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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Tue ,05 Jun 2018 05:06:14 pm |
समाचार नाऊ ब्यूरो - यह 12 मई, 2018 को एक समाचार पत्र में शहरी विकास पर संसद की स्थायी समिति को दी गई सूचना पर आधारित ‘ओनली 22 परसेंट फंड्स यूटीलाइज्ड इन सिक्स हाउसिंग मिनिस्टरी स्किम्स’ शीर्षक से प्रकाशित एक लेख के संदर्भ में है। यह आवास और शहरी कार्य मंत्रालय द्वारा लागू की जा रही योजनाओं/मिशनों के संबंध में कोष जारी करने/उपयोग करने से संबंधित आंकड़ों की गलत व्याख्या है और इसके परिणामस्वरूप गलत अनुमान लगाए गए। यद्यपि उचित लेखा प्रणाली सुनिश्चित करने के लिए जारी/ उपयोग किया गया कोष सरकार की सामान्य वित्तीय प्रतिक्रियाओं का हिस्सा है, यह कोई भौतिक प्रगति या मिशन लक्ष्यों/उद्देश्यों को लागू करने की गति का सही मापदंड नहीं है। अधिकतर योजनाओं में बड़ी पूंजी प्रोत्साहन परियोजनाएं है जिनकी पूरी होने की अवधि 1 से 3 वर्ष है।
आवास और शहरी कार्य मंत्रालय मिशन उद्देश्य/ लक्ष्य हासिल करने के संबंध में भौतिक और वित्तीय दोनों दृष्टि से बड़ी उपलब्धि हासिल करने में सफल हुआ है। अनुदान जारी होने वाले वित्तीय वर्ष की समाप्ति के 12 महीनों के अंदर उपयोगिता प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने होते हैं। इस तरह वर्ष 2017-18 के दौरान कुल 46,663 करोड़ रुपये का संचित अनुदान जारी हुआ। मार्च, 2016 तक जारी अनुदानों के लिए ही यानी अनुमानित 10,365 करोड़ रुपये के लिए उपयोगिता प्रमाणपत्र प्रस्तुत किए जाने थे। स्थायी समिति को उपयोग संबंधी दिए गए आंकड़ें 2015-16 तक जारी कोष से जुड़े हैं क्योंकि 2017-18 में यही बकाया था। वास्तव में वर्ष 2017-18 की समाप्ति पर उपयोगिता प्रमाणपत्रों के लिए 10,365 करोड़ रुपये की बकाया राशि की तुलना में मंत्रालय ने वास्तविक उपयोगिता प्रमाणपत्रों के लिए 15,403 करोड़ रुपये प्राप्त किए। इन आंकड़ें में कुछ वैसे उपयोगिता प्रमाणपत्र शामिल हैं जो अगले वित्त वर्ष 2018-19 में बकाया है।
मिशन के लिए जारी राशि, परियोजना का विकास और उपयोगिता स्थिति इत्यादि की प्रगति नीचे दी गई है।
स्मार्ट सिटी मिशन
स्मार्ट सिटी मिशन अमृत जैसे कई दूसरे मिशनों का सम्मिलन है और इसकी कुछ परियोजनाएं सरकारी-निजी साझेदारी के तहत पूरी कराई जा रही हैं। 50,626 करोड़ रुपयों की 1333 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं या क्रियान्वित की जा रही है/निविदा चरण में हैं। देश भर में सभी 99 स्मार्ट सिटी के लिए 2,03,979 करोड़ की परियोजनाएं चल रही हैं।
अब तक चुने गए 99 स्मार्ट सिटी में से 91 स्मार्ट सिटी में एसपीवी (स्पेशल पर्पस विहिकल्स) शामिल हो चुके हैं। 9 स्मार्ट सिटी अहमदाबाद, राजकोट, वडोदरा, विशाखापट्टनम, भोपाल, पुणे, काकिनडा, सूरत और नागपुर में एकीकृत सिटी कमान और नियंत्रण कक्ष (आईसीसीसी) स्थापित किए जा चुके हैं। 14 और स्मार्ट सिटी में कार्य प्रगति पर है और 32 स्मार्ट सिटी निविदा चरण में हैं।
