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कुछ कर गुजर गए वे लोग और थे.......

By समाचार नाउ ब्यूरो | Publish Date:19:27:03 PM / Thu, Dec 31st, 2015 |


कुछ कर गुजर गए वे लोग और थे......... साल 2015 कई यादों को देकर जा रहा है कई बडी टीस भी मन को आजीवन के लिए दे गया है.... जी हां हम बात कर रहे हैं उन हस्तियों की जो साल 2015 में सदा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह गए.... वैसे लोगों के लिए शायद ये पंक्तियां विल्कुल ठीक हैं नियम यह है विघाता का .सभी आकर चले जाते मगर कुछ लोग एसे हैं .जो जाकर भी नहीं जाते न सब धनवान होते हैं ..न सब भगवान होते हैं दयालू लोकप्रिय सतपाल…भले इंसान होते है 1. डा एपीजे अब्दुल कलाम- देश के मिशाइल मैन और अपतक के सबसे लोकप्रिय राष्ट्रपति कहा जाय तो गलत नहीं होगा.... भारत को विश्व फलक पर धाक जमाने लायक किसी ने बनाया तो कलाम साहब ने... 1931 अक्टूबर में जन्में कलाम साहब हमें 27 जुलाई 2015 को सादा के लिए छोड कर चले गए... 2. ब्रज मोहन मुंजाल- हिम्मत कुछ कर गुजरने की हो तो रास्ते बाधक नहीं होते..... डा एपीजे अब्दुलकलाम केा आर्दश मानने वाले हीरो ग्रुप कें संस्थापक ब्रजमोहन मुंजाल का एक नवम्बर 2015 को निधन हो गया.... साइकिल बनाने से लेकन देश की घडकन हीरो होंडा मोटरसाइकिल से देश को दौडाने वाले इस अजीमों शाह सख्स ने परेशानियों से लडने का गजब का जज्बा दिखया... 1932 में पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में ये पैदा हुए थे 1943 में पंजाब और उसके बाद सदा के लिए लुधियाना मे आकर बस गए.... 2. डा कैलास वाजपेयी- विश्व स्तर पर हिन्दी को बताने वाले देश के अनमोल धरोहर डा कैलास वाजपेयी का एक अप्रैल 2015 को निधन हुआ... उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में 11 नवम्बर 1936 को इनका जन्म हुआ था। 3. विनोद मेहता- हिन्दी के जाने माने विद्वान और आउटलुक के संपादक रहे विनोद मेहता का 8 मार्च 2015 को निधन हुआ 1942 में जन्में मेहता रावलपिंडी अब पाकिस्तान में है से भारत आए और यहा की पत्रकारिता में बडा काम किया 4. एम एम कुलबुर्गी- कर्नाटक की राजनीति में जातीय समूह के लिगायत समुदाय की लडाई लडने वाले एम एम कुलबर्गी की हत्या 30 अगस्त को उनमे आवास के पास ही कर दी गयी कुलवर्गी ने 130 से ज्यादा किताबे लिखी है और 400 से ज्यादा लेख जिसने सामाजिक बदलाव को एक नयी दिशा दी 5. रमाशंकर यादव, विद्रोही- अगर जमीन पर भगवान जम सकता है तो आसमान पर धान भी जम सकता है.... सोच के अथाह सागार और हिन्दी के जाने माने साहित्यकार विद्राही का 8 दिसम्बर को निधन हुआ .... वर्ष 2011 में मैं तुम्हारा कवि हो नाम की एक फिल्म भी उनके नाम पर बनी 6. गाविंद पानसरे- वामपंथी विचार घारा के पानसरे की 16 फरवरी को अज्ञात बंदूकधारियो ने उन्हें गाली मार दी जिससे 20 फरवरी को उनका निधन हो गया ... 1933 में महाराष्ट्र मे जन्मे पनसरे मलीन बस्तियों और श्रम संगठनों के लिए पूरे जीवन लडते रहे 7. जानकी बल्लभ पटनायक- ओडिसा के मुख्यमंत्री और असम के राज्यपाल रहे जानकी बल्लभ पटनायक ओडिसा के ग्रामीण विकास को लेकर काफी काम किया.... 21 अप्रैल 2015 को उनका निधन हुआ 8. अशोक सिंहल- अयोघ्या में राम मंदिर निर्माण के नायक और उसे एक आंदोलन की शक्ल देने वाले और विश्व हिन्दू परिषद के संरक्षक का निधन 17 नवम्बर को हुआ... 20 वर्षों तक विश्व हिन्दू परिषद के कार्यवाहक अघ्यक्ष रहे और पूरे जीवन राम मंदिर के निर्माण के लिए लडते रहे 9. राम सुन्दर दास- बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री राम सुन्दर दास का निधन 6 मार्च 2015 को हुआ... 1921 में जन्में राम सुन्दर दास समाजवादी नेता थे और देश की आजादी की लडाई में भी शामिल रहे 10. सुभाष धिसिंग- पहाड की परेशानी को सरकार तक पहुचाने का बीडा उठाया और गोरखा नेशनल लिब्रेसन फ्रंट की की स्थाना की... 29 जनवरी को उनका निधन हुआ.... धिसिंह ने अलग गोरधा लैंड राज्य की स्थापना के लिए आदोलन शुरू किया जिसने काफी राजनीतिक चर्चा हासिल की थी।


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