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बिहार -रेल परियोजनाओं का डम्पयार्ड

By समाचार नाउ ब्यूरो | Publish Date:13:21:08 PM / Tue, Feb 23rd, 2016 |


देश की सरकर एक बार फिर से रेल बजट देने जा रही है और बिहार की जनता को उम्मीद है कि उसे इस रेल बजट से बहुत कुछ मिलेगा.... हालांकि रेल मंत्रालय का नाम आते ही कही न कहीं बिहार की छवि अपने आप लोगों के मानस पटल पर बन जाती थी। मंत्रालय की बात की जाय तो बिहारी नेता ही इसमें सबसे ज्यादा सवार हुए हैं। लेकिन पन्द्रहवीं लोकसभा की बनी सरकार में यह हक बिहार का जाता रहा। मंत्रालय के जाने से बिहार में रेल से जुड़ी योजनाओं के भविष्य पर सवाल उठने लगा है। आलम यह है कि बिहार को मिली रेल परियोजनाऐं बिहर में परियोजनाओं का डम्फयार्ड बन कर रह गयी है। प्रभू भरोसे रेल और उन्हीें के भरोसे बिहार... देश क लिए पेश होने जा रहे रेल बजट से इसबार बिहार ने काफी उम्मीद पाल रखी है... नरेन्द्र मोदी की राजनीतिक जीत की लालसा बिहार में फेल हुई तो चर्चा इस बात की भी अब बिहार को बहुत कुछ इमानदारी से नहीं मिलेगा.... बिहार हार के बाद बिहार को कुछ देने के सवाल पर सबसे पहली लाइन कुछ है तो दिल्ली से रेल लाइन से बिहार पहुचने वाली योजनाअें का है.... हालाकि जिस तरह के राजनीतिक उत्तर मिल रहे हैं उससे इस बार रेल बजट से बहुत कुछ मिलेगा इसकी उम्मीद कम है और राजनीति में चर्चा भी इसी बात की हो रही है बात रेल बजट से उम्मीद की करें तो राजनीतिक तराजू में इसे कमतर करके ही आंका जा रहा है लेकिन बात बिहार की करें तो रेल पर सबसे ज्यादा कब्जा बिहार के नेताओं का ही रहा है रेल मंत्रालय पर बिहारी मंत्रियों का कब्जा लम्बा रहा है। जगजीवन राम ने रेलमंत्री के तौर पर बिहार से आगाज किया और उसके बाद ललित नारायण मिश्र रेल मंत्री बने। 1973 से 1975 के दौरान रेल मंत्रालय से कई योजनाएं बिहार को मिली। रेल योजना की षुभारंभ के समय ही ललित नारायण मिश्र की जान भी गयी। हालांकि बिहार में रेल योजनाओं में तेजी रामविलास पासवान के समय से शुरू हुई और चैदहवीं लोकसभा मे ं52 हजार करोड़ की परियोजना रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव ने बिहार के झोली में डाली। उम्मीद यह भी कि मंत्रालय पर कब्जा आगे भी बरकरार रहेगा। बिहार से रेलमंत्रियों की गिनती की जाय तो ललित नारायण मिश्र ने कई योजनाओं को बिहार की झोली में डाला था इसके बाद लगातार घाटे में चल रही रेल को लालू यादव ने करोड़ो के फायदे में लाकर बिहारी रेलमंत्री के बरचस्व को खडा कर दिया। और इस फायदे का ही परिणाम रहा कि बिहार में कई बड़ी रेल योजनाओं का प्रस्ताव भी पास हो गया। बिहार में वर्तमान समय में 52 हजार करोड़ की योजना पास हैं। इन योजनाओं में कई अभी फाइलों से बाहर तक नहीं निकली हैं। बिहार में जो याजनएं चल रही हैं वह कुल 52 हजार करोड़ है। जो योजनाएं चल रहीं हैं उनमें़़़................. प्लेट बनकार चलाया जा सकता है। हरनौत रेल कारखना - 224.52 करोड़ छपरा रेल पहिया कारखना - 1417 करोड़ ़सोनपुर वैगन मरम्मत कारखाना - 89.20 करोड़ मधेपुरा वैगन निर्माण 40.00 करोड़ नवीनगर एनटीपीसी के साथ बिजली संयंत्र 5500 करोड़ मोकामा मुजफफरपुर वैगन फैक्ट्री कंे जमीन हेतु 1240 करोड़ गया-षेरघंटी-चतरा नई लाइन 416 करोड़ अरिरिया-त्रिवेणीगंज- सुपौल लाइन 304 करोड़ नवादा से लक्ष्मीपुर नई लाइन 621 करोड सीमामढ़ी-सुरसंड- निर्मली नई लाइन 679 करोड मुजफफरपुर दरभ्ंागा के बीच 281 करोड आरा-जगदीषपुर- दिनार-भभ्ुाआ 491 करोड डेहारी से बंजारी नई रेल लाइन 106 करोड़ रफीगंज डल्टेनगंज नई रेल लाइन 445 करोड़ जलालगढ़ से किषनगंज नई रेल लाइन 283 करोड़ धमदहा-कुरसेला नई रेल लाइन योजना .............. छपरा, गोल्डेनगंज, हथुआए थावे, हाजीपुर, मुजफफरपुर ..... बेगूसराय, तिलरथ, बिहिया, दानापुर, फुलवारीषरीफ पर....... आरआबी ....... एक दर्जन से ज्यादा सड़क विस्तार योजना पर 1241करोड़ रेल मंत्री लालू यादव के समय में योजनाओ को बिहार लाया गया। स्टेषन पर सब्जी की दुकान और पटना को माॅडल स्टेषन की भी योजना लालू यादव ने बनाई थी। रेल मंत्रालय के बिहारी हाथ से जाने के बाद इनमें से कई योजनाओं पर संकट के बादल मड़राने लगंे । आज आलम यह है कि देश के दो पूर्व रेल मंत्री लालू और नीतीश इस बात की आस लगाए बैठे हैं कि बिहार को कुछ मिले.... बडा सवाल यह है कि जो योजनाऐं बिहार के खाते में आई भी है उनपर आज तक तेजी से काम नहंी हो रहा है या फिर पैसे के अभाव में योजनाऐं ही बंद है.... अब देखेने वाली बात यह होगी िकइस रेल बजट में बिहार पर प्रभू की कृपा होती है या फिर राजनीति में मोदी की माया का राग ही गाया जाता है...


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