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मौसमी अवसाद: धूप और रोशनी है बड़ा इलाज

By समाचार नाउ ब्यूरो | Publish Date:18:21:44 PM / Thu, Dec 24th, 2015 |


मौसम तो तय समय पर बदलने लगता है, लेकिन हम इन बदलावों के लिए पूरी तरह तैयार नहीं होते। ऐसे में शरीर और मस्तिष्क इस मौसम के बदलाव से अनछुए नहीं रहते और हम कई तरह की स्वास्थ्य समस्याओं से परेशान होते हैं। इनमें से एक है मौसमी अवसाद या सीजनल अफेक्टवि डिसॉर्डर (एसएडी)। मौसम क्या बदला, रीमा का स्वभाव ही बदल गया और इस परिवर्तन को उसके आसपास के लोगों ने भी महसूस किया। बात-बात पर गुस्सा हो जाना या कभी उदास हो जाना- सब हैरान थे कि रीमा ऐसे व्यवहार क्यों कर रही है। क्या इन दिनों आपके भी स्वभाव में इस तरीके का बदलाव आता है? अगर ऐसा है तो संभव है कि आप सैड यानी सीजनल अफेक्टिव डिसॉर्डर के शिकार हों। एक प्रकार का अवसाद वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. समीर पारिख के अनुसार मौसम का मिजाज किसी भी व्यक्ति को मानसिक रूप से रोगग्रस्त कर सकता है। दरअसल मस्तिष्क के अंदर सेराटोनिन नाम का रसायन पाया जाता है, जो न्यूरोट्रांसमीटर का काम करता है। ये न्यूरोट्रांसमीटर रसायन सूर्य की रोशनी में ही सक्रिय होते हैं, पर इन दिनों रसायन का सक्रिय होना कम हो जाता है, जिस कारण लोगों में निराशा के लक्षण बढ़ जाते हैं। क्या हैं लक्षण सैड वास्तव में एक प्रकार का डिप्रेशन या अवसाद है, जिससे व्यक्ति हर साल एक ही समय-विशेष पर ग्रसित होता है। इस दौरान काम में मन नहीं लगता और निराशा के भाव व्यक्ति के दिमाग में आते हैं। इसमें मूड में बदलाव, ऊर्जा की कमी, नींद में बदलाव, ध्यान लगाने में तकलीफ और दोस्तों तथा परिचितों के साथ कम समय बिताने की इच्छा होती है। मनोविज्ञानी पल्लवी जोशी के अनुसार, इस मौसम में लोग अलगाव, चिड़चिड़ापन, कमजोरी और एकाकीपन जैसी भावनाओं की शिकायत करते हैं। छोटी-छोटी समस्याओं को भी बहुत बड़ा समझने लगते हैं। विटामिन डी की कमी विटामिन डी की कमी से भी सर्दियों में अवसाद होता है। दरअसल विटामिन डी का सबसे अच्छा और प्राकृतिक स्त्रोत सूर्य की किरणें हैं। सर्दियों में धूप कम निकलती है। अगर धूप निकल भी जाए तो कई बार आलस की वजह से लोग रजाइयों में रहना पसंद करते हैं और कई बार समय के अभाव में धूप में नहीं बैठ पाते। ऐसे लोग धूप के संपर्क में आने लगते हैं तो अवसाद से बाहर निकल जाते हैं। आप बरतें विशेष सावधानी कमजोर दिल और दिमाग वाले लोगों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, क्योंकि यह मौसम जानलेवा भी साबित हो सकता है। उनमें अकेलेपन, हताशा, भूख न लगने, बेचैनी, नींद न आने व भाव-शून्यता आदि के लक्षण अधिक देखने को मिलते हैं। इलाज है आसान सम्पूर्ण चिकित्सा और रहन-सहन में बदलाव लाने से 80 प्रतिशत मरीज ठीक हो जाते हैं, किंतु यदि मौसमी अवसाद का समय रहते इलाज न करवाया जाए तो व्यक्ति आजीवन इसका मरीज बना रह सकता है। इसलिए इलाज में लापरवाही बिल्कुल न बरतें। बढ़ जाता है कई बीमारियों का खतरा नेचुरल न्यूज में प्रकाशित एम बेंजर के शोध के अनुसार हमारे शरीर को सूर्य से सबसे अधिक विटामिन डी मिलता है। विटामिन डी की कमी से मधुमेह, हृदय रोग, एलर्जी, कैंसर, अल्जाइमर व मोटापे का खतरा बढ़ जाता है। शरीर तनाव महसूस करता है। यही कारण है कि सर्दियों में आत्महत्या व डिप्रेशन के मामले बढ़ जाते हैं। तापमान शरीर के एनर्जी लेवल को भी सीधे तौर पर प्रभावित करता है। जब शरीर गर्म होता है तो रक्त का प्रवाह सामान्य रहता है। ठंडे मौसम में यह प्रतिक्रिया विपरीत होती है, जिससे बीमारी का खतरा अधिक होता है। शरीर के प्रत्येक अंग को ऑक्सीजन की जरूरत होती है। रक्त प्रवाह के जरिये शरीर को यह प्राप्त होती है। सर्दी में गर्मी को बचाए रखने के प्रयास में शारीरिक कार्य धीमे हो जाते हैं। इससे शरीर में कंपन होने लगती है और सभी महत्वपूर्ण अंग काम करना बंद कर सकते हैं। इसके लिए विटामिन से भरपूर डाइट लेना जरूरी हो जाता है। इसके लिए आप अपने नियमित भोजन में दूध और दुग्ध उत्पादों को भी शामिल कर सकते हैं। गैजेट्स भी करते हैं मदद गो-गो गैजेट बहुत ही उपयोगी है और यह आपके आत्मविश्वास को बनाए रखने में मदद करता है। आपके दिमागी तनाव को दूर करने में यह गैजेट बहुत मददगार साबित हो सकता है। इस गैजेट को आप सुबह के अलार्म के साथ सेट कर सकते हैं। यानी सुबह का अलार्म बजने के साथ यह गैजेट काम करने लगता है। अलार्म बंद होने के 30 मिनट बाद काम करना शुरू कर देता है। इस गैजेट का इस्तेमाल करने से रात को बहुत अच्छी नींद आती है, जिससे दिमाग का तनाव दूर होता है। फुल स्पेक्ट्रम लाइट यह एक प्रकार का लैम्प है, जो सूर्य की मदद से चलता है। यह शरीर में सेराटोनिन के उत्पादन को बढ़ाता है, जो मूड को बेहतर बनाता है। इससे बहुत अच्छी नींद आती है। 10


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