Breaking News

गंगा नदी खतरे के निशान के ऊपर, पटना में बाढ़ का खतरा बिहार में बाढ़- 4 किमी नांव की डोली बना अपनी दुल्हन लेने पहुंचा लड़का चिराग को छोड़कर गए लोगों का नहीं है कोई जनाधार- कांग्रेस सुशांत मामले को लेकर राजद नेता तेजस्वी यादव का बयान, राजगीर मेंं बनने वाली फिल्म सिटी का नाम हो सुश बिहार में बाढ़ से 22 जिलों की हालत बदहाल, 82 लाख लोग हुए हैं प्रभावित सुशांत सिंह मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिया आदेश, सीबीआई करेगी मामले की जांच नीतीश कुमार ने दिया शिक्षकों को तोहफा, पूरे बिहार में कहीं भी ले सकते हैं तबादला नीतीश सरकार ने नियोजित शिक्षकों की नई सेवा शर्त लागू कर खेला 'मास्टर स्ट्रॉक' MenstrualHygieneDay पर जागरूकता के लिए उठाए जा रहे कदम, पर कम नहीं आलोचनाओं का जोर जद (यू0)- दलित-महादलित प्रकोष्ठ की राज्य कार्यकारिणी की संयुक्त बैठक गया में युवती से बलात्कार के बाद हत्या नियोजित शिक्षकों ने कहा जल्द उनकी मांगें पूरी नहीं तो आंदोलन आंगनवाड़ी सेविका-सहायिका का हड़ताल काफी दुखद- कृष्ण नंदन वर्मा मोतिहारी- २०१९ की चुनाव तैयारी में जुटा जिला प्रशासन रामगढ़- पतरातू डैम परिसर में अवैध पार्किंग टिकट के नाम पे वसूली


सर्दियों में इसलिए होता है बच्चों को निमोनिया

By समाचार नाउ ब्यूरो | Publish Date:18:19:20 PM / Thu, Dec 24th, 2015 |


जिस देश में 4.3 करोड़ लोग निमोनिया से पीड़ित हैं, वहां पर इसकी रोकथाम और जांच के बारे में खास कर सर्दियों में जागरूकता फैलाना बेहद आवश्यक है। इसका एक कारण यह भी है कि आम फ्लू, छाती के संक्रमण और लागातार खांसी के लक्षण इससे मेल खाते हैं। निमोनिया असल में बैक्टीरिया, वायरस, फंगस या परजीवी से फेफड़ों में होने वाला एक किस्म का संक्रमण होता है, जो फेफड़ों में एक तरल पदार्थ जमा करके खून और ऑक्सीजन के बहाव में रुकावट पैदा करता है। बलगम वाली खांसी, सीने में दर्द, तेज बुखार और सांसों में तेजी निमोनिया के लक्षण हैं। अगर आपको या आपके बच्चे को फ्लू या अत्यधिक जुकाम जैसे लक्षण हैं, जो ठीक नहीं हो रहे तो तुरंत डॉक्टर के पास जाकर सीने का एक्सरे करवाएं, ताकि निमोनिया होने या न होने का पता लगाया जा सके। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लयूएचओ) की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक, स्ट्रेप्टोकोकस निमोनिया पांच साल से छोटी उम्र के बच्चों के अस्पताल में भर्ती होने व मृत्यु होने का प्रमुख कारण है। इस बारे में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के महासचिव डॉ ने कहा, \'छोटे बच्चे, नवजातों और समय पूर्व प्रसव से होने वाले बच्चे, जिनकी उम्र 24 से 59 महीने है और फेफड़े पूरी तरह विकसित नहीं हैं, हवा नली तंग है, कमजोर पौष्टिकता और रोगप्रतिरोधक प्रणाली वाले बच्चों को निमोनिया होने का ज्यादा खतरा होता है।\' उन्होंने कहा कि अस्वस्थ व अस्वच्छ वातावरण, कुपोषण और स्तनपान की कमी की वजह से निमोनिया से पीड़ित बच्चों की मौत हो सकती है, इस बारे में लोगों को जागरूक करना बेहद आवश्यक है। निमोनिया कई तरीकों से फैल सकता है। वायरस और बैक्टीरीया अक्सर बच्चों के नाक या गले में पाए जाते हैं और अगर वह सांस से अंदर चले जाएं तो फेफड़ों में जा सकते हैं। वह खांसी या छींक की बूंदों से हवा नली के जरिये भी फैल सकते हैं। इसके साथ ही जन्म के समय या उसके तुरंत बाद रक्त के जरिये भी यह फैल सकता है। वैक्सीन, उचित पौष्टिक आहार और पर्यावरण की स्वच्छता के जरिये निमोनिया रोका जा सकता है। निमोनिया के बैक्टीरिया का इलाज एंटीबायटिक से हो सकता है, लेकिन केवल एक तिहाई बच्चों को ही एंटीबायटिक्स मिल पा रहे हैं। इसलिए जरूरी है कि सर्दियों में बच्चों को गर्म रखा जाए, धूप लगवाई जाए। यह भी जरूरी है कि उन्हें उचित पौष्टिक आहार और आवश्यक वैक्सीन मिले। नियूमोकोकल कोंजूगेट वैक्सीन और हायमोफील्स एनफलुएंजा टाईप बी दो प्रमुख वैक्सीन हैं, जो निमोनिया से बचाती हैं। लेकिन 70 प्रतिशत बच्चों को महंगी कीमत और जानकारी के अभाव की वजह से यह वैक्सीन लगवाई नहीं जाती।


Related News


आयुष को अंग्रेजी भाषा में स्‍थान मिला

दुबलापन है तो अपनाएं ये ट्रिक्स

लखनउ- होमियोपैथ की दवा पर 10 प्रतिशत की छूट

बिहार, यूपी एवं हिमाचल में अप्रैल में लांच होगी पीसीवी

खान-पान की आदतों के कारण दांत जल्दी पीले पड़ने लग

घरेलु नुक्से से करे बाबासीर का इलाज

कैसे कम करे अपने वजन को - डॉक्टर सरिता

बीमारियों की जड़ है कब्ज - दूर करने के सामान्य

अनिद्रा को ख़त्म करता है प्याज का सेवन

मसाज से घाट जायेगी पेट की चर्बी

डायबिटीज को कम करने में मददगार है योगासन

एसिडिटी होने पे घरेलु नुक्से से करे इलाज

Follow Us :

All rights reserved © 2013-2024 samacharnow.com