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वस्‍तु एवं सेवा कर का संचालन – परोक्ष कराधान परिदृश्‍य का पूर्ण रूपांतरण; तत्‍संबंधी कुछ सूक्ष्‍म जानकारी 

By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Sat ,01 Jul 2017 05:07:54 pm |


समाचार नाऊ ब्यूरो - वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी), एक ऐतिहासिक कर सुधार है, जो कल से, यानी 01 जुलाई, 2017 से लागू हो जाएगा। जीएसटी देश में परोक्ष कराधान परिदृश्‍य को पूरी तरह बदल देगा, जिसमें केन्‍द्र और राज्‍य दोनों के कर शामिल है। सामान्‍य पद्धति से भिन्न, जीएसटी का संचालन केन्‍द्र और राज्‍यों द्वारा एक साथ किया जाएगा।

इस ऐतिहासिक अवसर पर 30 जून-01 जुलाई, 2017 की मध्‍यरात्रि के समय संसद के केन्‍द्रीय कक्ष में एक समारोह आयोजित किया जाएगा। इस अवसर पर  अन्‍य विशिष्‍ट व्‍यक्तियों के अलावा माननीय राष्‍ट्रपति, माननीय उपराष्‍ट्रपति, माननीय प्रधानमंत्री, माननीय लोकसभा अध्‍यक्ष और माननीय केन्‍द्रीय वित्‍त मंत्री उपस्थित रहेंगे।

जीएसटी क्‍यों महत्‍वपूर्ण है

जीएसटी स्‍वतंत्रता के बाद सबसे बडा कर सुधार है। यह एक राष्‍ट्र - एक कर – एक बाजार का लक्ष्‍य हासिल करने का मार्ग प्रशस्‍त करेगा। जीएसटी से सभी पक्षों को लाभ पहुंचेगा, जैसे उधोग, सरकार और उपभोक्‍ता।  इससे वस्‍तुओं और सेवाओं की लागत में कमी आएगी, अर्थव्‍यवस्‍था मजबूत होगी और उत्‍पाद एवं सेवाओं को वैश्विक रूप में प्रतिस्‍पर्धात्‍मक बनाया जा सकेगा और ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को मुख्‍य रूप से बल मिलेगा। जीएसटी व्‍यवस्‍था के अंतर्गत, निर्यात पर कर की दर शून्‍य हो जाएगी, जो वर्तमान प्रणाली से एक दम भिन्‍न होगी, चूंकि वर्तमान में कुछ करों का रिफंड इसलिए नहीं हो पाता है क्‍योंकि परोक्ष करों का स्‍वरूप केन्‍द्र और राज्‍यों के बीच विखंडित है। जीएसटी भारत को एक साझा बाजार बनाएगा, जिसमें करों की दरें और प्रक्रियाएं एक समान होंगी तथा आर्थिक अडचनें समाप्‍त हो जाएंगी। जीएसटी अधिकतर प्रौद्धोगिकी संचालित होगा और इससे मानव सम्‍पर्क बहुत कम होगा। जीएसटी से भारत में व्‍यापार करने की प्रक्रिया आसान होने की संभावनाएं है। वस्‍तुओं की अधिसंख्‍य आपूर्तियों  में जीएसटी परिषद द्वारा अनुमोदित कर की दर वर्तमान में केन्‍द्र और राज्‍यों द्वारा संयुक्‍त रूप से लगाए जाने वाले करों (जैसे केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क दरें/सन्निहित केन्‍द्रीय उत्‍पाद शुल्‍क दरें/क्‍लीयरेंस-परवर्ती सन्निहित सेवा कर, वैट दरें या भारित औसत वैट दरें, उत्‍पाद शुल्क पर वैट का प्रपाती प्रभाव, केन्‍द्रीय बिक्री कर, चुंगी कर, प्रवेश कर आदि के कारण लगने वाले टैक्‍स) की दरों से काफी कम होगी।

संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 के बाद जीएसटी की यात्रा

8 सितम्‍बर, 2016 को माननीय राष्‍ट्रपति की स्‍वीकृति मिलने के बाद 101वां संविधान संशोधन अधिनियम, 2016 अस्तित्‍व में आया। जीएसटी परिषद की स्‍थापना 15.09.2016 को की गई।

सितम्‍बर, 2016 में अपनी स्‍थापना के बाद से जीएसटी परिषद की 18 बैठकें हो चुकी हैं। व्‍यापक बैठकों में सभी राज्‍यों के वित्‍तमंत्रियों अथवा उनके प्रतिनिधियों तथा केन्‍द्र और राज्‍य सरकारों के अधिकारियों ने हिस्‍सा लिया और इस ऐतिहासिक कर सुधार को लागू करने के लिए विधि एवं प्रक्रिया तैयार की। यह एक विशाल कार्य था, जिसमें 27,000 + कार्य घंटों का समय लगा।  जीएसटी के कार्यान्‍वयन में तेजी लाने के लिए केन्‍द्र और राज्‍यों के अधिकारियों ने देश के विभिन्‍न भागों में 200 से अधिक बैठकों में हिस्‍सा लिया।

