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आर्थिक प्रगति के लिए राज्यों को ध्यान में रखकर नीति बनाये केंद्र - नितीश

By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date:16:16:34 PM / Tue, Aug 16th, 2016 |


15 अगस्त को नितीश का संबोधन 

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज कहा कि देश में नीतियां ऐसी बननी चाहिए जिससे कि जो पिछडे राज्य हैं उन्हें भी आगे आने का मौका मिले. 70वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पटना के गांधी मैदान में राष्ट्र ध्वज तिरंगा फहराने के बाद अपने संबोधन में नीतीश ने कहा कि केंद्र सरकार को ऐसी नीतियां बनानी चाहिए, जिससे पिछड़े राज्यों को भी आगे आने का मौका मिले. कुमार ने 12वीं पंचवर्षीय योजना से इतर वर्ष 2030 तक के लिए दृष्टिपत्र और रणनीति तैयार करने को लेकर नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढिया के पत्र का जिक्र करते हुए ये बात कही. कुमार ने कहा अगर केंद्र संपूर्ण देश का एक तरह से विकास चाहता है तो उसे ऐसी नीतियां बनानी होगी कि जो राज्य पिछडे हैं उसपर विशेष ध्यान देना होगा.

उन्होंने कहा कि इस प्रकार की नीतियां बनायी जानी चाहिए और इसी को ध्यान में रखकर बिहार को विशेष राज्य का दर्जा जरुर मिलना चाहिए ताकि यहां और उद्योग लगें और युवाओं को रोजगार मिल सके. विपक्ष के बिहार में शराबबंदी के कारण उससे प्राप्त होने वाली राजस्व की हानि के कारण प्रदेश में आर्थिक समस्या उत्पन्न होने तथा हाल में केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (एसएसओ) द्वारा जारी आंकडों में बिहार की विकास दर 2015-16 में घटकर करीब आधा 7.14 प्रतिशत हो जाने को लेकर राज्य सरकार को निशाना बनाए जाने की की ओर इशारा करते हुए नीतीश ने कहा हमारी आर्थिक स्थिति बेहतर होती चली गयी है.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि वर्ष 2005-06 में जब बिहार वासियों ने मुझे काम करने का पहली बार अवसर प्रदान किया था. उस साल का वार्षिक बजट 22600 करोड रुपये का था. जो दस वर्षों में बढकर 2016-17 में एक लाख 44 हजार करोड रुपये हो गया है. उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि अब किन्हीं को यह आर्थिक प्रगति नहीं दिखायी पडती है तो मैं उनकी कोई सहायता नहीं कर सकता हूं, लेकिन आंकडे इस बात के सबूत हैं कि कितनी तेजी से प्रगति हुई है.

नीतीश ने कहा कि इसी प्रकार बिहार में योजना का व्यय जो पहले 4300 करोड रुपये (वर्ष 2005-06 में) था वह अब 2015-16 में बढकर 53400 करोड रुपये हो गया है. उन्होंने कहा कि बिहार में वर्ष 2005-06 में कर राजस्व की प्राप्ति 3500 करोड रुपये हुई थी वह 2015-16 में बढकर 25400 करोड रुपये हो गया है. नीतीश ने कहा कि अगर विकास नहीं हुआ और हालात नहीं बदले और लोग बेहतरी की ओर नहीं गए आर्थिक तरक्की नहीं हो रही है तो टैक्स की इतनी रकम कहां से आ रही है.

उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षों में 2004-05 के स्थिर मूल्यों पर बिहार का औसत विकास दर दस प्रतिशत से अधिक रहा है और जो हमारे न्याय के साथ विकास कार्यक्रम रहे हैं जिसके तहत और समाज के हर तबके का उत्थान, हर इलाके का विकास इसी को विकास कहते हैं. विकास का मतलब यह नहीं है कि विकास के कुछ टापू अथवा द्वीप बन जाएं (एक राज्य विकसित होता चला जाए और दूसरा राज्य पिछडता रहे). विकास का मतलब होता है इसका लाभ और रौशनी हर घर तक पहुंचे. इसी को हम मानते हैं न्याय के साथ विकास.

नीतीश ने कहा कि बिहार में बुनियादी ढांचे सहित हर क्षेत्र में विकास लोगों के सामने है और जारी कार्यक्रमों को आगे बढाते हुए 2015 से 2020 तक के लिए सुशासन के कार्यक्रम तय किए हैं. उन्होंने कहा कि इसके तहत कृषि रोडमैप, मानव एवं कौशल विकास, आधारभूत संरचना, औद्योगिक प्रोत्साहन एवं निवेश के कार्यक्रम का सफल क्रियान्वयन के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, कल्याण एवं सामाजिक सुरक्षा की योजना से लाखों लोग लाभांवित हुए हैं तथा इसे और आगे बढाना चाहते हैं.



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