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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date:17:04:01 PM / Fri, Sep 30th, 2016 |
नयी दिल्ली/सीवान : सुप्रीम कोर्ट ने आज राजद नेता और पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की जमानत रद्द कर दी है. कोर्ट के इस फैसले के बाद राजद नेता ने सीवान कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया है. इसके साथ ही उन्हें गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. आपको बता दें कि बाहुबली नेता शहाबुद्दीन की जेल से रिहाई के खिलाफ दायर अर्जियों पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी कर ली थी. एक हत्याकांड में पटना हाइकोर्ट से शहाबुद्दीन को दी गयी जमानत को चुनौती देने वाली दो अपीलों पर कोर्ट ने गुरुवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.
सुप्रीम कोर्ट ने विवादास्पद राजद नेता शहाबुद्दीन को हत्या के एक मामले में जमानत देने का पटना हाइकोर्ट का आदेश आज रद्द कर दिया. कोर्ट ने राजद नेता को 'तत्काल' समर्पण करने या फिर बिहार पुलिस को उन्हें तुरंत हिरासत में लेने का आदेश दिया. न्यायमूर्ति पीसी घोष और न्यायमूर्ति अमिताव राय की पीठ ने बिहार सरकार और निचली अदालत को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि राजीव रोशन हत्याकांड के मुकदमे की सुनवाई कानून के प्रावधानों के तहत शीघ्र पूरी हो. शहाबुद्दीन को दोहरे हत्याकांड में उम्र कैद की सजा मिल चुकी है जबकि पटना हाई कोर्ट ने इस मामले में उसे जमानत भी दे दी है.
शहाबुद्दीन ने न्यूज एजेंसी एएनआइ से एक सवाल के जवाब में नीतीश कुमार का नाम लिये बिना कहा है कि चुनाव में उनके समर्थक उन्हें बता देंगे कि क्या होना है. उनसे पत्रकार ने सवाल पूछा था कि आपने बिहार सरकार के खिलाफ बोला उसके बाद ऐसा हुआ, अगर आप नीतीश जी पर नहीं बोले होते तो...इस पर शहाबुद्दीन ने कहा कि जो सच है उसे बोलने में मुझे परवाह नहीं है और मेरे समर्थक आने वाले चुनाव में उन्हें बता देंगे कि क्या होना है.
शीर्ष अदालत ने शहाबुद्दीन की जमानत रद्द करने के लिए दायर याचिकाओं पर कल सुनवाई पूरी की थी. कोर्ट ने हाई कोर्ट सहित विभिन्न न्यायिक मंचों पर तमाम मामलों में राजद के इस बाहुबली की जमानत का विरोध करने के प्रति बिहार की नीतीश सरकार के ढुलमुल रवैये की आलोचना की थी.
वहीं, सुनवाई की जानकारी देते हुए वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि दोनों (पीड़ित के पिता चंदा बाबू और बिहार सरकार की अपील) बेल खारिज करने की याचिका को कोर्ट ने आज अनुमति दे दी है. कोर्ट ने बिहार सरकार से कहा है कि शहाबुद्दीन को जेल में डाले और राजीव रौशन केस पर ट्रायल करे और जल्दी करे. प्रशांत भूषण ने कहा कि मैं एक और याचिका दायर करके शहाबुद्दीन के बिहार से बाहर की जेल में भेजे जाने और विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सुनवाई की गुजारिश करूंगा.
उधर, फैसला आने के बाद चंदा बाबू की आंखों से आंसू झलक आए और उन्होंने कहा कि मीडिया के कारण ऐसा हो सका. यदि मीडिया ने इस मुद्दे को नहीं उठाया होता तो शायद सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला नहीं आता. उन्होंने कहा कि कई पार्टियों ने उनका साथ दिया. मैं उनका धन्यवाद देना चाहता हूं. बिहार सरकार का भी सहयोग मिला.
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को सुनवाई के दौरान फिर सवाल किया कि राजीव रोशन हत्याकांड के 17 महीने बाद भी शहाबुद्दीन को आरोप-पत्र की प्रति क्यों नहीं मुहैया करायी गयी. राजीव अपने दो छोटे भाइयों की हत्या का चश्मदीद गवाह था, जिसकी हत्या अदालत में उसकी गवाही से कुछ ही दिनों पहले कर दी गयी थी.
क्या है केस
16 अगस्त, 2004 को सीवान में दो सगे भाइयों गिरीश और सतीश राज को अगवा करने के बाद उनकी तेजाब से जला कर हत्या कर दी गयी थी. इस मामले में आरोप शहाबुद्दीन पर लगा था. इस केस के एकमात्र चश्मदीद गवाह तीसरा भाई राजीव रोशन था. टाउन थाना कांड के केस संख्या 220-2014 के मुताबिक 17 जून, 2014 को तीसरे भाई राजीव रोशन की भी गोली मार कर हत्या कर दी गयी थी. इसके बाद सीवान टाउन थाने में उसके पिता ने प्राथमिकी दर्ज करायी थी. प्राथमिकी में शहाबुद्दीन को हत्या की साजिश रचने का आरोपित बनाया गया. कहा गया कि चूंकि राजीव रोशन अपने दोनों भाइयों की हत्या का एकमात्र चश्मदीद गवाह था और वह गवाही देनेवाला था, इस कारण सीवान शहर में डीएवी कॉलेज के नजदीक मोटरसाइकिल पर सवार तीन लोगों ने उसकी गोली मार कर हत्या कर दी.
10 सितंबर को आये थे जेल के बाहर
भागलपुर विशेष केंद्रीय कारा से 10 सितंबर की सुबह सात बज कर पांच मिनट पर राजद के पूर्व सांसद मो शहाबुद्दीन बाहर निकले थे. वे सफेद कुरता-पायजामा में थे. उनके बाहर निकलते ही समर्थकों का हुजूम उमड़ पड़ा था. जेल से बाहर निकलते ही उन्होंने मीडिया से बात की थी और कहा था कि लालू हमारे नेता हैं, नीतीश परिस्थितियों के मुख्यमंत्री हैं. उनसे जब पूछा गया कि महागंठबंधन की सरकार है, ऐसे में वे लालू और नीतीश में किसे अच्छा राजनीतिज्ञ मानते हैं, तो उन्होंने बेबाक अंदाज में कहा कि वे किसके साथ थे, हैं और रहेंगे इसमें किसी तरह का किसी को कंफ्यूजन नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि वे किसके निर्देश पर राजनीति में आये हैं, यह सभी को पता है.
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