29 मार्च, 2017 को माननीय वित्‍त मंत्री ने लोकसभा में वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से संबंधित चार विधेयक लोकसभा के विचारार्थ एवं पारित करने हेतू पेश किये। ये थे – केन्‍द्रीय वस्‍तु एवं सेवा कर (सीजीएसटी) विधेयक, 2017, एकीकृत वस्‍तु एवं सेवा कर (आईजीएसटी) विधेयक, 2017, संघ शासित प्रदेश वस्‍तु एवं सेवा कर (यूटीजीएसटी) विधेयक, 2017 और जीएसटी (राज्‍यों को क्षतिपूर्ति) विधेयक, 2017 ।  ये सभी विधेयक लोकसभा ने 29 मार्च, 2017 को और राज्‍य सभा ने 06 अप्रैल, 2017 को पारित कर दिये।

जीएसटी परिषद ने जीएसटी के अंतिम ढांचे को निम्‍नांकित रूप में मंजूर किया है:

  • विशेष श्रेणी राज्‍यों को छोड़कर सभी राज्‍यों के लिए जीएसटी लगाने से छूट की सीमा 20 लाख रूपये होगी, विशेष श्रेणी राज्‍यों के लिए यह सीमा 10 लाख रूपये होगी।
  • जीएसटी के लिए 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत और 28 प्रतिशत की चार स्‍लैब टैक्‍स दर संरचना का अनुमोदन किया गया है।
  • कुछ वस्‍तुओं पर एक उपकर लगाया जाएगा, जिनमें लक्‍जरी कारें, वातित पेय पदार्थ, पान मसाला और तम्‍बाकू उत्‍पाद शामिल है, जिन पर जीएसटी की 28 प्रतिशत की दर के ऊपर उप कर लगाया जाएगा, ताकि राज्‍यों को प्रतिपूरक भुगतान किया जा सकें।
  • विशेष श्रेणी राज्‍यों को छोडकर सभी राज्‍यों के लिए कम्‍पोजिशन स्‍कीम का लाभ उठाने की सीमा 75 लाख रूपये होगी, जबकि विशेष श्रेणी राज्‍यों के लिए 50 लाख रूपये होगी और उन्‍हें केवल तिमाही रिटर्न दाखिल करनी होगी, सेवा प्रदात्‍ताओं की कुछ श्रेणियों (रेस्‍टोरेंट को छोडकर) को कम्‍पोजिशन स्‍कीम से बाहर रखा गया है।

जीएसटी की अन्‍य महत्‍वपूर्ण विशेषताएं –

  • जीएसटी में सभी लेनदेन और प्रक्रियाएं केवल इलेक्‍ट्रोनिक मोड के जरिये की जाएगी, ताकि हस्‍तक्षेप रहित प्रशासन का लक्ष्‍य हासिल किया जा सकें। इससे करदाताओं को कर अधिकारियों के साथ कम से कम भौतिक सम्‍पर्क करना होगा।
  • जीएसटी में मासिक रिटर्न और वार्षिक रिटर्न के स्‍वत:-सृजन सुविधा का प्रावधान है।
  • इसमें करदाताओं को 60 दिन के भीतर निर्धारित अनुदान का रिफंड प्रदान करने और सात दिन के भीतर निर्यातकों को 90 प्रतिशत रिफंड अस्‍थायी रूप से जारी करने की सुविधा भी प्रदान की जाएगी। समय पर रिफंड मंजूर न होने की स्थिति में ब्‍याज भुगतान और रिफंड सीधे बैंक खातों में क्रेडिट करने जैसे उपाय भी किये गये है।

जीएसटी नेटवर्क (जीएसटीएन) की भूमिका – जीएसटी का आईटी आधार

जीएसटीएन का सृजन 25 प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों के सैक्‍शन के रूप में किया गया है, जिसका कार्यनीतिक नियंत्रण सरकार के पास होगा। यह नेटवर्क करदाताओं के लिए एक साझा पोर्टल के रूप में काम करेगा। इस साझा पोर्टल पर करदाता अपने पंजीकरण आवेदन, रिटर्न दाखिल करेंगे, कर का भुगतान करेगे, रिफंड के दावे आदि करेंगे। जीएसटीएन के लिए एक मजबूत आईटी मंच प्रदान किया गया है, जो 80 लाख करदाताओं और हजारों कर अधिकारियों को इंटरफेस प्रदान करेगा। जीएसटी के अंतर्गत सभी प्रकार की फाइलिंग इलेक्‍ट्रोनिक ढंग से की जाएगी।

