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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date:17:07:04 PM / Sat, Oct 1st, 2016 |
विगत 15 सितंबर को देश में अभियंता दिवस या "Engineers Day" मनाया गया। मैंने भी इस उपलक्ष्य पर Engineers Association द्वारा आयोजित दो कार्यक्रमों में शिरक़त की। कार्यक्रम में technology के जगत से पारंगत अभियंताओं के बीच मैंने बिलकुल भी खुद को अलग-थलग या असहज नहीं पाया। इसका कारण मैं मानता हूँ कि मेरा शुरू से सदैव हर वस्तु के तकनीकी पहलू के प्रति जिज्ञासु होना। एक बार बच्चे के अंदर किसी भी प्राकृतिक प्रवृत्ति और आसपास रखी वस्तुओं के विभिन्न पहलुओं के बारे में जिज्ञासा पैदा हो जाए, और उस जिज्ञासा को शांत करने के लिए वह एकदम व्याकुल हो जाए, तो मेरी समझ से यह बच्चे के उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभ संकेत हैं। हमारे अभिभावकों, शिक्षकों और शिक्षा तंत्र को सवाल पूछने, जिज्ञासा जागृत होने, खुद शोध या प्रयोग द्वारा अपने अंदर के कौतुहल और प्रश्नों के हल ढूंढने की ललक को ही बढ़ावा देना चाहिए।
किसी भी बच्चे की तरह बचपन में खिलौनों को तोड़ने और फिर उन्हें जोड़ने में मुझे भी बहुत आंनद आता था। जितने भी खिलौने मेरे पास होते थे, उन्हें मैं पुर्जे पुर्जे करने में तनिक भी देर नहीं लगाता था। फिर उसे पुनः जोड़कर पुराने रूप में ले आना मुझे सुखद अनुभूति देता था। शुरू से ही विभिन्न औज़ारों, मशीनों और उपकरणों के working principles को जानना मेरा स्वभाव रहा है।
यह अक्सर कहा जाता है कि वह ज्ञान व्यर्थ है जिसकी उपयोगिता आम जनजीवन के कष्ट निवारण या सुविधा उत्पन्न करने में ना हो। और यह श्रेय हमारे देश के अभियंताओं को जाता है जो अपने ज्ञान और प्रयोगों से सदैव मानव जीवन को निरन्तर सुरक्षित, सहज और सुविधाजनक बनाते रहे हैं। हमारे बिहार के अभियंताओं का विशेष रूप से इस मातहत विशेष रूप से प्रशंसक रहा हूँ। इसका एक और बड़ा कारण यह है कि वे लंबे समय से सीमित संसाधनों का सदुपयोग करते हुए बिहार जैसे ग़रीब राज्य में सदा से आधारभूत संरचना पर काम करते हुए उसे सुदृढ़ बनाते आए हैं।
यह सच है कि पथ निर्माण, पुल निर्माण और भवन निर्माण के लिए मेरा सम्पर्क अधिकतर Civil Engineers से ही होता है, परंतु Engineering का कोई भी ट्रेड दूसरे ट्रेड से अछूता नहीं रह सकता। इसलिए अपने पाठ्यक्रम के core sector में घुसने से पहले हर इंजीनियर को दूसरे ट्रेड के मूल भूत सिद्धान्तों से अवगत करवाया जाता है। जहाँ एक ओर Civil engineers Electrical, Electronics Engineers द्वारा बनाए उपकरणों पर निर्भर करते हैं, वहीं IT Engineers की Programming, Customised programs और CAD (Computer Aided Drawing) और Computer Engineers के Computer devices व interface उनका काम आसान करते हैं। जैसे जैसे ज्ञान बढ़ते गया, वैसे वैसे नए नए Engineering के आधुनिक ट्रेड भी आते गए। शुरुआत में Electrical, Mechanical और Civil- तीन ही ट्रेड हुआ करते थे। धीरे धीरे ज्ञान का दायरा बढ़ने से Electrical से Electronics और Computer Engineering बना और Computer से IT Engineering आया और Electronics में Communication भी जोड़ दिया गया। वहीं Mechanical से Production, Instrumentation, Chemical और Textile Engineering निकले और Mechanical और Electronics को मिलाकर Mechatronics बनाया गया। यह दिखाता है कि ज्ञान बढ़ते जाने के कारण ट्रेड का विभाजन जहाँ अत्यावश्यक हो गया, वहीं विभिन्न ट्रेड के बीच का अंतर धूमिल होता चला गया और पारस्परिक निर्भरता ही एकमात्र मार्ग रह गया।
हम सब के जीवन पर अभियंताओं का किसी ना किसी रूप में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। ठीक उसी तरह बिहार के Engineers का सकारात्मक प्रभाव बिहार के विकास, बिहारवासियों के आम जन जीवन और बिहार की तेज़ी से सुधरती आधारभूत संरचना पर पड़ा है। बिहार अपेक्षाकृत कम संसाधनों वाला राज्य है। अपनी संसाधनों की सीमाओं को नकारते हुए विकास की गाड़ी को बिहार सरकार द्रुतगामी प्रभाव से भगाने को कटिबद्ध है। और बिहार सरकार के इस दृढ़ संकल्प को अमलीजामा पहनाने में बिहार के सक्षम और कर्मठ अभियंताओं का पूरा पूरा सहयोग मिल रहा है। बिहार की जनता और बिहार सरकार को बिहार की विकास गति को बल देने के लिए बिहार के सुयोग्य अभियंताओं का आभारी होना चाहिए।
हाल ही में एक अध्ययन के नतीजे आने पर यह दावा किया गया कि बिहार, पंजाब और दिल्ली के इंजीनियर देश में सबसे अधिक योग्य हैं। बिहार मूल के इंजीनियर अपनी पढ़ाई बिहार में करें अथवा बाहर जाकर, पर उनकी नींव बिहार में ही तैयार होती है। बिहार के अभियंताओं पर बिहार की जनता को गर्व है जिन्होंने अपनी काबिलियत और कर्मठता के दम पर पूरे देश में बिहार का नाम रौशन किया है। बिहार की जनता उनसे अपेक्षा करेगी कि इसी प्रकार वे निरन्तर राज्य और देश की पूरी ईमानदारी से सेवा करते रहेंगे और अपनी योग्यता का लोहा मनवाते रहेंगे।
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