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लीची किसान रहे सावधान
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समाचर नाउ ब्यूरो | Publish Date:19:10:46 PM / Fri, Mar 13th, 2015 | Updated Date:important
लीची की फसल पर माईट कीट keके लगने पर कीट का प्रबंधन आवश्यक है ताकि फसल के नुकसान को रोका जा सके । वयस्क तथा शिशु कीट, पत्तियों की निचली भाग पर रहकर, रस चूसते है, जिसके कारण पत्तियाँ भूरे रग के मखमल की तरह हो जाती है तथा सिकुड कर अंत में सूख जाती है। इसे ‘‘इरिनियम’’ के नाम से जाना जाता है। ये कीट मार्च से जुलाई तक काफी सकि्रय रहते हैं। इससे बचाव के लिए माईट से ग्रसित पत्तियों, टहनियों को काटकर जला देना चाहिए, माईट से आक्रान्त नया पौधा नहीं लगाना चाहिए तथा कीट के आक्रमण होने पर सल्फर 80 घु0 चू0 का 3 ग्राम या इथियान 50 ई0सी0 या डायकोफाॅल 18.5 ई0सी0 का 2 मि0ली0 या प्रोपरजाईट 57 ई0सी0 या फ़ोनप्रौक्सिमेंट 5 ई0सी0 का एक मि0ली0 प्रति लिटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करने से रोग को रोका जा सकता है
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