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बेटी पढ़ाओ देश बनाओ - नाज है इन बेटियो पर

By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date:17:16:18 PM / Fri, Mar 13th, 2015 | Updated Date:important


र्थिक तंगी के बावजूद पिता ने चार बेटियों को शिक्षित करने का संकल्प लिया। 21वीं सदी में भी बेटे-बेटियों में फर्क करने वाले समाज में एक मिसाल कायम करते हुए रविशंकर गुप्ता ने अपनी बेटियों को पढ़ाया और बेटियां भी बेमिसाल साबित हुईं। बिहटा के एक गरीब पिता की ये तीन बेटियां अपने अथक परिश्रम के बल पर अलग-अलग सुरक्षा बलों में दारोगा बनी हैं। इनकी सफलता से मां-बाप तो गदगद हैं ही, पूरे क्षेत्र की बच्चियों व उनके पिता के लिए ये प्रेरणास्रोत भी बन गई हैं। अपनी बेटियों की सफलता से खुश पिता ने तो यहां तक कह डाला कि ऐसी बेटी हो तो बेटे की क्या जरूरत है? चौथी बेटी पटना में बीए में पढ़ रही है। रविशंकर गुप्ता मूलत: भोजपुर जिले के कोइलवर प्रखंड के चिकबाजार के रहने वाले हैं। वैजयंती देवी से शादी के बाद उन्हें चार बेटियां रवि रंजना, रवि किरण, रवि रोशनी और रवि रश्मि हुईं तो उन्होंने अपना आशियाना बिहटा में बना लिया। इनकी परवरिश एक बड़ी चुनौती थी। इतनी आमदनी नहीं होती थी कि वो बेटियों को बेहतर ढंग से पढ़ा सकें, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। बेटियों को बेहतर शिक्षा देने का संकल्प लिया और आर्थिक तंगी के बावजूद उन्हें पढ़ाया। बेटियों ने भी अपने पिता के संघर्ष और संकल्प का मान रखा और तन्मय होकर पढ़ाई की। उनकी बेटियों ने ऐसा कर दिखाया कि उसे सुनकर किसी पिता का सीना चौड़ा हो जाए। बिहार पुलिस में एसआई बड़ी बेटी रवि रंजना कहती हैं कि उन्हें संघर्ष तो काफी करना पड़ा, लेकिन मां की हिम्मत ने हर मुश्किल को आसान बना दिया। सीआईएसएफ में एसआई बनीं रवि किरण ने बताया कि उन्होंने पिता के मान को आगे बढ़ाने के लिए परेशानियों का डटकर सामना किया इसलिए सफलता आज हमारे पक्ष में है। ऐसा ही कहना है आरपीएफ में एसआई बनीं रवि रोशनी का। रोशनी कहती हैं कि बेटियां ठान लें तो कुछ भी मुश्किल नहीं है। सबसे छोटी रश्मि फिलहाल बीए पर ध्यान दे रही हैं।


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