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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Tue ,07 Mar 2017 05:03:33 pm |
समाचार नाऊ ब्यूरो रांची: केंद्रीय सरना समिति, अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद व आदिवासी सेना की संयुक्त बैठक सोमवार को आरआइटी बिल्डिंग स्थित केंद्रीय कार्यालय में हुई़ अध्यक्षता अजय तिर्की ने की़ इसमें ईसाई धर्म गुरुओं द्वारा सीएनटी- एसपीटी एक्ट में संशोधन के खिलाफ राज्यपाल के समक्ष अपना पक्ष रखते हुए आदिवासी व मूलवासियों के पक्ष में झारखंडी एकता का परिचय देने का स्वागत किया गया़ सदस्यों ने कहा कि इस मामले में भाजपा को छोड़ पूरा झारखंडी समाज इस धर्म गुरुओं की भावना के साथ है़.
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा ने इन धर्म गुरुओं के बारे में विपरीत टिप्पणी कर ओछी राजनीति का परिचय दिया है़ श्री गिलुवा यह बताएं कि एचइसी, मेकन व टाटा जैसे बड़े-बड़े प्रतिष्ठानों की स्थापना के बाद वहां के आदिवासी-मूलवासी कहां गये? सरकार ने कितनों को नौकरी दी. कितनों को व्यवसाय से जोड़ा?
आरोग्य भवन की जमीन आदिवासियों की है : केंद्रीय सरना समिति के नाम पर सरकार के पक्ष में बयानबाजी करने वाले चंद लोगों को सरना समाज ने बहिष्कृत किया है़ वे और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बतायें कि बरियातू रोड स्थित आरोग्य भवन की जमीन आदिवासियों की है, इसे वनवासी कल्याण केंद्र संस्था ने कैसे हड़पा? बैठक का संचालन शिवा कच्छप ने किया़ मौके पर अशोक उरांव, सत्यनारायण लकड़ा, नारायण उरांव, चंपा कुजूर, चरण बेसरा, माधो कच्छप, प्रदीप लकड़ा, संदीप तिर्की, सीताराम भगत, जयराम किस्पोट्टा, संतोष तिर्की आदि थे.
चर्च की आलोचना आदिवासी जनता के खिलाफ : ईसाई महासंघ
रांची. राष्ट्रीय ईसाई महासंघ ने सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन को लेकर चर्च के बिशपों के राज्यपाल से मिलने पर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा के बयान की आलोचना की है़ अध्यक्ष दीपक तिर्की व महासचिव विनय केरकेट्टा ने कहा कि भाजपा द्वारा चर्च की आलोचना झारखंड की आदिवासी जनता की मनोभावना के खिलाफ है़ झारखंड का चर्च आदिवासी चर्च है और आदिवासी जन समुदाय की सामाजिक समस्याओं के निदान व उनके विकास के लिए चर्च कृत संकल्प है़
सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन के विरोध में राज्यपाल को ज्ञापन देना चर्च के अपने विचारों की अभिव्यक्ति है़ इसे राजनीतिक रंग देना ओछी मानसिकता है़ भाजपा व इससे जुड़े कई संगठनों ने झारखंड आंदोलन का यह कहते हुए विरोध किया था कि यह ईसाई मिशनरियों की साजिश है, लेकिन यह आंदोलन जन भावनाओं के अनुरूप था़ तब भी चर्च ने जन भावना की कद्र करते हुए अलग राज्य के उस आंदोलन में खुल कर भागीदारी निभायी. अलग झारखंड राज्य का विरोध करने वाले आज सत्ता में हैं और झारखंडियों के विनाश का षड्यंत्र रच रहे है़ं सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन भी राज्य के आदिवासियों, दलितों व पिछड़ों की भावना के खिलाफ है़ इस मामले में सिर्फ ईसाई धर्मगुरु ही नहीं, पूरा झारखंडी समुदाय साथ है़
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