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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Mon ,22 Jan 2018 06:01:34 pm |
समाचार नाऊ ब्यूरो कोलकाता : माकपा केंद्रीय कमेटी की बैठक में रविवार को उस राजनीतिक मसौदा प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया जिसमें कहा गया है कि पार्टी कांग्रेस के साथ कोई राजनीतिक गठबंधन या समझौता नहीं करेगी. बैठक समाप्त होने के बाद माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी ने यह जानकारी दी.
कांग्रेस से तालमेल के सवाल पर माकपा केंद्रीय कमेटी की बैठक में पार्टी दो खेमों में बंटी नजर आयी और सहमति बनाने की तमाम कोशिशें नाकाम होने के बाद मतदान कराने का फैसला लिया गया.
कांग्रेस से गठबंधन नहीं करने के पक्ष में केंद्रीय कमेटी के 55 सदस्यों ने वोट दिया जबकि गठबंधन के पक्ष में 31 वोट मिले.
सूत्रों के मुताबिक, येचुरी सहित बंगाल के ज्यादातर नेता कांग्रेस से गठबंधन के पक्ष में थे, जबकि पार्टी के पूर्व महासचिव प्रकाश करात और केरल माकपा के नेता कांग्रेस से तालमेल का मुखर विरोध कर रहे थे. विश्लेषकों के मुताबिक, पार्टी की बंगाल लॉबी को झुकना पड़ा है.
येचुरी ने बताया कि केंद्रीय कमेटी में स्वीकृत राजनीतिक मसौदा प्रस्ताव को अप्रैल महीने में हैदराबाद में होने वाली पार्टी कांग्रेस में चर्चा के लिए भेजा जायेगा. इस पर अंतिम निर्णय पार्टी कांग्रेस की बैठक में लिया जायेगा.
भाजपा को रोकना प्रमुख लक्ष्य : येचुरी ने कहा है कि बैठक में देश की मौजूदा दशा पर चर्चा की गयी है. भाजपा, उसके संगठनों और उसकी नीतियों को रोकना प्रमुख लक्ष्य है. भाजपा नीत केंद्र सरकार की नोटबंदी और जीएसटी के फैसले के बाद लोगों पर आर्थिक दबाव काफी बढ़ गया है.
देश में विभाजन की राजनीति जारी है. कई मुद्दों को लेकर जैसे देशभर में ऐसी राजनीति करने वाले दलों की ओर से अपनी प्राइवेट आर्मी उतार दी गयी हैं. लोकतंत्र पर खतरा बना हुआ है. ऐसी स्थिति से निबटने के लिए उन्होंने ऑल सेक्यूलर डेमोक्रेटिक फोर्सेज का समर्थन किया है.
हालांकि माकपा अपनी पार्टी लाइन के अनुसार ही चलेगी. तमाम लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष समर्थक दलों को एकजुट करने का समर्थन करने पर कांग्रेस से गठबंधन क्यों नहीं किये जाने संबंधी सवाल पूछे जाने पर येचुरी ने कहा कि माकपा पोलित ब्यूरो के मसौदे के संशोधित रूप को केंद्रीय कमेटी ने अपनाया है और उसके अनुसार कांग्रेस से किसी भी प्रकार का राजनीतिक गठबंधन नहीं होगा.पश्चिम बंगाल मेें गत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ चुनावी तालमेल किये जाने से संबंधित प्रश्न पर येचुरी ने कहा कि चुनावी रणनीति, चुनावी रणनीति होती है. माकपा का राजनीतिक प्रस्ताव उसकी राजनीतिक लाइन पर आधारित होती है. पार्टी कांग्रेस के अंतिम निर्णय के बाद यह प्रस्ताव तीन वर्षों के लिए लागू होता है.
पार्टी कांग्रेस से दो महीने पहले मसौदा प्रस्ताव को पार्टी में सभी स्तर पर जारी किया जायेगा. यह फरवरी के मध्य में जारी किया जा सकता है. पार्टी की सभी इकाइयों और सदस्योें को मसौदा प्रस्ताव में संशोधन करनेे का अधिकार है. संशोधित मसौदा प्रस्ताव को पार्टी कांग्रेस में पेश किया जायेगा.
माकपा सूत्रों के अनुसार, पार्टी की बंगाल लॉबी धर्मनिरपेक्ष ताकतों की एकजुटता के मद्देनजर कांग्रेस का साथ चाहती है. बताया जा रहा है कि माकपा महासचिव भी बंगाल लॉबी की तरफ हैं. पार्टी केंद्रीय कमेटी की बैठक में इस मसले को लेकर हुए मतदान में बंगाल लॉबी कमजोर दिखी.
सूत्रों के अनुसार माकपा के पूर्व महासचिव प्रकाश करात माकपा और कांग्रेस में किसी भी गठबंधन के पक्ष में नहीं दिखे. जबकि सीताराम येचुरी धर्मनिरपेक्ष दलों का साथ चाहते हैं. माकपा केंद्रीय कमेटी के मतदान के नतीजे से वह संतुष्ट नहीं दिखे. सूत्रों के अनुसार पार्टी में धर्मनिरपेक्ष दलों के साथ समझौता नहीं होने की स्थिति में पार्टी के एक महत्वपूर्ण पद में बड़ा फेरबदल हो सकता है
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