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हनुमान के बारह नाम

By समाचार नाउ ब्यूरो | Publish Date:18:01:02 PM / Thu, Dec 24th, 2015 |


भगवान शिव के ग्यारहवें रुद्र के रूप में हनुमानजी आज भी मौजूद हैं। अणिमा, लघिमा, महिमा, गरिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईिषत्व और वशित्व रूपी अष्टसिद्धियां उन्हें प्राप्त थीं। जब तक राम कथा संसार में प्रचलित है, तब तक हनुमानजी विद्यमान हैं। हनुमत् पुराण में हनुमानजी का नाम सुंदर बताया गया है। बाल्मीकि रामायण और तुलसी कृत रामचरितमानस में हनुमान जी की लीलाओं का गान सुंदर कांड में संभवत: इसीलिए किया गया है। वैसे तो हनुमान जी के बहुत से नाम हैं, पर उनमें से 12 नाम- हनुमान, अंजनी सुत, वायु पुत्र, महाबल, रामेष्ठ, फाल्गुण सखा, पिंगाक्ष, अमित विक्रम, उदधिक्रमण, सीता शोक विनाशन, लक्ष्मण प्राणदाता, दशग्रीव दर्पहा- प्रमुख हैं। हनुमान् अंजनीसुत: वायुपुत्र: महाबल:/ रामेष्ट: फाल्गुनसख: पिंगाक्ष: अतिविक्रम:। उदधिक्रमण: चैव सीताशोकविनाशन:/ लक्ष्मण-प्राणदाता च दशग्रीवस्यदर्पहा॥ इस मंत्र से प्रसन्न होते हैं हनुमान अतुलित बलधामं, हेमशैलाभदेहं। दनुजवनशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्। सकलगुण निधानं, वानराणामधीशं। रघुपतिप्रिय भक्तं, वातजातं नमामि॥ अर्थात् अतुल बल के धाम, सोने के पर्वत (सुमेरु) के समान कांतियुक्त शरीर वाले, दैत्य रूपी वन (को ध्वंस करने) के लिए अग्नि रूप, ज्ञानियों में अग्रगण्य, संपूर्ण गुणों के निधान, वानरों के स्वामी, श्री रघुनाथ जी के प्रिय भक्त पवनपुत्र श्री हनुमानजी को मैं प्रणाम करता हूं। यहां मिलेगी कष्ट से मुक्ति भारत में हनुमानजी के अनेक भव्य मंदिर हैं। लेकिन मध्यप्रदेश के सतना जिले में स्थित विश्वप्रसिद्ध चित्रकूट धाम का हनुमान धारा मंदिर पौराणिकता का भव्य नजारा प्रस्तुत करता है। साथ ही यह भी बताता है कि श्रीराम की कृपा भक्तशिरोमणि हनुमान जी पर कितनी थी। कहते हैं कि प्रभु श्रीराम को जब हनुमान जी ने कहा- हे प्रभु, लंका को जलाने के पश्चात मेरे शरीर में तीव्र अग्नि से उत्पन्न ताप मुझे बहुत कष्ट दे रहा है। कृपया मेरा संकट दूर करें। तब श्रीराम ने मुस्कराते हुए कहा- आप चित्रकूट पर्वत पर जाएं। वहां आपके शरीर पर अमृत तुल्य शीतल जलधारा के लगातार गिरने से आपको इस कष्ट से मुक्ति मिल जाएगी। आज भी वहां हनुमानजी की बायीं भुजा पर लगातार जल गिरता नजर आता है। वहां विराजे हनुमानजी को देखने से ऐसा लगता है, मानो वे हमें देख कर मुस्करा रहे हैं।


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