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शहाबुद्दीन फिर सलाखों के पीछे

By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date:17:10:23 PM / Fri, Sep 30th, 2016 |


चंदा बाबू की आंखों से झलक आए आंसू

सीवान : राजद के पूर्व बाहुबली सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की जमानत के खिलाफ फैसला आने के बाद चंदा बाबू उर्फ चंद्रेश्वर प्रसाद की आंखों से आंसू झलक आए और उन्होंने कहा कि मीडिया के कारण ऐसा हो सका. यदि मीडिया ने इस मुद्दे को नहीं उठाया होता तो शायद सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला नहीं आता. उन्होंने कहा कि कई पार्टियों ने उनका साथ दिया. मैं उनका धन्यवाद देना चाहता हूं. बिहार सर‍कार का भी सहयोग मिला. आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आज राजद नेता और पूर्व सांसद शहाबुद्दीन की जमानत रद्द कर दी है. कोर्ट के इस फैसले के बाद अब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है.
...शहाबुद्दीन ने कोर्ट में क्या कहा था
शहाबुद्दीन ने अपनी जमानत के खिलाफ याचिका पर सुनवाई के दौरान कल सुप्रीम कोर्ट से दरख्वास्त करते हुए कहा था कि उसे दोबारा जेल न भेजा जाए. अगर कोर्ट आदेश दे तो वो सिवान या बिहार से बाहर कहीं भी रहने को तैयार है. शहाबुद्दीन को दोबारा जेल भेजने की मांग करने वाली याचिकाओं के विरोध में उसके वकील की ये आखिरी दलील थी. मंगलवार को चंद्रकेश्वर प्रसाद और बिहार सरकार के वकील ने शहाबुद्दीन को जेल भेजने के लिए जोरदार दलीलें रखी थीं. बुधवार को शहाबुद्दीन की तरफ से वरिष्ठ वकील शेखर नाफड़े ने कहा कि बहुत से लोग उसके खिलाफ पूर्वाग्रह से भरे हैं. यही पूर्वाग्रह जजों के सामने रखा जा रहा है. 

जेल में रहते हुए शहाबुद्दीन ने तोड़े सारे नियम : प्रशांत
प्रशांत भूषण ने कहा कि खुद शहाबुद्दीन ने आरोप से मुक्ति के लिए केस लड़ कर मुकदमे को लटकाया. उसने जेल में रहते हुए हर नियम को तोड़ा. तभी उसे सिवान से भागलपुर भेजा गया. लेकिन वो इसे भी अपने बचाव के लिए इस्तेमाल कर रहा है.

तेजाब हत्याकांड : एक नजर
सीवान के गौशाला रोड स्थित व्यवसायी चंद्रकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू की दुकान पर 16 अगस्त 2004 की सुबह आए कुछ गुंडों ने उनके बेटों से रंगदारी मांगी. इसी बीच बाहर से आए कुछ लोगों ने धमकी दी. विवाद बढ़ा तो बात मारपीट तक पहुंच गयी. बताया जाता है कि इसके बाद व्यवसायी के परिजन घर में भागे. उन्होंने वहां रखे तेजाब को गुंडों पर फेंक दिया, जिससे उनमें से कुछ जख्मी हो गयै. इसके बाद चंदा बाबू के तीन पुत्रों गिरीश, सतीश व राजीव का अपहरण कर लिया गया. अपहृतों की मां के बयान पर अज्ञात के विरुद्ध अपहरण का मामला दर्ज कराया गया. लेकिन, उन्हें तो शहाबुद्दीन के गांव प्रतापपुर पहुंचा दिया गया था.

इसके बाद आरोप है कि शहाबुद्दीन आए और अपने अंदाज में न्याय कर दिया. सतीश व गिरीश को तेजाब से नहलाकर मार डाला गया. फिर, उनके टुकड़े-टुकड़े कर नमक भरी बोरियों में डाल फेंक दिया गया. इस बीच किसी तरह भागने में कामयाब तीसरे भाई राजीव रौशन ने इस घटना को देखा था. हालांकि, बचाव पक्ष उनके जेल से बाहर आने से इंकार करता रहा है.

मामले के विचारण के दौरान वर्ष 2010-11 में अपहृतों के बड़े भाई राजीव रौशन ने बतौर चश्मदीद गवाह मंडल कारा में गठित विशेष अदालत में कहा था कि उसकी आंखों के सामने उसके दोनों भाईयों की हत्या शहाबुद्दीन के आदेश पर प्रतापपुर गांव में कर दी गयी थी. वह किसी तरह वहां से जान बचाकर भागा था और गोरखपुर में गुजर-बसर कर रहा था. इसके बाद 16 जून 2014 को चश्मदीद राजीव रौशन की भी हत्या कर दी गयी. फिर 09 दिसंबर को विशेष अदालत ने शहाबुद्दीन को इस मामले में दोषी करार देते हुए 11 दिसंबर 2015 को उम्रकैद की सजा दी.

शहाबुद्दीन ने तेजाब हत्याकांड में निचली अदालत के फैसले को चुनौती दी. इस बीच उन्हें एक-एक कर सभी मामलों में जमानत मिलती गयी. अंतत: तेजाब हत्याकांड के गवाह राजीव रौशन हत्याकांड में भी बेल मिलने के बाद वे जेल से रिहा होकर सिवान पहुंच गये.

अपराध की दुनिया में पहला कदम
मो. शहाबुद्दीन का जन्म 10 मई 1967 को हुआ था अौर 18-19 साल की उम्र में 1985 में उनपर पहला मुकदमा दर्ज हुआ था. राजद नेता को आठ मामलों में सजा सुनाई जा चुकी है. 2003 में डीपी ओझा के डीजीपी बनने के बाद शहाबुद्दीन पर शिकंजा कसता गया. उनके मुकदमों पर तेजी से कार्रवाई होने लगी. आगे 6 नवंबर 2005 को उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. तब से वे जेल में थे. 

इन मामलों में मिल चुकी है सजा
2007 में छोटेलाल अपहरण कांड में उम्र कैद की सजा हुई
2008 में विदेशी पिस्तौल रखने के मामले में 10 साल की सजा
1996 में एसपी एसके सिंघल पर गोली चलाई थी, 10 साल की सजा
1998 में माले कार्यालय पर गोली चलाई थी, दो साल की सजा हुई
2011 में सरकारी मुलाजिम राजनारायण के अपहरण मामले में 3 साल की सजा
03 साल की सजा हुई है चोरी की बाइक बरामद में
01 साल की सजा हुई जीरादेई में थानेदार को धमकाने के मामले में



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