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माप और तौल पर आयोजित 26वें प्रमुख सम्मेलन

By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Thu ,29 Nov 2018 12:11:24 pm |


माप और तौल पर 26वां प्रमुख सम्मेलन (सीजीपीएम) 13 से 16 नवंबर 2018 तक फ्रांस के वरसिलिस शहर के पैलेस डे कांग्स में संपन्न हुआ।  सटीक और सही माप के लिए सीजीपीएम विश्व की सबसे बड़ी अंतरराष्ट्रीय निकाय है। 26वां सीजीपीएम बहुत ही महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक था क्योंकि इसके सदस्यों ने मूल प्लैंक के स्थिरांक (एच) के संदर्भ में 130 वर्ष पुराने "ले ग्रैंड के- किलोग्राम की एसआई इकाई" को फिर से परिभाषित करने के लिए मतदान किया था। यह नई परिभाषा 20 मई 2019 से लागू हो जाएगी।

 

सीजीपीएम में भारत सहित कुल 60 देश एवं 42 सहयोगी सदस्य शामिल हैं। इस बैठक में भारत का प्रतिनिधित्व भारत सरकार में उपभोक्ता मामलों के विभागीय सचिव श्री अविनाश के. श्रीवास्तव, राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला (एनपीएल), नई दिल्ली के निदेशक डॉ. डी. के. असवाल और एनपीएल के योजना, निगरानी और मूल्यांकन विभाग के प्रमुख (अध्यक्ष) डॉ. टी. डी. सेनगुतवन ने किया था।

 

सीजीपीएम की मुख्य कार्यकारी इकाई, अंतर्राष्ट्रीय वजन और माप ब्यूरो (बीआईपीएम), के पास अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली इकाईयों (एसआई) को परिभाषित करने की ज़िम्मेदारी है। एसआई इकाइयों का यह संशोधन राष्ट्रीय मापिकी संस्थानों (भारत के लिए राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला) और बीआईपीएम के बीच कई वर्षों के गहन वैज्ञानिक सहयोग सहमित का परिणाम है। देश में समाज और उद्योगों के कल्याण के लिए एसआई इकाईयों के प्रचार-प्रसार की जिममेदारी भारत सरकार के उपभोक्ता मामले विभाग के कानूनी मापिकी सेल की है।

 

मसौदे के पांच प्रस्तावों में से इकाई की अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली और टाइम्सकेल्स को फिर से परिभाषित करना महत्वपूर्ण है। इकाइयों की अंतर्राष्ट्रीय प्रणाली के संशोधन की बात करना ही सबसे महत्वपूर्ण है। प्रकृति के मौलिक स्थिरांक पर आधारित सात आधार (मुख्य) इकाइयों अर्थात् सेकेंड, मीटर, किलोग्राम, एम्पियर, केल्विन, मोल और कैंडेला की परिभाषा में बदलाव किया गया है। विशेष रूप से किलोग्राम की परिभाषा जिसे 1889 में पेरिस में आयोजित पहले सीजीपीएम द्वारा स्वीकृत किया गया था, में व्यापक बदलाव किया गया है और बीआईपीएम में एक प्लैंक स्थिरांक रखा गया है जो एक भौतिक स्थिरांक है। इसी तरह, मीटर की परिभाषा को बदलकर इसे प्रकाश की गति से जोड़ दिया गया है। समय की परिभाषा में भी परिवर्तन किया गया है। एसआई की परिभाषा में परिवर्तन के परिणामस्वरूप अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, उच्च तकनीक निर्माण, मानव स्वास्थ्य और सुरक्षा, पर्यावरण की सुरक्षा, वैश्विक जलवायु अध्ययन और बुनियादी विज्ञान के क्षेत्रों में सुलभता आएगी। इससे उच्च स्तर पर प्रकृति के वर्तमान सैद्धांतिक वर्णन के आधार पर इकाइयों को दीर्घकालिक, आंतरिक रूप से आत्मनिर्भर और व्यावहारिक रूप से प्राप्य होने की उम्मीद है।

 

