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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date:20:19:33 PM / Sat, Jun 25th, 2016 |
पटना २५ जून - पूर्व उपमुख्यमंत्री सुषील कुमार मोदी ने राजद के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद को पत्र लिख कर कहा है कि मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्पष्टीकरण के बावजूद कि केन्द्रीय विष्वविद्यालयों में सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति में आरक्षण की व्यवस्था में कोई बदलाव नहीं किया गया है, वे नाहक में भ्रम फैला रहे हैं। मोदी ने अपने पत्र में लालू प्रसाद का ध्यान बिहार सरकार द्वारा दलित, पिछड़ा तथा अतिपिछड़ा वर्ग के छात्रों को दी जाने वाली छात्रवृत्ति की राषि एक-डेढ़ लाख रुपये से घटा कर अधिकतम 15 हजार रुपये तक सीमित करने की ओर आकृष्ट किया है। उन्होंने कहा है कि सरकार की इस कार्रवाई से हजारों दलित, पिछड़े व अतिपिछड़े वर्ग के छात्रों को बीच में पढ़ाई छोड़ने के लिए विवष होना पड़ रहा है।
लालू प्रसाद को ‘अफवाह मास्टर’ की संज्ञा देते हुए मोदी ने कहा है कि विगत विधान सभा चुनाव में भले ही आरक्षण के मुद्दे पर गलतफहमी पैदा करके वे वोट ले लिए मगर हर बार जनता को भ्रमित करने की उनकी तरकीब कारगर नहीं होगी। जब केन्द्र सरकार और मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि सहायक प्राध्यापकों की नियुक्ति में आरक्षण की जो व्यवस्था यूपीए सरकार के दौरान 09 अक्तूबर, 2006 और 24 जनवरी, 2007 को विष्वविद्यालय अनुदान आयोग की ओर से गाइड लाइन जारी कर लागू की गई थी वहीं आज भी बहाल है तो फिर बार-बार जानबूझ कर लालू प्रसाद भ्रम पैदा करने की कोषिष कर रहे हैं। लालू प्रसाद लाख प्रयास कर लें, इस बार उनकी दाल गलने वाली नहीं है।
मोदी ने अपने पत्र में लिखा है कि यूपीए सरकार जिसमें लालू प्रसाद रेल मंत्री थे के समय जारी गाइडलाइन के मुताबिक ही प्राध्यापकों को आरक्षण दिए जाने की व्यवस्था आज भी बहाल है। अगर लालू प्रसाद को कोई एतराज था तो उस समय चुप क्यों रहें? बेबुनियाद और असत्य बयान देकर आरक्षण नीति पर भ्रम फैलाने की कोषिष करने वाले लालू प्रसाद को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और देष की जनता से माफी मांगनी चाहिए।
मोदी ने लिखा है कि बिहार में दलित, पिछड़ा व अतिपिछड़ा वर्ग की छात्रवृत्ति में करोड़ों का घोटाला हुआ। दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के बजाय उनकी सरकार ने छात्रवृत्ति की राषि डेढ़ लाख से घटा कर अधिकतम 15 हजार तक सीमित कर दिया, जबकि किसी भी गैर सरकारी तकनीकी संस्थानों की वार्षिक फीस एक-डेढ़ लाख रुपये से कम नहीं है। फीस जमा नहीं होने के कारण संस्थानों की ओर से छात्रों को निकाला जा रहा है। नतीजतन हजारों छात्र बीच में पढ़ाई छोड़ने के लिए विवष हो रहे हैं।
मोदी ने कहा है कि भाजपा हमेषा से दलितों, पिछड़ों के आरक्षण के प्रति प्रतिबद्ध रही है। भाजप के रहते आरक्षण को कोई छू भी नहीं सकता है। आप बिहार सरकार के ‘अदृष्य’ मुखिया हैं। आरक्षण पर भ्रम फैलाने के बजाय अपनी सरकार पर दलित, पिछड़ा विरोधी रवैया छोड़ने का दबाव बनायें और नामांकित छात्रों को संस्थान द्वारा निर्धारित फीस का अविलम्ब भुगतान करायें ताकि हजारों दलित, पिछड़ा व अतिपिछड़ा वर्ग के छात्रों का भविष्य बच सके।
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