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राष्ट्रपति चुनाव को लेकर मंथन- द्रोपदी मुर्मू दौड़ में सबसे आगे

By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Fri ,26 May 2017 07:05:26 pm |


समाचार नाऊ ब्यूरो नयी दिल्लीः राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति चुनाव से दूर रहने के संकेत देने के बाद देश में राष्ट्रपति चुनावों की हलचल तेज हो गयी है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने शुक्रवार को सभी विरोधी दलों की बैठक बुलायी, तो सत्ताधारी दल में भी उम्मीदवार तय करने पर विचार-विमर्श शुरू हो गया है.
खबर है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी कैबिनेट के सहयोगियों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की है. इसमें वरिष्ठ मंत्रियों ने प्रधानमंत्री से कहा कि सरकार को राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दोनों पदों के लिए अपना उम्मीदवार चुनाव के मैदान में उतारना चाहिए.देश के सर्वोच संवैधानिक पद के लिए उम्मीदवार चयन पर चर्चा के लिए हुई बैठक में प्रधानमंत्री ने मंत्रियों के कोर ग्रुप के सदस्यों, जिसमें गृह मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, वित्त मंत्री अरुण जेटली और सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी शामिल हुए. बैठक में शहरी 

हालांकि, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के तेलंगाना में होने की वजह से राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनावों पर कोई औपचारिक चर्चा नहीं हो सकी. लेकिन, खबर है कि बैठक में मौजूद वरिष्ठ मंत्रियों ने कहा कि प्रत्याशी की सामाजिक हैसियत देखने के बजाय उसकी योग्यता के साथ-साथ पार्टी में वरीयता और मान्यता को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए.

उधर, सत्ताधारी दल भाजपा में राष्ट्रपति पद के लिए कई नाम चर्चा में हैं. इनमें झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू का नाम सबसे आगे माना जा रहा है. हालांकि, चर्चा यह भी है कि मोदी अपने राजनीतिक गुरु लाल कृष्ण आडवाणी को गुरु दक्षिणा में यह पद दे सकते हैं. राजनीति के जानकार मानते हैं कि द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति बनाने का फायदा भाजपा को ओड़िशा चुनाव में मिलेगा.

पीएम मोदी और उनके रणनीतिकार हर पहलू को ध्यान में रख कर नामों पर चर्चा कर रहे हैं. राष्ट्रपति के साथ-साथ उपराष्ट्रपति पद के प्रत्याशी पर भी विचार हो रहा है. खबर है कि एम वेंकैया नायडू और कांग्रेस से भाजपा में आये एसएम कृष्णा में से किसी एक नेता को उपराष्ट्रपति बनाया जा सकता है. दोनों दक्षिण के कद्दावर नेता हैं. वैंकेया नायडू तो मोदी के खास मंत्रियों में गिने जाते हैं.

बहरहाल, द्रौपदी मुर्मू और लाल कृष्ण आडवामी के अलावा लोकसभा की अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी राष्ट्रपति पद की प्रबल दावेदार मानी जा रही हैं.

यहां बताना प्रासंगिक होगा कि राष्ट्रपति चुनाव सरकार की प्रतिष्ठा से जुड़ा सवाल है. इसलिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह सभी सहयोगी दलों के नेताअों को खुश करने में लगे हैं. सूत्र बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी पसंद का राष्ट्रपति बनाना चाहते हैं और इसके लिए उन्हें सहयोगी दलों का साथ चाहिए. इसलिए शाह सभी सहयोगी दलों को साधने में जुटे हैं.

शाह जानते हैं कि यदि शिव सेना की तरह एक-दो दल भी छिटक गये, तो राष्ट्रपति चुनाव में सरकार की प्रतिष्ठा चली जायेगी. इसलिए एनडीए को एकजुट रखने का जिम्मा शाह को सौंपा गया है. शाह पर यह भी जिम्मेदारी है कि वे सहयोगी दलों को इस बात के लिए तैयार करें कि वे पीएम की पसंद के उम्मीदवार को अपना समर्थन दें.

हालांकि, शिव सेना के नखरों को छोड़ दें, तो एनडीए पूरी तरह पीएम मोदी के साथ है. फिर भी मोदी फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं. पार्टी के रणनीतिकार एक-एक वोट को अपने पक्ष में जुटाने में लगे हैं. इसलिए, उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और गोवा के मुख्यंत्री मनोहर पर्रीकर को संसद से इस्तीफा देने से फिलहाल रोक दिया गया है.

ज्ञात हो कि भारत में राष्ट्रपति का चयन अप्रत्यक्ष निर्वाचन प्रणाली से होता है. इसमें इलेक्टोरेट कॉलेज के जरिये चुनाव होता है. यानी हर चुने हुए सांसद, विधायक और विधान परिषद सदस्यों के आधार पर राज्यों का मत तय किया जाता है. लिहाजा, जहां संसद के दोनों सदनों के सदस्य मतदान करते हैं, वहीं राज्यों के चुने हुए प्रतिनिधि भी अपने-अपने सूबे में मतदान करते हैं.

ज्ञात हो कि 25 जुलाई तक राष्ट्रपति की चयन प्रक्रिया पूरी हो जायेगी. संसद भवन के कमरा नंबर 108 और 79 में संसदीय सचिवालय की एक टीम ने नये राष्ट्रपति के चुनाव की तैयारियों पर काम भी शुरू कर दिया है.

लोकसभा सचिवालय सूत्रों के मुताबिक, इसी महीने से राष्ट्रपति चुनाव की कवायद संसद में शुरू की गयी है. इस बार लोकसभा सचिवालय को राष्ट्रपति का संयोजक बनाया गया है. पिछली बार यह जिम्मेदारी राज्यसभा सचिवालय ने निभायी थी. लोकसभा के महासचिव राष्ट्रपति चुनाव के लिए रिटर्निंग अधिकारी होंगे. राष्ट्रपति चुनाव के संबंध में निर्वाचन आयोग की सलाह के बाद चुनाव के लिए प्रकोष्ठ बनाया गया है.



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