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राजस्थान विधान सभा चुनाव- हे किसान तेरी खुशी- वादो की बस हाय हाय

By समाचार नाउ ब्यूरो | Publish Date: Thu ,06 Dec 2018 12:12:12 pm |


समाचार नाउ ब्यूरो- राजस्थान विधान सभा चुनाव को लेकर रणनीति में किसान सिर्फ किताबी आंकडो में है। राजस्थान में कृषि विभाग काम जो दावा कर रहा है उससे राजस्थान की राजनीति प्रभावित होगी - समाज के विकास में उस व्यवस्था की अन्न का बड़ा महत्व होता है जो उस मन को विकसित करता है जिससे व्यवस्थित  समाज के विकासात्मक संरचना का उद्भव होता है अन्न के प्रभाव से बना मन सकारात्मक विचारों का ऐसा कुंज बनता है जो समाज को विकास की डगर पर लेकर जाता है सवाल यही है कि जो लोग समाज के लिए अन्न देते हैं वह भी अगर राजनीतिक मुद्दा बने तो विकास की गति को समझना असहज नहीं होगा जी महासमर के मुद्दे में आज हम बात करेंगे राजस्थान के किसानों की खेती की बुनियाद की और उस व्यवस्था की जिसने सृष्टि काल से ही मानव जीवन को समृद्ध करने में अपना सबसे बड़ा योगदान दिया है नमस्कार महा समर के मुद्दे में मैं हूं..... -  किसी कवि द्वारा उद्धृत यह पंक्तियां जिसमें लिखा गया है 

""किसान तेरी कुटी राजभवन अनुहार""

""एक स्वेत कर ही रहा मोती मॉल हजार""  

सृष्टि सृजन के वे शब्द है जिससे  तृष्णा को मिटा देने के सुगंधित अंकुर का अश्फुटन होता है। भारत की मूल सृजन की बात किया जाए तो इसके विकास का मूल सार ही गांव की मूल व्यवस्था से है कवि लेखक या रचयिता के शब्दों हो या फिर भारत की संप्रभुता के गुणगान का शब्द शुरुआत यहीं से की जाती है कि भारत गांव का देश है इन गांवों के विकास के बिना देश का विकास संभव नहीं है और गांव के विकास के लिए उसकी मूल संरचना का विकास और अर्थव्यवस्था दोनों का विकास बिना इसके भारत का विकास संभव नहीं की बातें तो होती है और इस विकास की मूल इकाई का सूत्रपात ही किसान से होता है। भारत की आजादी से लेकर आज तक बनी सरकारों ने देश की अर्थव्यवस्था के विकास की नींव को खेती माना है और खेती की मजबूती को लेकर खूब काम करने के दावे भी हुए हैं हालांकि राज्य में चल रही सरकार है और केंद्र का नेतृत्व कर रहे राजनीतिक दलों के मुखिया इस बात को कहने से कभी गुरेज नहीं करते कि उनकी सरकार ने खेतीकिसानी को पटरी पर लाने में सबसे ज्यादा उपलब्धियां हासिल की है लेकिन बड़ा सवाल यही है कि जिस खेती किसानी की नींव को मजबूत करने से देश की नींव मजबूत होती है उसकी मूल इकाई किसान ही इतना कमजोर हो गया है तो उसका विश्वास ही सरकार पर से उठता सा गया है बरहाल विभेद में यह चर्चा नहीं है मूल में चर्चा यही है कि 2013 में राजस्थान में बनी भाजपा की सरकार ने राजस्थान की किसानी को आगे बढ़ाने के लिए कितने काम किए हैं और आज के महा समर के मुद्दे में हमारा मुद्दा भी यही है कि कितना किसान बदला कितना किसानी बदली कितना राजस्थान बदला। राजस्थान की कृषि संरचना और सरकार के कामकाज को लेकर पेश है एक रिपोर्ट

 

