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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Fri ,30 Mar 2018 08:03:15 pm |
समाचार नाऊ ब्यूरो - बाल टेंपरिंग (गेंद से छेड़छाड़) के कारण ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट कलंकित हो चुका है। उसके कप्तान स्टीव स्मिथ और उप कप्तान डेविड वार्नर पर एक साल का प्रतिबंध लगा है लेकिन पूर्व भारतीय गेंदबाज बलविंदर सिंह संधू इस मामले में पाकिस्तान को सबसे ज्यादा कुख्यात मानते हैं।
संधू ने बातचीत में कहा कि गेंद से छेड़छाड़ को लेकर बहुत बातें हो रही हैं। सच कहूं तो मेरा इस पर कुछ ज्यादा कहने का मन नहीं है क्योंकि ये जेंटलमैन क्रिकेट का हिस्सा नहीं है। संधू ने 1982 में पाकिस्तान के खिलाफ उसी के घर में पहला वनडे और 1983 में पहला टेस्ट मैच मैच खेला।
दायें हाथ के इस भारतीय तेज गेंदबाज 1984 में पाकिस्तानी टीम के खिलाफ ही सियालकोट में अपना आखिरी अंतरराष्ट्रीय वनडे मुकाबला खेला। जब उनसे पूछा गया कि ऐसा क्या हुआ कि ऑस्ट्रेलियाई टीम गेंद से छेड़छाड़ करने को मजबूर हुई, तो उन्होंने कहा कि हर कीमत पर मैच जीतने की जिद इसकी वजह है। इसकी शुरुआत पाकिस्तान ने की थी
सब लोग कह रहे हैं कि गेंद से छेड़छाड़ में पहली बार किसी टीम के अधिकतर सदस्य शामिल थे लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। पाकिस्तानी टीम गेंद से छेड़छाड़ में
रिसर्च करने वाली यूनिवर्सिटी रही है। पाकिस्तानी कभी ईमानदारी से खेले ही नहीं। वे किसी चीज में ईमानदार नहीं है इसीलिए मैं कहता था कि कपिल देव, इमरान खान से बेहतर गेंदबाज थे क्योंकि उन्होंने कभी बेईमानी नहीं की। कपिल ने अपने जीवन की हर गेंद ईमानदारी से फेंकी। उन्होंने किसी बाहरी मदद से रिवर्स स्विंग नहीं कराई।
1983 विश्व कप विजेता भारतीय टीम के सदस्य संधू से जब पूछा गया कि क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया के कड़े कदम से क्या भविष्य में गेंद से छेड़छाड़ रुकेगी, तो उन्होंने जवाबी सवाल दागा कि क्या अब तक मैच फिक्सिंग रुकी? उन्होंने कहा कि इतने नियम बनने और क्रिकेटरों को सजा मिलने के बावजूद अभी भी मैच फिक्सिंग और स्पॉट फिक्सिंग के मामले सामने आते हैं। इसी तरह से गेंद से छेड़छाड़ के मामले हैं। यह एक तरह से पेशा बन गया है। अलग-अलग लोग अलग-अलग समय में इस पेशे को आगे बढ़ाते हैं।
जब उनसे पूछा गया कि आपके समय में कौन-कौन से गेंदबाज और टीमें गेंद से छेड़छाड़ करती थीं तो उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इसका मास्टर रहा है। वेस्टइंडीज के गेंदबाज कभी ऐसा नहीं करते थे। वे नेचुरल तरीके से विकेट लेते थे।
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