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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और बीजेपी नेताओं की को-ऑर्डिनेशन कमेटी की बैठक
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samachar now bureau | Publish Date:17:16:14 PM / Wed, Sep 2nd, 2015 |
नई दिल्ली. दिल्ली में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और बीजेपी नेताओं की को-ऑर्डिनेशन कमेटी की मीटिंग चल रही है। तीन दिन तक चलने वाली इस बैठक की शुरुआत में ही विश्व हिंदू परिषद (VHP) ने राम मंदिर का मुद्दा उठाया। VHP नेताओं ने सरकार से कहा है कि राम मंदिर के मुद्दे पर लोगों के बीच गलत मैसेज जा रहा है, इसलिए सरकार को इस पर पॉजिटिव तरीके से आगे बढ़ना चाहिए, जिससे लोगों में कोई गलतफहमी न रहे। खास बात यह है कि बीजेपी के वरिष्ठ नेता और मार्गदर्शक मंडल के सदस्य लालकृष्ण आडवाणी बैठक से नदारद दिखे।
बैठक में शामिल हुए कई केंद्रीय मंत्री
दिल्ली के वसंत कुंज स्थित मध्यांचल भवन में हो रही इस बैठक के पहले दिन गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली, बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह,रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज शामिल हुईं।
बैठक में संघ के बड़े पदाधिकारियों सहित संघ प्रमुख मोहन भागवत भी शामिल हैं। पीएम नरेंद्र मोदी के भी तीसरे और आखिरी दिन बैठक में शामिल होंगे।
इन मुद्दों पर हुई चर्चा
बैठक में शामिल RSS के 93 मुख्य पदाधिकारी और उसके 15 सहयोगी जरूरी मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं। पहले दिन की बैठक में जम्मू-कश्मीर में बनी बीजेपी-पीडीपी सरकार और धारा 370 को लेकर भी चर्चा हुई। इसके अलावा आने वाले दिनों में जनगणना के आंकड़ों और \'वन रैंक, वन पेंशन\' जैसे मुद्दों पर भी चर्चा होगी। संघ और बीजेपी नेताओं के बीच हो रही यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है, क्योंकि यह बिहार चुनाव से पहले हो रही है। हालांकि, संघ का कहना है कि बैठक में सामाजिक मुद्दों पर ही चर्चा होगी। गौरतलब है कि को-ऑर्डिनेशन कमेटी की यह बैठक साल में दो बार होती है।
मोदी सरकार का अप्रेजल हो रहा है?
बीजेपी-आरएसएस की को-ऑर्डिनेशन कमिटी की बैठक पर विपक्षी दलों ने निशाना साधा है। नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अबदुल्ला ने ट्वीट किया है। उमर ने लिखा कि \'तो आरएसएस मोदी सरकार के प्रदर्शन का 3 दिन तक अप्रेजल करेगी, क्या कोई अब भी ये बताना चाहता है कि ये आरएसएस कोई सामाजिक संगठन है।\'
आपको बताते चलें कि अप्रेजल वह प्रक्रिया होती है जिसमें कोई संस्था या कंपनी अपने कर्मचारियों के काम का मूल्यांकन कर उनके काम की सराहना या आलोचना करते हुए वेतन और भत्तों में बढोतरी या कमी करती है
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