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उत्तर प्रदेश में रालोद उम्मीदवारों का समर्थन करेगा जनता दल (यू)-शरद यादव
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समाचार नाउ ब्यूरो | Publish Date:18:06:09 PM / Mon, Feb 1st, 2016 |
लखनऊ/पटना: जनता दल (यू) ने आज ऐलान किया कि वह उत्तर प्रदेश के तीन विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव के लिए रालोद उम्मीदवारों का समर्थन करेगा वहीं वह बिहार में महागठबंधन के प्रयोग की सफलता के बाद अगले साल उत्तर प्रदेश में होने वाले चुनावों के लिए अजीत सिंह की पार्टी के साथ-साथ कांग्रेस और अन्य दलों से गठजोड की संभावना भी तलाश रहा है.
जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने लखनउ में पार्टी की प्रदेश कार्यसमिति की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘हमारी पार्टी 13 फरवरी को राज्य में होने वाले उपचुनावों में सभी तीन सीटों पर रालोद उम्मीदवारों का समर्थन करेगी.\' उन्होंने यह घोषणा करते हुए कहा कि राज्य में एक महागठबंधन के लिए बातचीत के दरवाजे खुले हैं और वार्ता जारी है लेकिन अभी तक कुछ ठोस नतीजा नहीं निकला है.
उत्तर प्रदेश की बीकापुर, मुजफ्फरनगर और देवबंद विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं. बिहार में अपनी सफलता से अभिभूत जदयू राजनीतिक रूप से इस महत्वपूर्ण राज्य में भी गठबंधन के लिए रालोद से बातचीत कर रहा है.सूत्रों का कहना है कि रालोद के प्रमुख अजीत सिंह ने कुछ दिन पहले जदयू अध्यक्ष यादव के साथ बैठक की थी. बैठक में दोनोंनेताओं ने भाजपा के खिलाफ एक बडा गठबंधन बनाने की विस्तृत रुपरेखा पर चर्चा की है. इस गठबंधन पर चर्चा एक ऐसे समय में की जा रही है, जब राज्य के दोनों बडे दलों सपा और बसपा ने अकेले चुनाव लडने का फैसला किया है.
रालोद प्रमुख ने पिछले माह दिल्ली में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ भी इस मुद्दे पर चर्चा की थी. नीतीश उस समय यादव की आत्मकथा के विमोचन के अवसर पर यहां आए थे. सूत्रों ने कहा कि पीस पार्टी के अध्यक्ष अयूब अंसारी ने भी इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए नीतीश कुमार और जदयू के महासचिव के.सी. त्यागी से मुलाकात की थी। पूर्वी उत्तर प्रदेश में, विशेषकर गोरखपुर के आसपास के इलाकों में पीस पार्टी की मौजूदगी है.
उत्तरप्रदेश से आने वाले पार्टी के वरिष्ठ नेता त्यागी को पश्चिमी उत्तरप्रदेश में रालोद और जदयू की एक संयुक्त रैली आयोजित करने की जिम्मेदारी दी गई है. उन्होंने कहा, ‘‘हम भाजपा विरोधी किसी भी अभियान या मोर्चे का हिस्सा बनने के लिए उत्सुक हैं.\' उन्होंने कहा, ‘‘पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ऐसे किसी भी अभियान में रालोद एक अहम घटक है. पश्चिमी उत्तरप्रदेश में रालोद को साथ लिए बिना कोई भी बडा गठबंधन सफल नहीं हो सकता।\' जदयू के सूत्रों ने कहा है कि पार्टी असम में कांग्रेस के साथ गठबंधन बनाने के लिए उत्सुक है लेकिन कांग्रेस की प्रदेश इकाई इसके लिए इच्छुक नहीं है.
वर्ष 1991 में जब मुलायम सिंह यादव और चंद्रशेखर ने अपने रास्ते वी पी सिंह से अलग कर लिये थे और समाजवादी जनता पार्टी बनाई थी, उस समय उत्तरप्रदेश में जनता दल के 22 सांसद थे. उस समय से जनता दल और बाद में जदयू का ग्राफ वहां गिरता गया। वर्ष 1996 में शरद यादव के नेतृत्व वाली पार्टी के पास छह विधायक थे। वर्ष 2002 के चुनाव में यह संख्या दो पर सिमट गई.
बिहार में जीत से उत्साहित पार्टी को लगता है कि वह उत्तरप्रदेश में रालोद और कांग्रेस जैसे दलों के साथ गठबंधन करके अपनी मृतप्राय पडी प्रदेश इकाई में नई जान फूंक सकती है.
बिहार में राजद के साथ गठबंधन सरकार चला रहे जदयू को उम्मीद है कि यदि यह धर्मनिरपेक्ष गठबंधन बन जाता है तो सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव के साथ रिश्तेदारी होने के बावजूद लालू प्रसाद इसके लिए प्रचार करेंगे. जब यादव से पूछा गया कि क्या भविष्य के गठबंधन मंे सपा की कोई भूमिका होगी तो उन्होंने कहा, ‘‘हमने उन्हें महागठबंधन का नेता बनाया लेकिन उन्होंने इसे छोड दिया.\' बिहार चुनाव के दौरान सपा प्रमुख मुलायम सिंह जदयू-राजद-कांगे्रस के महागठबंधन से बाहर हो गए थे और तब उन्होंने चुनाव लडने के लिए तीसरा मोर्चा बना लिया था.
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