चार स्मार्ट सिटी में 228 करोड़ रुपये की लागत से स्मार्ट सड़क परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और 40 स्मार्ट सिटी में 5,123 करोड़ रुपये की परियोजनाएं क्रियान्वयन/निविदा के चरण में हैं। 6 स्मार्ट सिटी में स्मार्ट सौर परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं जबकि 49 स्मार्ट सिटी में परियोजनाएं क्रियान्वयन/निविदा के चरण में हैं। 6 स्मार्ट सिटी में स्मार्ट जल परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं जबकि 43 स्मार्ट सिटी में परियोजनाएं क्रियान्वयन/निविदा के चरण में हैं। इसी तरह 46 स्मार्ट सिटी में स्मार्ट गंदा जल परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं या क्रियान्वयन/निविदा के चरण में हैं। 13 स्मार्ट सिटी में 734 करोड़ रुपये की निजी-सरकारी साझेदारी परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं जबकि 52 स्मार्ट सिटी में 7,753 करोड़ रुपये की परियोजनाएं क्रियान्वयन/निविदा के चरण में हैं। इसके अलावा, 13 स्मार्ट सिटी में 107 करोड़ रुपये की लागत से विरासत संरक्षण, जल घाट विकास, सार्वजनिक स्थल विकास जैसी अन्य अहम परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और 5,865 करोड़ रुपये की परियोजनाएं क्रियान्वयन/निविदा के चरण में हैं।
जनवरी, 2018 में 9 स्मार्ट सिटी के साथ ही स्मार्ट सिटी का चुनाव विभिन्न चरणों में पूरा हो चुका है। यहां यह बताना प्रासंगिक होगा कि किसी शहर के स्मार्ट सिटी के रूप में चयन के बाद वहां स्पेशल पर्पस विहिकल शुरू करने, परियोजना प्रबंधन सलाहकार की नियुक्ति, विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने और निविदा के बाद काम सौंपने में 12 से 18 महीने लग जाते हैं। स्मार्ट सिटी के चुनाव के चरणों के अनुसार उन्हें पूरा करने की समय सारणी निम्न प्रकार है।
चरण 1 सिटी- 2019-20 से 2020-21
चरण 2 सिटी- 2019-20 से 2021-22
चरण 3 सिटी- 2020-21 से 2021-22
चरण 4 सिटी- 2020-21 से 2022-23
अमृत
‘अमृत’ के तहत 77,640 करोड़ रुपये की राज्य वार्षिक कार्य योजना (एसएएपी) में से 65,075 करोड़ रुपये की लागत वाली परियोजनाएं (84 प्रतिशत) क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। इनमें ऐसी परियोजनाएं भी शामिल हैं, जिनके लिए निविदाएं जारी कर दी गई हैं। इसी तरह इनमें ऐसी परियोजनाएं भी शामिल हैं, जिनसे संबंधित डीपीआर को मंजूरी दे दी गई है। इस मिशन से 22 करोड़ से भी अधिक शहरी आबादी लाभान्वित होगी। अब तक कुल मिलाकर 11,945 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं। 325 करोड़ रुपये की लागत वाली लगभग 400 परियोजनाएं पहले ही पूरी हो चुकी हैं और 40,074 करोड़ रुपये की लागत वाली 2,188 परियोजनाओं के लिए ठेके दिये जा चुके हैं तथा ये क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। इसके अलावा 13,586 करोड़ रुपये की लागत वाली 895 परियोजनाएं फिलहाल निविदाएं जारी करने की प्रक्रिया में हैं और 10,824 करोड़ रुपये की लागत वाली 729 परियोजनाओं के लिए विस्तृत परियोजना रिपोर्टों (डीपीआर) को मंजूरी दे दी गई है। मिशन के तहत और अन्य योजनाओं के साथ सामंजस्य के जरिये अब तक 8.58 लाख पेयजल कनेक्शन दिये गये हैं। मिशन की समाप्ति अर्थात जून 2020 तक देशभर में लगभग 1.4 करोड़ पेयजल कनेक्शन मुहैया कराये जाएंगे। 37 लाख स्ट्रीट लाइटों में सामान्य बल्ब के बजाय कम ऊर्जा खपत वाले एलईडी लाइटें लगाई गई हैं। मिशन के तहत लगभग 322 हरित स्थल और पार्क परियोजनाएं पूरी की जा चुकी हैं। निर्माण परमिट के लिए दिल्ली और मुम्बई में एकल खिड़की मंजूरी प्रणाली क्रियान्वित की गई है, जिसके तहत सभी तरह की मंजूरियों के लिए केवल 8 प्रक्रियाओं और 60 दिनों से भी कम अवधि की जरूरत पड़ती हैं। 370 मिशन शहरों में ऑनलाइन भवन निर्माण अनुमति प्रणालियों (ओबीपीएस) का परिचालन शुरू हो चुका हैं और ये प्रणालियां बाकी शहरों में क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं।
