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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date:18:58:45 PM / Sun, Aug 14th, 2016 | Updated Date: Fri ,10 Feb 2017 11:02:11 am
जेपी व्यक्ति हैं या विचारधारा बडा विवाद इस विषय को लेकर होता है जब सियासत दलित जाति के जमीन को पकडने लगती है जेपी के इतिहास को लेकर बिहार में एक बार फिर से बंवंडर उठ खडा हुआ है इसके मायने क्या है
कर्पुरी और जेपी से बिहार का नाता सांसों की उस डोर जैसा है कि जरा भी तलविचल हो तो जिंदगी खत्म.... लगाव को कुछ इसी तरह का है लेकिन विभेद बडा है राजनीति को पूजा माना गया तो जेपी जयकारे में हो गए और सियासत कुर्सी की हो तो जेपी जो सहे उसमे ंभी विवादित हो गए सवाल इसलिए उठा है जेपी के साथ जो हुआ उसमें कांग्रेस कितनी जिम्म्मेदार रही उसपर सवाल उठा कांग्रस जन नाराज हो गए
जेपी बिहार का विषय नहंी विचारधारा और राजनीतिक की घुरी भी लालू हो या नीतीश, रामविलास हों या फिर समजावादी नेता सभी को जेपी मान्य थे लेकिन जेपी के साथ हो हुआ उसे लिखा गया तो कांग्रेस को बुरा क्य ूंलग रहा हे बडा सवाल यह है कि जेपी ने जिस आंदोलन को चलाया था और उसके तरह से दबाया गया उसके पीछे की मंसा क्या थी 2015 के विधान सभा चुनावों में जेपी को भजाने में कोई कोर कसर नहीं छोडी गयी भाजपा के लोगों ने भी जेपी के आदर्ष पर चलेन का पूरा संकल्प लिया. बिहार में राजनीतिक विकल्प की डगर पर चल रही भाजपा को यह लग रहा था कि उसे सत्ता मिल सकती है अगर जेपी और कर्पुरी को आत्म साथ किया जाय यही बजह है 24 जनवरी 2015 को जेपी के चरखा समिती जाकर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमितशाह ने बिहार के मानस पटल पर यह रखेने की कोशिश भी की थी कांग्रेस के साथ गठजोड कर लालू नीतीश यह बता रहे हैं कि जेपी सिर्फ उनके लिए राजनति के लिए बाजार के उत्पाद थे.... बीेजेपी आज भी इसे काफी मजबूती से कह रही ै कि जेपी को सिर्फ राजनीतिक फयादे के लिए उपयोग किया गया
जेपी के साथ जो हुआ वह किताबों में लिखा गया है तो जनता जानती है.... लेकिन आज जिस बात को बताने की कोशिरूा हो रही है उसके स्वरूप बडे राजनीतिक विभेद के साथ है..... इंदिरा को सही कहने वाली कांग्रेस अगर लेख को बदलने का दबाव बनाती है कि जेपी के उन सपूतो का क्या होगा जो जनता के बीच यह कर सत्ता पर काबिज होते हैं कि उनके पदचिन्हों पर चलकर बिहार में पूर्ण स्वराज और विकास की गंगा बहाऐंगे... साथ ही यह भी अगर इतिहास से आज प्रभावित होगा तो उसमें सुधार किया जाएगा मामला सत्ता चलाने का है
जेपी की विचारधार का अंजाम चाहे जोे हुआ हो इसकी शिकायत अगर किसी को होगी तो सिर्फ जेपी को लेकिन उनके साथ जो हुआ उसकी शिकायत जेपी के हर मानने वालेे को है... सियासत इस मामले पर कितना बदलती है या फिर सत्ता के लिए जेपी के मायने कितने बदले जाऐंगे आने वाला वक्त ही बताऐगा
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