिब गुरुद्वारा में अरदास की थी। हम दोनों पति-पत्नी के लिए गुरमेहर अनमोल थी। गुरमेहर ने एक साल की उम्र से ही बोलना शुरू कर दिया था। उन दिनों गुरमेहर के पिता कुपवाड़ा में तैनात थे। गुरमेहर दो साल की होगी जब उसके पिता फोन पर बात करते थे तो वह वंदेमातरम् कहती थी।

गुरमेहर की परवरिश के दौरान मुश्किलों का सामना करने के सवाल पर राजविंदर कौर कहती हैं कि गुरमेहर के पिता के शहीद होने के बाद छोटी सी बच्ची को ये समझाना बहुत मुश्किल था कि उसके पापा इस दुनिया में नहीं रहे। उसके पापा जब भी घर आते थे तो उससे बहुत लाड-प्यार करते थे, इसलिए वह उनको ज्यादा मिस करती थी। अक्सर पूछती थी कि मम्मा, मेरे पापा कब आएंगे।

उन्‍होंने कहा, उन दिनों सीरियल आता था-क्योंकि सास भी कभी बहू थी। उसमें मिहिर नाम के पात्र की मौत हो जाती है. लेकिन सीरियल में दिखाया गया था कि मिहिर कुछ महीने बाद लौट आता है। ये देखकर गुरमेहर ने कहना शुरू कर दिया कि मेरे पापा भी वापस आएंगे। ये वह समय था जब मैंने सख्त लहजे में गुरमेहर को समझाया कि पापा कभी वापस नहीं आएंगे, वह शहीद हो गए हैं। एक मां के लिए छोटी बच्ची को मौत के बारे में समझाना किसी चुनौती से कम नहीं था।

राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय खिलाडिय़ों द्वारा गुरमेहर पर निशाना साधने के सवाल पर राजविंदर कौर कहती है कि गुरमेहर खुद भी टेनिस खिलाड़ी है। वह अच्छी तरह समझती है कि टेनिस प्लेयर एक-दूसरे के साथ कैसे हमेशा मजाक करते हैं। मैं इसे बुरा नहीं मानती। सहवाग सीनियर क्रिकेटर हैं, साथ ही इस देश का गौरव हैं। मैं फोगाट बहनों का भी सम्मान करती हूं, वे महिला शक्ति की प्रतीक हैं। मेरी खुद भी दो बेटियां हैं, उन्होंने जो कहा वह देश के लिए अपने प्रेम की वजह से कहा। उन्होंने समझा कि गुरमेहर की अभिव्यक्ति शायद कुछ अलग है।



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