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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date:19:03:01 PM / Fri, Aug 12th, 2016 |
नयी दिल्ली : दलित मुद्दों पर आज लोकसभा में चर्चा हुई . चर्चा के अंत में गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने सरकार का पक्ष सामने रखा. उन्होंने कहा, 70 सालों के बाद भी दलित मुद्दों पर हो रही चर्चा से पीड़ा होती है. वैसे लोग जो समाज में पीछे रह गये, दलित पर हो रहे अत्याचार को लेकर हमें मिलकर कोशिश करनी होगी. उन लोगों को साथ लेकर चलना होगा.
गृहमंत्री ने अपने वक्तव्य में कई महापुरुषों का उल्लेख किया. स्वामी विवेकानंद ने कहा था जब तक दलितों का उत्थान नहीं होता भारत का विकास नहीं हो सकता. स्वामीविवेकानंद के अंदर भी यह पीड़ा थी. महात्मा गांधी ने अपृश्यता के बारे में कहा कि हरिजनों के साथ वैसा व्यवहार करें जैसा हम अपन भाई बहनों के साथ करते हैं, बाबा साहेब ने कहा, राष्ट्रवाद तभी औचित्य है जब जातपात और रंगभेद को दूर किया जाए.
दलित उत्पीड़न को रोकने के लिए उनके विकास के लिए कानून बना रही है नयी योजनाएं ला रही है. सबसे पहले 1955 में एक कानून लाया गया था. इसके बाद भी पाया गया कि उनका सामाजिक विकास नहीं हो पा रहा. उनके शैक्षिक स्तर को बढ़ाने का प्रयास किया गया. इसके बावजूद भी उन पर अत्याचार जारी था. इसे दूर करने के लिए 1989 को शिड्यूल कास्ट एंड शिड्यूल ट्राइप आया इसमें हमने संशोधन करके कई चीजें जोड़ी है.
भ्रम फैलाने की कोशिश
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, हमारी सरकार के आने के बाद यह भ्रम फैलाने की कोशिश की जा रही है कि दलितों पर अत्याचार बढ़े हैं. अगर दिल पर हाथ रखकर जवाब देंगे तो इसका जवाब नहीं है. आपके पास प्रमाण कहा है, आकड़े कहां है. राजनाथ सिंह ने तीन सालों का डाटा पेश करके यह बताने की कोशिश की कि यह लगातार होते आये हैं. हमारी कोशिश है कि इस मानसिकता को कैसे दूर किया जाए. हमने दो साल में वो कर दिया जो आप 55 सालों में नहीं कर पाये
प्रधानमंत्री की चुप्पी पर भी दिया जवाब
गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, हमेशा सवाल उठते हैं कि प्रधानमंत्री क्यों नहीं बोलते आज तक का इतिहास उठा कर देख लीजिए, क्या किसी प्रधानमंत्री ने अबतक सारे मुद्दों पर अपनी बात रखी है. प्रधानमंत्री ने कई मामलों में सीधा संदेश दिया है. लोग सवाल खड़े करते हैं कि प्रधानमंत्री वहां क्यों बोले यहां क्यों नहीं बोले. सरकार ने कई कार्यक्रम दलितों के हितों में चलाये है जिसका जिक्र पहले भी नेताओं ने किया है. अबतक किसी ने ऐसी योजनाएं नहीं चलायी.
छुआछूत पुरानी परंपरा नहीं
रामायण और महाभारत की रचना जिसने की आज उन्हें दलित कहा जाता है. भारतीय मुल्यों मान्यता इन रचनाओं से है. मध्यकाल में भी ऐसे कई संतो के नाम है जिन्होंने समाज का मार्गदर्शन किया. बाबा साहेब की पुस्तक का जिक्र करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, छुआछूत पुरानी परंपरा नहीं है. हमें उस वक्त के हालात पैदा करने की जरूरत है. राजनाथ ने दलित मुद्दों की सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट की भी जानकारी दी. राजनाथ ने दूसरे सांसदों द्वारा किये गये सवालों के जवाब दिये. राजनाथ ने कहा, हमें इस पर एक संकल्प लेने की आवश्यता है. मैं राज्य सरकार से भी उम्मीद करता हूं दलित मुद्दों पर हर सरकार गंभीर होगी. उत्पीड़न करने वालों को कठोर सजा मिलेगी.
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