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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Tue ,07 Mar 2017 06:03:28 pm |
समाचार नाऊ ब्यूरो - कल 8 मार्च को फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की तिथि है, जिसे आमलकी एकादशी नाम से जाना जाता है। आमलकी का शाब्दिक अर्थ है आंवला, यानि ये एकादशी उतनी ही महत्वपूर्ण है जितनी अक्षय नवमी। जैसे अक्षय नवमी पर आंवला पूजन अक्षय पुण्यों का भागी बनाता है, उसी प्रकार आमलकी एकादशी पर भी आंवले के वृक्ष के नीचे श्री हरि विष्णु की पूजा करने से पुण्य प्राप्त होते हैं। आमलकी एकादशी के दिन आंवला वृक्ष को छूने से दुगुना व इसके सेवन से तिगुना पुण्य मिलता है। आंवला वृक्ष के मूल भाग में विष्णु, ऊपर ब्रह्मा, तने में रुद्र, शाखाओं में मुनिगण, टहनियों में देवता, पत्तों में वसु, फूलों में मरुदगण और फलों में समस्त प्रजापति वास करते हैं। यदि आपके आस-पास कहीं भी आंवले का वृक्ष न हो तो आंवले के फल श्रीराधाकृष्ण मंदिर अथवा विष्णुलक्ष्मी मंदिर में अर्पित करें। इस दिन किया गया व्रत-उपवास स्वर्ग का अधिकारी बनाता है और मोक्ष प्राप्ति का साधन बनता है।
अमालकी एकादशी के दिन सुबह नहाने के पानी में आंवले का रस मिलाकर नहाएं। ऐसा करने से आपके इर्द-गिर्द जितनी भी नेगेटिव ऊर्जा होगी वह समाप्त हो जाएगी। सकारात्मकता और पवित्रता में बढ़ौतरी होगी। फिर आंवले के पेड़ का पूजन करें। इस तरह मिलेंगे पुण्य, कटेंगे पाप।
शास्त्र कहते हैं आमलकी एकादशी के दिन आंवले का सेवन करने से पापों का नाश होता है। आंवला जरूर खाएं और दान भी करें। पुराणों के अनुसार आंवले का रस हर रोज पीने से पुण्यों में बढ़ौतरी होती है और पाप नष्ट होते हैं।
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