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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Fri ,17 Mar 2017 05:03:20 pm |
समाचार नाऊ ब्यूरो - बल्ले के बाद अपनी राजनीतिक दलीलों से फैंस के दिलों पर राज करने वाले नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब की जान हैं। इस साल के पंजाब विधानसभा चुनावों में उन्होंने पंजाब के हित के लिए बीजेपी का दामन छोड़कर कांग्रेस का हाथ थामा। सिद्धू ने चंडीगढ़ में गुरुवार को कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली है। आर्इए, एक नजर सिद्धू के अब तक के सफर पर-
टैलीविजन का पर्दा हो या फिर राजनीति का मंच सिद्धू की जुबान बेहद सधे अंदाज में जब शब्दों के तीर बरसाती रही है तो सुनने वालों की हंसी छूट ही जाती है। यही वजह है कि आज नवजोत सिंह सिद्धू एक शानदार वक्ता के तौर पर देश भर में मशहूर हो चुके हैं, लेकिन सिद्धू की पहचान सिर्फ यही नहीं है। क्रिकेट के मैदान से लेकर टैलीविजन के पर्दें तक उन्होनें कामयाबी की एक लंबी पारी खेली है। सिद्धू की कहानी में जहां जीत और हार के रंग है तो वहीं जेल की जिंदगी का अंधेरा भी शामिल हैं और इसीलिए अपनी बातों और ठहाकों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देने वाले सिद्धू की जिंदगी की तस्वीर परदे की इस तस्वीर से जुदा रही है।
सिद्धू बीजेपी के स्टार प्रचारक माने जाते थे और यही वजह है कि चुनावी मौसम में वह भारी डिमांड में बने रहते थे। 2014 के आम चुनाव में बीजेपी ने उनका टिकट काट दिया था। बावजूद इसके नवजोत सिंह सिद्धू छत्तीसगढ़ और जम्मू –कश्मीर के चुनाव में भी बीजेपी का एक अहम चेहरा बने रहे । लेकिन पंजाब चुनाव में अकाली दल का साथ न छोड़ने के कारण बीजेपी का साथ छो़ड दिया था।
पटियाला में 20 अक्टूबर 1963 को एक एक जाट सिख परिवार में नवजोत सिंह सिद्धू का जन्म हुआ था।पटियाला की गलियों में पले – बढे सिद्धू ने यहां मैदानों पर ही क्रिकेट के बुनियादी सबक सीखे थे। स्कूल के दिनो में वह पटियाला के यदविंद्रा पब्लिक स्कूल और बारादरी गार्डन में घंटों क्रिकेट का अभ्यास किया करते थे और यही वजह थी कि क्रिकेट को किसी जुनून की तरह जीने वाले सिद्धू के खेल के चर्चे उनके स्कूल के दिनों में ही होने लगे थे।
सिद्धू ने अपने क्रिकेट करियर की शुरुवात की और जल्द ही वह पंजाब रणजी टीम से भी खेलने लगे थे। घरेलू क्रिकेट में जगह बनाने के बाद सिद्धू को पहली बार अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में हाथ आजमाने का मौका उस वक्त मिला जब 1983-84 में वेस्टइंडीज के खिलाफ उन्हें टीम इंडिया में शामिल किया गया. लेकिन अपने पहले टेस्ट मैच में सिद्धू महज 19 रन पर ही आउट हो गए।1987 के क्रिकेट वर्ल्ड कप में नवजोत सिंह सिद्धू ने 5 मैचों में 4 अर्ध शतक जमाए थे। जनवरी 1999 में अपना आखिरी टेस्ट खेलने वाले सिद्धू के खाते में 51 टेस्ट और 136 वनडे दर्ज है. सिद्धू ने वनडे में 6 शतक और 33 अर्धशतक जड़ते हुए 37 की औसत से 4413 रन बनाए हैं। उन्होंने घरेलू क्रिकेट में भी दमदार प्रदर्शन किया और पंजाब रणजी टीम की कप्तानी भी की थी।
बीजेपी ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी करके नवजोत सिंह सिद्दू को अमृतसर से अपना उम्मीदवार बनाया था और इसी के बाद से सिद्धू ने पटियाला को छोड़ कर अमृतसर को ही अपना परमानेंट ठिकाना बना लिया है।राजनीति के मैदान में भी सिद्धू ने अपने चुटीले भाषणों के जरिए अपनी एक अलग पहचान बनाई लेकिन सिद्धू की राजनीतिक यात्रा अभी शुरु ही हुई थी कि साल 2006 में उन्हें उस वक्त बड़ा झटका लगा जब हरियाणा और पंजाब हाईकोर्ट ने हत्या के एक केस में उन्हें सजा सुना दी.। दरअसल ये पूरा मामला साल 1988 का है जब पटियाला में गुरुनाम सिंह नाम के शख्स के साथ सिद्धू का झगड़ा हुआ था।
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