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मुन्ना बजरंगी- मै हू डॉन बनने की कहानी- कानून से बगावत का बागपत में अंत

By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Tue ,10 Jul 2018 09:07:04 am | Updated Date: Tue ,10 Jul 2018 09:07:29 am


समाचार नाऊ ब्यूरो - उत्तर प्रदेश के मोस्ट वॉन्टेड माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की सोमवार को यूपी के बागपत जेल में गोली मारकर हत्या कर दी गई. यूपी और बिहार से कई ऐसे बाहुबली निकले हैं, जिनके नाम का सिक्का कई राज्यों में चला है. इस बीच जुर्म की दुनिया में मुन्ना बजरंगी का नाम उभरा.
बता दें कि मुन्ना बजरंगी पर 40 हत्याओं, लूट, रंगदारी की घटनाओं में शामिल होने के केस दर्ज हैं. मुन्ना बजरंगी पूरे यूपी की पुलिस और एसटीएफ के लिए सिरदर्द बना हुआ था. पुलिस के मुताबिक, लखनऊ, कानपुर और मुंबई में उसके खिलाफ कई केस दर्ज हैं. बजरंगी पर सरकारी ठेकेदारों से रंगदारी और हफ्ता वसूलना का भी आरोप था. बरहाल डाॅन की हत्या का आरोप बागपत जेल में बंद माफिया सुनील राठी पर लग रहा है. बताया जा रहा है कि सुनील राठी के शूटर्स ने मुन्ना बरजरंगी को गोली मारी है

मै हू डॉन बनाने की कहानी
मुन्ना बजरंगी का असली नाम प्रेम प्रकाश सिंह है. उसका जन्म 1967 में उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के पूरेदयाल गांव में हुआ था. उसके पिता पारसनाथ सिंह उसे पढ़ा लिखाकर बड़ा आदमी बनाने का सपना संजोए थे. मगर प्रेम प्रकाश उर्फ मुन्ना बजरंगी ने उनके अरमानों को कुचल दिया. उसने पांचवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी. किशोर अवस्था तक आते-आते उसे कई ऐसे शौक लग गए जो उसे जुर्म की दुनिया में ले जाने के लिए काफी थे. मुन्ना बजरंगी ने केवल पांचवीं क्लास तक पढ़ाई की थी. उसके बाद वह दूसरे रास्ते पर आगे बढ़ता चला गया. 17 साल की उम्र में वह अपराध की दुनिया में छा गया. तब उसके खिलाफ पुलिस ने अवैध हथियार रखने का पहला मामला दर्ज किया था.

मुन्ना को हथियार रखने का बड़ा शौक था. वह फिल्मों की तरह एक बड़ा गैंगेस्टर बनना चाहता था. यही वजह थी कि 17 साल की नाबालिग उम्र में ही उसके खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज किया. जौनपुर के सुरेही थाना में उसके खिलाफ मारपीट और अवैध असलहा रखने का मामला दर्ज किया गया था. इसके बाद मुन्ना ने कभी पलटकर नहीं देखा. वह जरायम के दलदल में धंसता चला गया.