किलोग्राम (आईपीके) के अंतरराष्ट्रीय प्रोटोटाइप को बीआईपीएम, पेरिस में रखा जाता है और जो किलोग्राम के अंतर्राष्ट्रीय मानक के रूप में कार्य करता है। यह 90% प्लैटिनम और 10% इरिडियम से बना है और यह 39 मिमी व्यास और 39 मिमी ऊंचाई का सिलेंडर है। आईपीके की स्मारिकाएं एक ही सामग्री से बनी हैं और बीआईपीएम में संदर्भ या कार्य मानकों और किलोग्राम (एनपीके) के राष्ट्रीय प्रोटोटाइप के रूप में उपयोग की जाती हैं, जो विभिन्न राष्ट्रीय मापिकी संस्थानों (एनएमआई) में रखी जाती हैं। सीएसआईआर-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला में रखा गया एनपीके-57, समय-समय पर अंशांकन के लिए बीआईपीएम को भेजा जाता है। उपयोगकर्ता उद्योग, अंशांकन प्रयोगशालाओं आदि के लिए कानूनी मापिकी के माध्यम से द्रव्यमान के प्रसार के लिए द्रव्यमान के हस्तांतरण मानकों के माध्यम से एनपीके का उपयोग किया जा रहा है। सटीक और सही माप अंतर्राष्ट्रीय गुणवत्ता वाले उत्पादों के उत्पादन में देश की सहायता करते हैं और वाणिज्य एवं व्यापार में तकनीकी बाधाओं का उन्मूलन भी करते हैं।

 

किब्बल बैलेंस एक स्व-कैलिब्रेटिंग इलेक्ट्रोमेकैनिकल बैलेंस है और विद्युत मापदंडों के संदर्भ में द्रव्यमान के माप को बताता है तथा मैक्रोस्कोपिक द्रव्यमान को प्लांक स्थिरांक (एच) से भी जोड़ता है। एनपीएल-यूके, एनआईएसटी-यूएसए, एनआरसी-कनाडा, पीटीबी-जर्मनी इत्यादि ने 10-8 के क्रम में माप की अनिश्चितता के साथ 1 किलो के लिए सफलतापूर्वक किब्बल बैलेंस विकसित किया है। एनपीएल-इंडिया, भारत सरकार के उपभोक्ता मामलों के विभाग के सहयोग से, 1 किलो के किब्बल बैलेंस के बनाने की कोशिश कर रहा है।

 

किब्बल बैलेंस का सबसे बड़ा लाभ यह होगा कि एनपीके को अंशांकन के लिए बीआईपीएम को नहीं भेजना पड़ेगा तथा किब्बल बैलेंस की शुद्धता और स्थिरता बहुत ही सही है जिसके कारण  फार्मास्यूटिकल्स (दवा निर्माता कंपनियों) और जैव प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में सही मूल्यांकन में काफी लाभ मिलेगा। 

 

20 मई 2019-विश्व मापिकी दिवस- के दिन किलोग्राम की परिभाषा में परिवर्तन का आम लोग तो कुछ खास अनुभव भी नहीं कर पायेंगे या यूं कहें कि आम जन-जीवन में इसके बदलाव में कुछ खास असर नहीं देखा जाएगा पर इसके बदलाव के सूक्ष्मतम स्तर पर परिणाम व्यापक होंगे।

 

तारों और आकाशगंगाओं के विचरण की गणना करने वाले खगोलविदों के लिए या दवाओं की खुराक में अणुओं की गणना करने वाले फार्माकोलॉजिस्ट के लिए, माप का यह नया मानक उनके कार्य करने के तरीकों को बदल सकता है। लेकिन कई मेट्रोलॉजिस्टों के प्रतिदिन के काम-काज में कुछ खास बदलाव नहीं देखा जाएगा। मीट्रिक प्रणाली का उद्देश्य "सभी लोगों के लिए-सभी समय के लिए" इकाइयों का तर्कसंगत एवं सार्वभौमिक होना होता था। अंततः एसआई इकाई वास्तव में सार्वभौमिक प्रणाली होगी



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