पीएमएवाई (यू)
इस योजना के तहत राज्यों को कुल मिलाकर 24,475 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं। अब तक इस योजना के तहत 45.86 लाख मकानों को स्वीकृति दी गई है। इनमें से 23.43 लाख मकानों की नींव डालने का काम पूरा हो चुका है और 7.02 लाख मकानों का निर्माण कार्य पूरा हो चुका हैं (पूर्ववर्ती योजना के अपूर्ण मकान भी इनमें शामिल हैं)।
डीएवाई-एनयूएलएम
मिशन के तहत अब तक 1907.5 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं। इस मिशन का विस्तार सभी वैधानिक कस्बों (टाउन) में कर दिया गया है। इस मिशन की शुरुआत से लेकर अब तक 6,36,956 लाभार्थियों के लिए रोजगार सृजित हुए हैं। लगभग 11 लाख शहरी गरीबों को कौशल प्रशिक्षण दिया गया है, ताकि उनकी रोजगार क्षमता बेहतर हो सके। कुल मिलाकर 2,81,197 स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) का गठन किया गया है और 1,94,879 एसएचजी को परिक्रामी निधि (रिवॉल्विंग फंड) के जरिये सहायता दी गई, जबकि 3,82,746 एसएचजी को ऋणों का वितरण एसएचजी बैंक लिंकेज कार्यक्रम के तहत किया गया है। 2178 कस्बों में स्ट्रीट वेंडर सर्वेक्षण पूरा कर लिया गया है और 16,76,403 स्ट्रीट वेंडरों को चिन्हित किया गया है तथा 7,92,286 आईडी कार्ड जारी किये गये हैं। शहरी बेघरों के लिए 1,565 आश्रय स्थलों को मंजूरी दी गई है और 961 आश्रय स्थल परिचालन में आ चुके हैं।
हृदय
12 शहरों के लिए शहर हृदय योजनाओं (सीएचपी) को मंजूरी दी गई है। 421.47 करोड़ रुपये की राशि की 66 विस्तृत परियोजना रिपोर्टों (डीपीआर) को स्वीकृति दी गई है और इस योजना के कियान्वयन के लिए 12 शहरों को 261.31 करोड़ रुपये जारी किये गये हैं। इस योजना के तहत अब तक कुल व्यय 209.5 करोड़ रुपये का हुआ है। 58 परियोजनाएं क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। सभी कार्य सितम्बर, 2018 तक पूरे हो जाएंगे।
स्वच्छ भारत मिशन (शहरी)
राज्यों को कुल 6,592 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। कुल 48.67 लाख एकल परिवार शौचालयों एवं 3.3 लाख समुदाय/ सार्वजनिक शौचालय (सीटी/पीटी) सीटों का पहले ही निर्माण किया जा चुका है और 8.3 लाख एकल शौचालय निर्माणाधीन हैं। अब तक 2679 नगरों ने खुद को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया है एवं तीसरे पक्ष प्रमाणीकरण के बाद 2,133 नगरों/ यूएलबी को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) का प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है। 62,436 शहरी वार्डों को ठोस अपशिष्ट को 100 प्रतिशत घर घर जाकर संग्रह करने की योजना के तहत कवर किया गया है जबकि अपशिष्ट से कंपोस्ट की कुल प्राप्ति 145 कार्यशील संयंत्रों से 13.11 लाख टीपीए है तथा 65 लाख टीपीए पर कार्य प्रगति पर है। अपशिष्ट से लगभग 88 मेगावाट ऊर्जा का उत्पादन किया जा रहा है और अपशिष्ट से मेगावाट के ऊर्जा सृजन के 412 संयंत्रों पर कार्य प्रगति पर है।
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