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देश के असली खेवनहार

By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date:13:35:51 PM / Tue, Sep 13th, 2016 |


 एक आदमी इस देश की सेवा की बेहतरीन मिसाल खड़ी कर गया और हम उसको जानते तक नहीं. आलोक सागर, आईआईटी में प्रोफेसर हुआ करते थे. उनके छात्रों में रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन भी हैं. एक दिन आलोक सागर को लगा कि सिर्फ पढाना, खाना, कमाना ही जीवन नहीं है, वह कुछ और भी है. इस आदमी ने आईआईटी की प्रोफेसरी छोड़ी और वे मध्यप्रदेश के आदिवासी इलाके में चले गए. बैतूल और होशंगाबाद में आलोक सागर ने आदिवासियों के बीच काम करना शुरु किया. पिछले २६ साल से यह आदमी एक ऐसे गांव में रहता है, जहां ना तो बिजली है और ना ही सड़क. वे अबतक पचास हजार से ज्यादा पेड़ लगा चुके हैं. उनको लोग बीज बांटते और पौधा बांटते ही देखते हैं. मैने सोचा कि एक बार सुन लूं कि यह आदमी कह क्या रहा है और सुना तो देर तक सोचता रहा कि इतना जीवट और ऐसी सोच आम इंसान की हो ही नहीं सकती. आलोक कह रहे थे कि हम बस डिग्री दिखाने और अपनी काबलियत साबित करने में ही रह जाते हैं, हमने लोगों के लिए किया ही क्या- यह सोचते ही नहीं. सच तो यह है कि देश की सेवा जमीन पर उतरकर ही बेहतर तरीके से की जा सकती है. अब इससे भी बड़ी बात सुनिए. हाल में जब स्थानीय चुनाव हुए तो बैतूल के अधिकारियों ने कहा कि भाई आप ऐसे ही बीज बांटते, पेड़ लगाते रहते हैं- आपके बारे में लोग कम जानते हैं, सो फिलहाल आप जिले से बाहर जाइए, चुनाव है. तब उन्होंने अपनी डिग्री दिखाई और अपने बारे में बताया. अधिकारियों ने जांच करवाई और सारी बातें सही पाई गईं. जो आदमी तीन कुर्ते और एक साइकिल पर जीवन काटता हो, कई भाषाएं फर्राटेदार बोलता हो , आदिवासियों का जीवन बेहतर करने में अपना जीवन खपाता हो, आईआईटी दिल्ली से इंजीनियरिंग की हो और ह्यूस्टन से पीजी और पीेएचडी किए हुए हो वह कितना महान है, एक बार ठीक से सोचिएगा. आलोक सागर से मिलना ज़रुर है और वह भी जल्द.



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