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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date:11:44:22 AM / Thu, Jun 30th, 2016 |
नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने अपने एक करोड़ मौजूदा और रिटायर्ड कर्मचारियों की तनख़्वाह और पेंशन बढ़ाने का ऐलान किया है। सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर सरकार ने नया वेतन और पेंशन तय किया है। जानिए इससे जुड़ी 10 बातें जो आपके लिए जानना है बेहद जरूरी...
1 जनवरी 2016 से लागू होंगी सिफारिशें
छठा वेतन आयोग 1 जनवरी, 2006 से लागू हुआ था और उम्मीद है कि सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी, 2016 से लागू होंगी और कर्मचारियों को एरियर दिया जाएगा। आमतौर पर राज्यों द्वारा भी कुछ संशोधनों के साथ इन्हें अपनाया जाता है। कहा जा रहा है कि नए वेतन ढांचे में सातवें वेतन आयोग ने छठे वेतन आयोग द्वारा शुरू की गई 'पे ग्रेड' व्यवस्था खत्म कर इसे वेतन के मैट्रिक्स (ढांचे) में शामिल कर दिया है और कर्मचारी का ओहदा अब ग्रेड पे की जगह नए ढांचे के वेतन से तय होगा।
सलाना 3% वेतन बढ़ाने की सिफारिश
वित्त मंत्री अरुण जेटली को सौंपी गई वेतन आयोग की रिपोर्ट में मौजूदा कर्मचारियों के मूल वेतन में 16%, भत्तों में 63% और पेंशन में 24% इजाफे की सिफारिश की गई है। न्यायमूर्ति एके माथुर की अगुवाई वाले इस सातवें वेतन आयोग ने सरकारी कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन 18 हजार और अधिकतम 2.50 लाख रुपये तय करने की सिफारिश की है। इसके अलावा आयोग ने केंद्रीय कर्मचारियों के वेतन में सालाना तीन फीसदी वृद्धि की भी सिफारिश की है।
सरकारी खजाने पर सलाना 1.02 लाख करोड़ का बोझ
आयोग की सिफारिशें जस की तस लागू करने पर सरकारी खजाने पर 1.02 लाख करोड़ रुपये का सालाना बोझ आएगा, जिसमें 28,450 करोड़ रुपये से अधिक का बोझ रेलवे बजट और बाकी 73,650 करोड़ रुपये आम बजट पर जाएगा।
सातवें वेतन आयोग को सरकार की ओर से मंजूरी मिल गई है। सैलरी में बढ़ोतरी 20 से 25 फीसदी के बीच होगी। सूत्रों के अनुसार, कैबिनेट ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से ज्यादा वेतनमान देने की मंजूरी दी है। हममें से कुछ इस बात को लेकर खुश हैं कि उनकी या उनके पारिवारिक सदस्यों की महीनेवार आय में बेतहाशा वृद्धि होने जा रही है, जबकि कुछ इस बाबत रश्क में हैं कि सरकार अपने अंडर में काम करने वाले बाबुओं, अधिकारियों, निदेशकों आदि की सैलरी बेतहाशा बढ़ा देती है। लेकिन, क्या वाकई ये बढ़ोतरी बेतहाशा और बेलगाम होती है? क्या वाकई सरकार के अंडर में काम करने वाला हरेक कर्मी अब रुपयों के ढेर पर बैठा होगा? जबकि, गैर सरकारी कर्मी सालाना मुद्रास्फीति और नौकरी की असुरक्षा के तहत मरता-पिसता रहेगा?
यदि आप भी ऐसा ही सोचते रहे हैं.. तो आइए कुछ चीजें समझें जिन पर अक्सर लोग संशय में देखे जाते हैं :
1. किस व्यक्ति की सैलरी कितनी बढ़ेगी, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि वह कितने समय से उस नौकरी में है और किस ग्रेड पर है। साथ ही, जिस ग्रेड में वह है, उसमें वह कब से है कितने सालों से है। जरूरी नहीं है कि किसी एक पद वाले प्रत्येक व्यक्ति की सैलरी एकदम बराबर ही बढ़े। यह उसके नौकरी के टेन्यौर जैसी अन्य कई अहम बातों पर भी निर्भर करता है। यह बढ़ोतरी हरेक के लिए अलग अलग कैलकुलेशन पर होगी।
2. वह व्यक्ति जो सरकारी मकान में रह रहा है, उसकी महीनेवार ड्रॉ होने वाली सैलरी में होने वाला इजाफा उस व्यक्ति की तुलना में कम होगा जोकि सरकारी मकान में नहीं रह रहा है। सरकारी मकान सैलरी पर असर एचआरए यानी हाउस रेंट अलाउंस के चलते पड़ेगा। जिस व्यक्ति ने रहने के लिए सरकार से हाउस लिया हुआ है जाहिर तौर पर उसकी सैलरी जो उसे महीनेवार मिलेगी, उसमें एचआरए का कंपोनेंट शामिल नहीं होगा।
3. इसी प्रकार से ट्रांसपोर्ट अलाउंस के चलते भी सैलरी पर असर पड़ेगा और इस मामले में भी कमोबेश एचआरए जैसा तर्क ही लागू होगा। डायरेक्टर या उससे ऊपर के ग्रे
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