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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Wed ,02 May 2018 02:05:29 pm |
समाचार नाऊ ब्यूरो : कर्नाटक विधानसभा चुनाव गुजरात चुनाव के बाद भाजपा के लिए बड़ी अग्निपरीक्षा है. गुजरात में कांग्रेस को पाटीदार फैक्टर से जूझना पड़ा था और यहां इस बार कांग्रेस नेता व मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने सबसे बड़े समुदाय लिंगायत पर दावं खेला है. सिद्धरमैया की पहचान कांग्रेस के मजबूत क्षत्रपों में है और इस मायने में कांग्रेस के लिए गुजरात से यहां थोड़ी अलग स्थिति है कि उसके पास प्रदेश में अपना एक चेहरा व नेता है. गुजरात में कांग्रेस के चुनाव अभियान पर कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व का पूरा असर दिखता था, लेकिन कर्नाटक में कांग्रेस के चुनाव अभियान को सिद्धरमैया लीड करते हुए दिखते हैं. कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को भी यह अहसास है कि पंजाब के कैप्टन अमरिंदर सिंह की तरह सिद्धरमैया ही अपनी बदौलत कांग्रेस को जीता सकते हैं.
भाजपा ने सिद्धरमैया की चुनौती से मुकाबला करने के लिए अपने लिंगायत चेहरे बीएस येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित कर दिया है, जिनके नेतृत्व में एक दशक पहले पहली बार भारतीय जनता पार्टी इस दक्षिणी राज्य में सत्ता में आयी थी. लेकिन, इसके बावजूद सबसे बड़ा सवाल यह उठा रहा है कि क्या कर्नाटक में येदियुरप्पा को भाजपा ने चुनाव अभियान में अलग-थलग कर रखा
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