राजस्थान राज्य की विकास संरचना में अगर जीडीपी की बात करें तो खेती जीडीपी के विकास का एक बड़ा हिस्सा है और रोजगार की सबसे ज्यादा निर्भरता भी खेती पर ही है 2013 के बाद राज्य में बनी भाजपा सरकार ने खेतीकिसानी को लेकर कई अहम काम किए और 2014 में केंद्र में बनी नरेंद्र मोदी की सरकार ने किसानों की कमाई दोगुनी करने की योजना पर भी काम किया गया व सरकारी दावों की करें तो राज्य में 1 किसानों के हित को लेकर बहुत सारी योजनाओं को चलाया गया कोशिश यही थी कि किसानों को उनके मूल पैदावार का ज्यादा से ज्यादा लाभ दिया जाए और किसानों की आर्थिक समृद्धि को भी बढ़ाया जाए सरकार के आंकड़ों की बात की जाए तो बजट से लेकर जमीनी कामकाज पर कृषि के क्षेत्र में काम करने की बात को मजबूती से रखा गया है राज्य सरकार के विकास योजनाओं की बात करें तो सरकार ने अपने बजट में 4 वर्षों में 313000 करोड रुपए का विकास बयां किया है जिसमें किसी संरचना के विकास पर 12412 करोड़ रुपए का कुली पे निर्धारित किया कृषि संरचना के विकास को लेकर सरकार के किए गए दावों की बात करें तो सरकार ने 50 सालों में किसानों के लिए बहुत सारे काम करने का दावा किया है सरकार के आंकड़ों की बात किया जाए तो मृदा परीक्षण की नवीन प्रयोगशालाओं को स्थापित करने में सरकार ने तेजी से काम किया है 2008 से 2013 तक चली कांग्रेस की सरकार ने जहां कुल 26 प्रयोगशाला स्थापित की थी वही 2013 से 2018 के बीच मृदा परीक्षण के प्रयोगशालाओं की कुल 55 इकाइयां स्थापित की गई 20 मिनी कटर का महिला कृषकों को निशुल्क वितरण 4200000 किया गया जबकि कांग्रेस की सरकार में यह सिर्फ 3000000 था कृषि मे स्नातक स्नातकोत्तर पीएचडी छात्र छात्राओं के बीच प्रोत्साहन राशि के साथ ही इस क्षेत्र में पढ़ाई को और विकसित करने के काम को तेजी से किया गया किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए कृषकों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण 2013 से 2018 के बीच एक करोड़ 1400000 किसानों के बीच किया गया जबकि कांग्रेस की सरकार में यह सिर्फ 16 लाख था खेती के लिए पानी और उसके कुशलता उपयोग के लिए जल हौज के अनुदान को लेकर 4726 कृषकों को अनुदान दिया गया जबकि 2008 से 2013 में इसकी संख्या कम थी। सरकार ने किसानों के उत्पाद के लिए बाजार देने की विधि दिशा में काम किया है और राजस्थान सरकार का दावा है कि 4 वर्षों में किसानों के लिए 6504 करोड़ जिंसों की खरीद समर्थन मूल्य योजना के तहत की गई वहीं सरकारी समितियों के भंडारण क्षमता को भी बढ़ाया गया किसानों को ब्याज मुक्त फसली ऋण योजना का भी लाभ दिया गया जिसमें 2500000 किसानों को 62000 करोड़ से ज्यादा का ऋण वितरण किया गया सानू को उनके अनाज को रखने के लिए भंडारण की भी व्यवस्था की गई ताकि किसान बेहतर दाम पर अपने सामान को भेज सकें सरकार के आंकड़े के अनुसार अगर वर्ष 2018 की बात करें तो प्रदेश के किसानों से चार लाख मेट्रिक टन चना और 8 लाख मेट्रिक तन सरसों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य पर लक्षित है सरसों की खरीद के लिए 200 वाट चना के लिए 166 और गेहूं के लिए पंचानवे खरीद केंद्र खोले गए हैं जबकि कांग्रेस सरकार किसानों के विकास पर कोई ध्यान ही नहीं देती थी सरकार ने यह भी दावा किया है कि राज्य के जिन किसानों ने कर्ज लिया है उसमें 28 लाख से किसान हैं जिन्हें कर्ज माफी के लाभ का भी फायदा दिया जाएगा

