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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Wed ,01 Mar 2017 10:03:45 am |
समाचार नाऊ ब्यूरो पटना : बिहार कर्मचारी चयन आयोग (बीएसएससी) पेपर लीक मामले पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि एसआइटी पूर्वाग्रह से ग्रसित हुए बिना पूरी ईमानदारी से जांच करे. वह न किसी के बयान पर, न ही किसी की बातों पर ध्यान दे. पूरे मामले की जांच में इसका असर नहीं होना चाहिए. मुख्यमंत्री मंगलवार को बिहार विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर हुए वाद-विवाद के बाद जवाब दे रहे थे. उन्होंने कहा कि बीएसएससी पेपर लीक की बात जब सामने आयी, तो डीजीपी और गृह सचिव को जांच करने को कहा. तो उन्होंने रिपोर्ट दी कि सही में पेपर लीक हुआ है.
इसके बाद एसआइटी का गठन किया गया. एसआइटी जांच कर रही है और साक्ष्य के आधार पर कार्रवाई भी कर रही है. किसी भी प्रकार की कार्रवाई चेहरा देख कर नहीं होती है. कोई समझौता नहीं हो सकता है. कार्रवाई होगी. मैं कुरसी पर खाली बैठनेवाले नहीं हूं. इसके लिए जनता ने जनादेश नहीं दिया है. पूरी निष्पक्षता से काम करता हूं.
मामला आयेगा, तो जांच का आदेश दूंगा. न किसी को फंसाऊंगा और न ही किसी को बचाऊंगा.किसी को बेवजह फंसाया नहीं जा रहा है. अगर किसी को बेवजह फंसाया जा रहा है, तो वे कोर्ट में दावा कर सकते हैं. जांच में जो दोषी होगा, उस पर कार्रवाई तो होगी. देश में राष्ट्रपति का पद ही ऐसा है, जिनके खिलाफ जांच नहीं हो सकती है.
प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री समेत मंत्रियों के मामलों में भी जांच हो सकती है. मुख्यमंत्री ने कहा कि किसी मामले की सीबीआइ जांच का फैशन चल रहा है. कभी-कभी लगता है कि सीबीआइ जांच की मांग किसी अनुसंधान की जो प्रगति रहती है, उसमें बाधा डालने का तो नहीं होता है.
सीबीआइ को बिहार के कई मामले दिये गये, लेकिन जांच की प्रगति आगे नहीं बढ़ी. ब्रह्मेश्वर मुखिया हत्याकांड की जांच के लिए सीबीआइ से अनुशंसा की गयी थी, लेकिन उसने लौटा दिया था. दोबारा फिर अनुशंसा की गयी और सीबीआइ जांच शुरू हुई, लेकिन पुलिस ने जो जांच की थी, उससे जांच आगे नहीं बढ़ी. मुजफ्फरपुर के नवरुणा चक्रवर्ती मामले की जांच में भी सीबीआइ ने कोई प्रगति नहीं की. यही हाल पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड में दिखा. पुलिस अनुसंधान से मामला आगे नहीं बढ़ा.
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