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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Fri ,13 Oct 2017 07:10:24 pm |
समाचार नाऊ ब्यूरो - प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कल बिहार में चार जलमल निकासी परियोजनाओं और चार राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं का शिलान्यास करेंगे जिसकी लागत 3769 करोड रुपये आयेगी. जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, इसमें चार जलमल निकासी परियोजनाओं की लागत 738 करोड़ रुपये और चार राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की लागत 3031 करोड़ रुपये है. इन चार राष्ट्रीय राजमार्गों की लंबाई 195 किलोमीटर होगी. इन सभी परियोजनाओं का शिलान्यास कार्यक्रम मोकामा में होगा जहां प्रधानमंत्री के अलावा केंद्रीय मंत्री नितिन गड़करी भी मौजूद रहेंगे. चार जल निकासी परियोजनाओं में बेऊर में जलमल शोधन संयंत्र, बेऊर में ही जलमल नेटवर्क के साथ जलमल प्रणाली, करमालीचक में जलमल शोधन संयंत्र तथा सैदपुर में जलमल नेटवर्क निर्माण शामिल है.
इन परियोजनाओं से 120 एमएलडी नयी जलमल शोधन संयंत्र क्षमता सृजित होगी. इसके साथ ही बेऊर में वर्तमान 20 एमएलडी क्षमता का उन्नयन किया जा सकेगा. मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री जिन चार राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे उनमें एनएच 31 पर औंता, सिमरिया खंड को चार लेन बनाने का और गंगा सेतु पर छह लेन की सड़क के निर्माण का कार्य शामिल है. इस पर 1161 करोड़ रुपये की लागत आयेगी. इसके साथ ही एनएच 31 पर बख्तियारपुर,मोकामा खंड को चार लेन का बनाने के कार्य पर 837 करोड़ रुपये की लागत आयेगी जबकि एनएच 107 पर महेश्वर खूंट सहरसा पूर्णिया खंड पर दो लेन की सड़क के निर्माण पर 736 करोड़ रुपये की लागत आयेगी. एनएच 82 पर बिहारशरीफ बरबीघा मोकामा खंड पर दो लेन की सड़क के निर्माण पर 297 करोड़ रुपये की लागत आयेगी.
जल संसाधन मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, पटन में सात अन्य जलमल परियोजनाएं लागू किये जाने के विभिन्न चरणों में है जिसमें से दीघा और कंकड़बाग क्षेत्र में दो परियोजनाएं शामिल है. इन्हें हाइब्रिड एन्यूटी मॉडल के आधार पर सार्वजनिक निजी साझेदारी के तहत मंजूरी दी गई है. पटना की वर्तमान जनसंख्या 16,83,000 है और शहर में वर्तमान में 220 एमएलडी उत्पन्न होता है. साल 2035 तक इसके बढ़कर 320 एलएलडी होने की उम्मीद है. दीघा और कंकरबाग में कोई शोधन सुविधा उपलब्ध नहीं है. ऐसे में वर्तमान शोधन क्षमता के विस्तार और जलमल शोधन प्रणाली को ऐसे क्षेत्रों में आगे बढ़ाने की जरूरत है जहां यह सुविधा नहीं है.
मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, शहर की वर्तमान शोधन क्षमता, कचरे के पैदा होने की मात्रा और साल 2035 तक कचरा पैदा होने के अनुमान के आधार पर छह क्षेत्रों में विश्व बैंक के वित्त पोषण के तहत 11 परियोजनाओं को मंजूरी दी गयी है. इससे 350 एलएलडी जलमल शोधन क्षमता सृजित होगी जिससे 1140 किलोमीटर का नेटवर्क सृजित किया जा सकेगा. मंत्रालय के बयान के अनुसार, इन 11 परियोजनाओं के पूरा हो जाने पर पटना में शत प्रतिशत जलमल शोधन आधारभूत ढांचा बन जायेगा और कोई गंदा जल गंगा नदी में नहीं बहाया जा सकेगा.
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