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By समाचार नाउ ब्यूरो | Publish Date: Sun ,30 Dec 2018 07:12:06 pm |
समाचार नाउ ब्यूरो- संस्कृति राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ महेश शर्मा ने सिख दार्शनिक, सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी, श्री सतगुरु राम सिंहजी की 200वीं जयंती के उपलक्ष्य में आज नई दिल्ली में एक अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया। इस संगोष्ठी का आयोजन पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ और कूका शहीद मेमोरियल ट्रस्ट के सहयोग से केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय द्वारा किया गया। इस समारोह में परम पावन श्री सतगुरु उदय सिंहजी, लोकसभा सांसद सरदार प्रेम सिंह चंदूमाजरा, राज्यसभा के पूर्व सांसद, श्री अविनाश राय खन्ना, सरदार तरलोचन सिंह, सरदार एचएस हंसपाल और केएमएमटी के उपाध्यक्ष और विश्व नामधारी संगत के अध्यक्ष सरदार सुरिंदर सिंह नामधारी के साथ-साथ बड़ी संख्या में सतगुरु के अनुयायी भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर अपने संबोधन में, डॉ. महेश शर्मा ने कहा कि श्री सतगुरु राम सिंह एक महान आध्यात्मिक गुरु, विचारक, द्रष्टा, दार्शनिक, समाज सुधारक और स्वतंत्रता सेनानी थे और उन्होंने लगभग 150 वर्ष पूर्व देश और मानव जाति की पूर्ण स्वतंत्रता के लिए भारतीयों को संगठित किया। डॉ महेश शर्मा ने कहा कि उन्होंने 19वीं शताब्दी के दौरान जो शिक्षाएं और व्यवहार कुशल अनुभव प्रदान किए वह 21वीं सदी में भी उतने ही प्रासंगिक है।
डॉ महेश शर्मा ने सतगुरु की विचारधारा की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्होंने गाय के प्रति श्रद्धा, साधारण विवाह समारोह, विधवा पुनर्विवाह और न्यूनतम व्यय के साथ सामूहिक विवाह का समर्थन किया। स्वतंत्रता संग्राम में उनका योगदान भी सराहनीय था क्योंकि उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ पहला विद्रोह किया था। डॉ महेश शर्मा ने कहा कि उनकी सरकार ने ही गुरु गोविंद सिंहजी की 550वीं जयंती, गुरु गोविंद सिंहजी की 350वीं जयंती, जलियांवाला बाग नरसंहार के 100 वर्ष और श्री सतगुरु राम सिंहजी की 200वीं जयंती मनाने का निर्णय किया है।
मंत्री महोदय ने कहा कि सरकार यह भी सुनिश्चित करेगी कि आने वाली पीढ़ियों को सतगुरु की महानता से अवगत कराने के लिए भविष्य में प्रत्येक 25वें वर्ष पर श्री सतगुरु राम सिंहजी को श्रद्धांजलि अर्पित की जाए।
सतगुरु श्री राम सिंहजी का जन्म (प्रकाश) 1816 में पंजाब में लुधियाना जिले के एक गांव में हुआ था। उन्होंने देश को स्वतंत्र कराने के लिए नामधारी संप्रदाय का नेतृत्व किया। उन्होंने 1857 के विद्रोह से एक महीने पहले देश को आजाद कराने के लिए कूका आंदोलन शुरू किया। सतगुरु राम सिंह जी ने ब्रिटेन में बने सामानों और सेवाओं का भी बहिष्कार करने की वकालत की थी।
सतगुरु एक महान समाज सुधारक थे और बचपन में ही बालिकाओं की हत्या की रोकथाम के लिए प्रचार करते थे। सतगुरू ने सती प्रथा के विरूद्ध भी मजबूती से अभियान चलाया और वे लोगों से विधवा पुनर्विवाह करने का भी आग्रह करते थे ताकि समाज में विधवा भी स्वाभिमान के साथ जीवन निर्वाह कर सके।
उन्होंने एक नई सामूहिक विवाह व्यवस्था का भी शुभारंभ किया, जिसमें मात्र एक रुपया और पच्चीस पैसे खर्च करके शादियां की जाती थीं। किसी भी प्रकार के दहेज पर पूर्ण प्रतिबंधित लगाया गया था। देश में आत्म-सम्मान और बलिदान की भावना को उजागर करने के लिए सतगुरु राम सिंह जी ने लोगों में धार्मिक जागरूकता का प्रसार किया
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