पूर्वांचल में सरकारी ठेकों और वसूली के कारोबार पर मुख्तार अंसारी का कब्जा था, लेकिन इसी दौरान तेजी से उभरते बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय उनके लिए चुनौती बनने लगे. उन पर मुख्तार के दुश्मन ब्रिजेश सिंह का हाथ था. उसी के संरक्षण में कृष्णानंद राय का गैंग फल फूल रहा था. इसी वजह से दोनों गैंग अपनी ताकत बढ़ा रहे थे. इनके संबंध अंडरवर्ल्ड के साथ भी जुड़े गए थे. कृष्णानंद राय का बढ़ता प्रभाव मुख्तार को रास नहीं आ रहा था. उन्होंने कृष्णानंद राय को खत्म करने की जिम्मेदारी मुन्ना बजरंगी को सौंप दी.
मुख्तार से फरमान मिल जाने के बाद मुन्ना बजरंगी ने भाजपा विधायक कृष्णानंद राय को खत्म करने की साजिश रची. और उसी के चलते 29 नवंबर 2005 को माफिया डॉन मुख्तार अंसारी के कहने पर मुन्ना बजरंगी ने कृष्णानंद राय को दिन दहाड़े मौत की नींद सुला दिया. उसने अपने साथियों के साथ मिलकर लखनऊ हाइवे पर कृष्णानंद राय की दो गाड़ियों पर AK 47 से 400 गोलियां बरसाई थी. इस हमले में गाजीपुर से विधायक कृष्णानंद राय के अलावा उनके साथ चल रहे 6 अन्य लोग भी मारे गए थे.
यूपी पुलिस और एसटीएफ लगातार मुन्ना बजरंगी को तलाश कर रही थी. उसका यूपी और बिहार में रह पाना मुश्किल हो गया था. दिल्ली भी उसके लिए सुरक्षित नहीं था. इसलिए मुन्ना भागकर मुंबई चला गया. उसने एक लंबा अरसा वहीं गुजारा. इस दौरान उसका कई बार विदेश जाना भी होता रहा. उसके अंडरवर्ल्ड के लोगों से रिश्ते भी मजबूत होते जा रहे थे.
एक बार मुन्ना ने लोकसभा चुनाव में गाजीपुर लोकसभा सीट पर अपना एक डमी उम्मीदवार खड़ा करने की कोशिश की थी. मुन्ना बजरंगी एक महिला को गाजीपुर से भाजपा का टिकट दिलवाने की कोशिश कर रहा था. जिसके चलते उसके मुख्तार अंसारी के साथ संबंध भी खराब हो रहे थे.

उत्तर प्रदेश समते कई राज्यों में मुन्ना बजरंगी के खिलाफ मुकदमे दर्ज थे. वह पुलिस के लिए परेशानी का सबब बन चुका था. उसके खिलाफ सबसे ज्यादा मामले उत्तर प्रदेश में दर्ज हैं. लेकिन 29 अक्टूबर 2009 को दिल्ली पुलिस ने मुन्ना को मुंबई के मलाड इलाके में नाटकीय ढंग से गिरफ्तार कर लिया था. माना जाता है कि मुन्ना को अपने एनकाउंटर का डर सता रहा था

कोयलांचल के सबसे बड़ा हत्याकांड- मुन्ना का आया नाम

उत्तर प्रदेश के बागपत जेल में डॉन मुन्ना बजरंगी की गोली मारकर हत्या कर दी गई. कुछ समय पहले उसका नाम झारखंड के कोयलांचल के सबसे बड़े हत्याकांड से भी जुड़ा था. 21 मार्च 2017 को धनबाद में कांग्रेस नेता सह-पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह की हत्या कर दी गई थी. कहा जाता है कि इस हत्याकांड को अंजाम देने के लिए मुन्ना बजरंगी ने पांच करोड़ की सुपारी ली थी.

पचास लाख की अग्रिम रकम लेकर मुन्ना बजरंगी के चार शूटरों पर नीरज सिंह समेत चार लोगों की हत्या करने का आरोप है. इस सिलसिले में फिलहाल उसके चारों शूटर- अमन सिंह, कुर्बान अली, सतीश सिंह उर्फ रोहित और सागर सिंह उर्फ शिबू धनबाद मंडलकारा में बंद हैं. उनके साथ-साथ झरिया विधायक संजीव सिंह भी धनबाद जेल में बंद हैं. बागपत जेल में डॉन की हत्या के बाद धनबाद जेल की सुरक्षा कड़ी कर दी गई है.

