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चीन की मंदी के बीच भारतीय उद्योगों को तरक्की का मोदी मंत्र
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samachar now bureau | Publish Date:20:32:30 PM / Tue, Sep 8th, 2015 |
फिक्की के अगस्त 2015 के बिजनेस कॉन्फिडेंट सर्वे में भी ये उभरकर आया है कि देश में बिजनेस कॉन्फिडेंस इंडेक्स गिरा है यानी कारोबार में दिक्कतें हैं तो क्या है देश के उद्योगों और कॉरपोरेट के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का अर्थ मंत्र। प्रधानमंत्री ने मंदी के इस माहौल में मौके तलाशने का मंत्र दिया है। पीएम मोदी ने कहा कि चीन की मंदी भारत के लिए बढ़िया मौका है। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता का फायदा उठाने के लिए उद्योगों को जोखिम उठाना होगा। साथ ही ये भी भरोसा दिलाया कि सरकारी खर्च बढ़ाया जाएगा और कृषि को आधुनिक बनाकर मॉनसून पर इसकी निर्भरता को न्यूनतम स्तर पर लाया जाएगा। वैसे इस बैठक के मुख्य रूप से तीन नतीजे निकाले जा सकते हैं।
पहला ये कि भारत बुनियादी तौर पर मजबूत है और इसी कारण से चीन की मंदी का असर भारत पर बहुत कम हुआ। दूसरा कारोबार करने की प्रक्रिया को आसान बनाने की और तेजी से जरूरत है और तीसरा उद्योगों से जुड़े अन्य मुद्दे। हालांकि माना जा रहा था कि इस बैठक में जीएसटी और लैंड बिल पर गहरी चर्चा होगी, लेकिन जीएसटी पर सरसरी बातचीत के अलावा किसी अन्य अधिनियम पर कोई बात नहीं हुई। इस बैठक से ये भी साफ हुआ कि आने वाले दिनों में सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में सरकारी खर्च बढ़ाएगी। एक संदेश प्रधानमंत्री ने और दिया वो ये कि जब मेक इन इंडिया जैसे कार्यक्रमों से विदेशी निवेश को न्योता दिया जा रहा है तो घरेलू निवेश में भी बढ़ोत्तरी जरूरी है। जाहिर है ये आम लोगों के लिए अच्छी खबर है क्योंकि घरेलू निवेश बढ़ेगा तो जॉब क्रिएशन यानी ज्यादा नौकरियों की संभावना बनेगी। उधर ये बात भी सामने आई है कि अगर चीन अपने आर्थिक हालात काबू में करने के लिए यूआन की वैल्यू कम कर रहा है तो क्या भारत को भी रुपये की वैल्यू कम करने की जरूरत है क्योंकि इससे निर्यातकों को काफी आसानी होगी।
बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भी कहा कि इस वक्त देश की अर्थव्यवस्था उथल-पुथल के दौर से गुजर रही है और ये हालात कुछ दिन तक ऐसे ही रहने की आशंका है क्योंकि एक मोर्चे पर हालात काबू में आने के बाद एक नई समस्या सामने आ जाती है, लेकिन उन्होंने भी भरोसा दिलाया कि इसका भारत पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा। प्रधानमंत्री के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम की भी राय यही है कि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कृषि क्षेत्र को मजबूत करना होगा क्योंकि इस क्षेत्र का व्यापक असर पूरी अर्थव्यवस्था पर पड़ता है। लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की घटती कीमतें, बहुत बड़ा मानव संसाधन, विस्तारित घरेलू बाजार और छोटे और मझोले कारोबार का जाल ऐसे संसाधन हैं जो देश को किसी भी वैश्विक आर्थिक संकट से उबारने में सदा कारगर साबित हुए हैं।
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