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By समाचार नॉऊ ब्यूरो | Publish Date: Sat ,15 Sep 2018 02:09:34 pm |
रांची : मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा है कि देश की स्वतंत्रता के बाद शिक्षा में बच्चों पर जो ध्यान दिया जाना चाहिए था, वह नहीं दिया गया. स्कूलों में संसाधन की कमी थी. झारखंड के ही 39 हजार स्कूलों में से मात्र सात हजार स्कूलों में बेंच-डेस्क थे. आज सभी स्कूलों को बेंच-डेस्क दिये गये हैं. शिक्षा पर समुचित ध्यान नहीं दिये जाने के कारण ही अंग्रेजी स्कूल खुले.
उन्होंने कहा कि वे किसी सरकार की आलोचना नहीं करना चाहते, पर यूपीए सरकार ने देश में शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद कर दिया. आज हम शिक्षा के क्षेत्र में उसी नवाचार को अपना रहे हैं, जो पहले पठन-पाठन की पद्धति थी.
यह बातें उन्होंने न्यायिक अकादमी में शुक्रवार को ज्ञानसेतु ई-विद्यावाहिनी कार्यक्रम के शुभारंभ के मौके पर कही. मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के विकास के लिए यहां के लोगों का शिक्षित होना आवश्यक है. गुणवत्ता युक्त शिक्षा देना सरकार की पहली प्राथमिकता है. राज्य में विद्यालयों के विलय से शिक्षकों की कमी दूर हुई है. उन्होंने कहा कि अगर कहीं विद्यालय का नया भवन बन गया है, तो पुराने भवन को तोड़ दें. ड्रॉप आउट की समस्या को दूर करना होगा.
स्कूली शिक्षा व साक्षरता मंत्री डॉ नीरा यादव ने कहा कि शिक्षा पदाधिकारी शिक्षकों को अनावश्यक बैठक में नहीं बुलायें. स्कूल अवधि में तो किसी हाल में बैठक के लिए शिक्षक को नहीं बुलाया जाये. उन्होंने कहा कि अगर बहुत आवश्यक हो तो अवकाश के दिन बैठक करें.
स्कूली शिक्षा व साक्षरता विभाग के प्रधान सचिव एपी सिंह ने कहा कि ज्ञान सेतु कार्यक्रम के माध्यम से बच्चों के शैक्षणिक स्तर को बढ़ाया जायेगा. बच्चों को शैक्षणिक स्तर के आधार पर अलग-अलग ग्रुप में बांटा जायेगा. विद्यार्थियों की ग्रेडिंग की जायेगी.
इन्होंने दिया अपना प्रेजेंटेशन
कार्यक्रम में जेसीइआरटी के निदेशक शैलेश चौरसिया ने ज्ञानसेतु, ई-विद्यावाहिनी कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में बताया. प्राथमिक शिक्षा निदेशक आकांक्षा रंजन ने विद्यालयों के विलय की प्रक्रिया व इससे होनेवाले फायदे के बारे में बताया. रामगढ़ उपायुक्त बी राजेश्वरी, हजारीबाग के उपायुक्त रविशंकर शुक्ला, माध्यमिक शिक्षा निदेशक उमाशंकर सिंह ने प्रेजेंटेशन के माध्यम से अपनी बातें रखी
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