राजस्थान के लिए राज्य सरकार ने समृद्ध किसान उन्नत राजस्थान योजना के तहत जो योजनाएं शुरू की उसमें 

1 किसानों को दुगना आए करने के लिए खेती के नवीनतम गुण को सिखाना और साथ ही उसके लिए अवसर मुहैया कराना देश में 

2 जैतून की पहली रिफाइनरी की स्थापना

 3 राजस्थान में करना किसानों की आय बढ़ाने के लिए खजूर ड्रैगन फूड और किनोवा जैसी गैर परंपरागत फसलों को नवाचार के तहत प्रोत्साहित करना 

4 प्रदेश के किसान विश्व की उन्नत तकनीक से रूबरू हो इसके लिए ग्लोबल राजस्थान एग्रीटेक मीट जैसे किसी महाकुंभ का आयोजन किया जाना 

4 पशु पालकों डेरी आधारित उद्योगों कृषि के लिए बाजार किसानों को तकनीकी प्रशिक्षण जैसे विषयों पर भी सरकार ने काम किया है।

 

 

 राज्य सरकार में संरक्षित खेती के लिए कई योजनाएं भी शुरू की है जिसके तहत 

1 कृषक साथी योजना 

2 किसान कलेवा योजना 

3 महात्मा ज्योतिबा फूले मंडी श्रमिक कल्याण योजना 

4 कृषक रोजगार योजना शुरू की गई है 

 

कृषि के बाजार को लेकर राज्य सरकार ने राजस्थान इंटीग्रेटेड मंडी मैनेजमेंट सिस्टम उसके अलावा राष्ट्रीय कृषि बाजार इनाम ऑयल टेस्टिंग लैब्स की स्थापना 10 स्वतंत्र मंडियों की स्थापना और 15 गौर मंडियों की स्थापना की गई ताकि किसानों को उनका ज्यादा से ज्यादा लाभ मिल सके।

सरकार द्वारा शुरू की गई इन योजनाओं का जमीनी हकीकत आंकड़ों से बाहर निकल कर देखा जाए तो विपक्ष के विरोध के और भी भेद के साथ भी है जिसने पक्ष लगातार या आरोप लगाता है कि सरकार की फाइलों में आंकड़ों का खेल तो खूब हुआ लेकिन इस व्यवस्था ने जमीनी हकीकत नहीं लिया यही वजह है कि राजस्थान के किसान सरकार की नीतियों से परेशान हैं बरहाल जो योजनाएं बनी है अगर वह जमीनी हकीकत के साथ हैं तो निश्चित तौर पर राजस्थान एक बड़े विकास की अवधारणा तो जरूर रखेगा लेकिन चुनावी मौसम में आंकड़ों के गणित का जो लेखा-जोखा पेश किया जा रहा है उसकी जमीनी हकीकत किसान बेहतर तरीके से समझते हैं बड़ा सवाल यही है कि राजनीतिक दलों ने अपनी राजनीतिक खेती को इस बार के चुनाव में जिस फसल के रूप में काटने का मंसूबा पाला है अगर उसने किसान हकीकत से रूबरू होते हैं तो फायदा निश्चित तौर पर आंकड़ों को मिलेगा नहीं तो जवाब पक्ष और विपक्ष दोनों को अपने अपने तरीके से तो देना ही पड़ेगा क्योंकि यह सभी राजनीतिक दलों को पता है कि उनकी भूख जहां मिटती और उसे  मिटाने के लिए जो दिन रात अपनी हड्डी को पेरता है उसके हकीकत से थे इन्हें रूबरू तो होना ही पड़ेगा



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