बता दें कि धनबाद के सरायढेला थाना क्षेत्र में स्टील गेट के पास 21 मार्च 2017 को नीरज सिंह और उनके तीन सहयोगियों को फॉर्चूनर गाड़ी में गोलियों से भून दिया गया था. इस घटना से पूर्व सरायढेला थाना क्षेत्र में ही बिग बाजार के पास झरिया विधायक संजीव सिंह के करीबी रंजय सिंह की 29 जनवरी 2017 को हत्या कर दी गयी थी. कहा जाता है कि रंजय सिंह की हत्या के प्रतिशोध में ही नीरज सिंह की हत्या कराई गई. धनबाद पुलिस ने यूपी एसटीएफ की मदद से डॉन मुन्ना बजरंगी के चार शूटरों को इस सिलसिले में गिरफ्तार किया था. फिलहाल इस मामले में धनबाद कोर्ट में सुनवाई जारी है

कानून से बगावत का बागपत पे अंत

उत्तर प्रदेश के माफिया मुन्ना बजरंगी की सोमवार को यूपी के बागपत जेल में गोली मारकर हत्या कर दी गई. इस हत्‍या के बाद से ही पुलिस महकमे में हड़कंप मचा हुआ है. 14 घंटे की सघन तलाशी के बाद पुलिस को हत्‍या में इस्‍तेमाल पिस्‍टल बरामद हो गई है. पुलिस को पिस्‍टल के साथ ही 10 खोखे, 22 जिंदा कारतूस और दो मैग्‍जीन भी मिली है. बताया जाता है कि हत्‍या के बाद ये पिस्‍टल और कारतूस गटर में फेंक दिया गया था.

गौरतलब है कि सोमवार को मुन्‍ना बजरंगी की पूर्व बसपा विधायक लोकेश दीक्षित से रंगदारी मांगने के आरोप में बागपत कोर्ट में पेशी होनी थी. उसे रविवार को झांसी से बागपत लाया गया था. पेशी से पहले ही जेल में उसे गोली मार दी गई.

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने मुन्ना बजरंगी की हत्या के मामले की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. योगी ने कहा, 'जेल में हुई हत्या बहुत गंभीर मामला है. मामले की गहराई से जांच होगी. दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.' एडीजी जेल चंद्र प्रकाश ने कहा कि सुबह 6 बजे बागपत जेल के अंदर झगड़े के दौरान मुन्ना बजरंगी को गोली मारी गई. गोली सुनील राठी ने मारी है. इसके बाद उसने हथियार को गटर में फेंक दिया.

एडीजी जेल ने कहा कि ये घटना जेल की सुरक्षा में गंभीर चूक है. मामले में जेलर उदय प्रताप सिंह, डिप्टी जेलर शिवाजी यादव, हेड वार्डन अरजिन्दर सिंह, वार्डन माधव कुमार को निलंबित कर दिया गया है. पूरी घटना की न्यायिक जांच होगी.

सुनील राठी: पिता का कत्ल कर बना गैंगस्टर

अब मुन्ना बजरंगी के मर्डर में आया नाम

यूपी के माफिया डॉन मुन्ना बजरंगी की सोमवार सुबह बागपत जेल के अंदर गोली मारकर हत्या कर दी गई. पुलिस के मुताबिक, कुख्यात बदमाश सुनील राठी ने बजरंगी को गोलियों से भूनकर गन को गटर में फेंक दिया. घटना के बाद पूरे जेल परिसर में हड़कंप मच गया.

सुनील राठी को एक दिन पहले रविवार को ही रुड़की से बागपत जेल में शिफ्ट किया गया था. उसने रुड़की में अपनी जान का खतरा बताया था. बताया जा रहा है कि सुनील राठी का परिवार भी अपराध जगत में सक्रिय है. मुन्ना बजरंगी का नेटवर्क मुंबई, पश्चिम बंगाल, हरियाणा और पूर्वी उत्तर प्रदेश में फैला हुआ था. बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के बाद मुन्ना बजरंगी अपराध की दुनिया में दहशत का दूसरा नाम बन गया था.

भूपेन्द्र दूबे 



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