राज्‍य कर प्रशासनों पर केन्‍द्रीय उत्‍पाद एवं सीमा शुल्‍क बोर्ड के सभी मौजूदा करदाताओं का पंजीकरण जीएसटी प्रणाली में 8 नवम्‍बर, 2016 से शुरू हो गया था। 66 लाख से अधिक करदाताओं ने जीएसटी पोर्टल पर अपने खाते सक्रिय कर लिये है। 

भुगतान से संबंधित जीएसटी एप्‍लीकेशन चालू हो गया है। 25 बैंकों को जीएसटी साझा पोर्टल के साथ जोड दिया है, जो एनईएफटी/आरटीजीएस और क्रेडिट/डेबिट कार्ड के जरिये लेनदेन की सुविधाए प्रदान करेंगे।

जीएसटी सम्‍पर्क कार्यक्रम

सरकार ने विभिन्‍न गतिविधियों, कार्यशालाओं, मीडिया और टेलीविजन के जरिये जन समुदायों से सम्‍पर्क कार्यक्रम तैयार किया है। सीबीईसी के क्षेत्रीय संगठनों को सभी स्‍तरों पर सक्रिय कर दिया गया है, ताकि जीएसटी में परिवर्तन के दौरान व्‍यापार और उधोग की मदद की जा सके और उनके संदेह दूर किये जा सके। देशभर में कुल 4700 कार्यशालाएं आयोजित की गई। 

प्रिंट और इलेक्‍ट्रोनिक मीडिया, आउटडोर होर्डिंग आदि के जरिये एक व्‍यापक मल्‍टी मीडिया अभियान चलाया गया, ताकि जीएसटी में सुचारू रूपांतरण के लिए करदाताओं और अन्‍य संबद्ध पक्षों को सूचना, शिक्षा और सहायता प्रदान की जा सकें।

सीबीईसी का पुनर्गठन

जीएसटी के कार्यान्‍वयन और संचालन के लिए केन्‍द्रीय उत्‍पाद एवं सीमा शुल्‍क बोर्ड (सीबीईसी) का पुनर्गठन अनिवार्य हो गया था। इसे देखते हुए बोर्ड में ढांचागत परिवर्तन किये गये और सक्षम कार्मिक तैनात किये गये। देश के सुदूरतम कोनों तक पहुंच सुनिश्चित करने के लिए निदेशालयों का विस्‍तार किया गया और मजबूत बनाया गया।

फील्‍ड संगठनों का पुनर्गठन करते हुए 21 सीजीएसटी और सीएक्‍स जोन, 107 सीजीएसटी और सीएक्‍स आयुक्‍त कार्यालय, 12 उपायुक्‍त कार्यालय, 768 सीजीएसटी और सीएक्‍स डिविजन, 3969 सीजीएसटी और सीएक्‍स रेंज और 48 लेखा परीक्षा आयुक्‍त कार्यालय और 49 अपील आयुक्‍त कार्यालय बनाये गये हैं।

प्रशिक्षण :

जीएसटी के सुचारू रूप से संचालन के लिए पर्याप्‍त क्षमता निर्माण और जागरूकता आवश्‍यक है। इसके लिए नेशनल अकेडमी ऑफ कस्‍टम्‍स इनडायरेक्‍ट टैक्‍सेस एंड नरकोटिक्‍स (एनएसीआईएन) ने व्‍यापक प्रशिक्षण पाठ्यक्रम संचालित किये गये। पहले चरण के दौरान समूचे देश के करीब 52 हजार अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया। अद्यतन कानून, नियमों और प्रक्रियाओं की जानकारी देने के लिए एक रीफ्रेशर प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया गया, इसमें 23 जून, 2017 तक 17,213 अधिकारियों को प्रशिक्षित किया गया।

इसके अलावा जीएसटी के बारे में 500 एफएक्‍यू (बार-बार पूछे जाने वाले प्रश्‍न) अंग्रेजी, हिन्‍दी और 10 क्षेत्रीय भाषाओं में जारी किये गये है।

सोशल मीडिया के जरिये सेवा

जीएसटी से संबंधित सवालों का तत्‍काल आधार पर जवाब देने के लिए सरकार ने एक ट्वीटर सेवा शुरू की है। ट्वीटर हैण्‍डल askGST_GOI हर रोज हजारों करदाताओं के सवालों का जवाब दे रहा है। ट्वीटर पर बार-बार पूछे गये सवालों को प्रश्‍नोत्‍तरी के रूप में पहले ही प्रकाशित किया जा चुका है।



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