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बच्चों की मौत पे स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने किया बैठक

By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Tue ,29 Aug 2017 07:08:31 pm |


समाचार नाऊ ब्यूरो  रांची: बैठक के दौरान  स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने पूछा कि एमजीएम अस्पताल में बच्चों की मौत कैसे हो रही है? अस्पताल के अधीक्षक क्या कर रहे हैं? ऐसा किसकी लापरवाही से हुआ है? ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए. नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन ने रिपोर्ट मांगी है. 

मंत्री ने कहा कि बच्चों की मौत गंभीर मामला है. इस मामले में किसी को बख्शा नहीं जायेगा. हालांकि, एमजीएम के अधीक्षक ने लापरवाही से इनकार किया. मंत्री ने कहा कि यदि लापरवाही नहीं है, तो कैसे मौत हुई? एक-एक बच्चों की मौत पर रिपोर्ट दी जाये. बैठक में विभाग के अपर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी, निदेशक प्रमुख डॉ सुमंत मिश्रा समेत  तीनों मेडिकल कॉलेज के निदेशक, अधीक्षक, सहित सभी जिलों के सिविल सर्जन सहित विभाग के कई अधिकारी शामिल हुए.

डॉक्टरों की लापरवाही व एंबुलेंस की कमी पर चर्चा : बैठक में प्रत्येक जिलों के स्वास्थ्य कार्यक्रमों की समीक्षा करने के साथ ही डॉक्टरों की लापरवाही, एंबुलेंस की कमी और एमजीएम अस्पताल में बच्चों की मौत पर गंभीरता से चर्चा की गयी. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कि एमजीएम में लगभग सभी बच्चे बेहद गंभीर हालत में रेफर करने के बाद दाखिल कराये गये थे. इसके बावजूद जांच के उपरांत अगर कोई गंभीर लापरवाही उजागर होती है, तो संबंधित अधिकारी पर सख्त कार्रवाई की जायेगी. उन्होंने तीन सदस्यीय कमेटी को गंभीरता से जांच करने का कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि मानवाधिकार आयोग को भी जवाब देना है, अत: रिपोर्ट बेहतर तरीके से बने.  

खराब प्रदर्शन वाले सीएस को फटकार लगायी : समीक्षा के दौरान औसत से खराब प्रदर्शन करने वाले सिविल सर्जन को फटकार लगायी गयी. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को अब अपना रवैया बदलना पड़ेगा. सिविल सर्जन सुधर जायें नहीं तो लापरवाही के कारण मरीजों की मौत पर अब सीधे कार्रवाई की जायेगी. 
 एमजीएम में बच्चों की मौत को लेकर कांग्रेसी नेता डॉ अजय कुमार ने थाने में आवेदन देकर इस घटना को आपराधिक मामला बताया है. एक माह में 64 बच्चों की अस्पताल में मौत पर जमशेदपुर के पूर्व सांसद व राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ अजय कुमार ने मामले को रहस्यमयी बताते हुए इसकी उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. थाने में दिये गये आवेदन को स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने राजनीति से प्रेरित बताया. उन्होंने कहा कि विपक्ष का काम है राजनीति करना, स्वास्थ्य विभाग इस मामले में गंभीर है और जल्द ही दोषियों पर कार्रवाई होगी. इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि मामले में निदेशक प्रमुख की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गयी है जो बच्चों की मौत के वास्तविक कारणों की पड़ताल करेगी. मंत्री से भी उन्होंने कहा कि  कहा कि यह एक संयोग मात्र है, अस्पताल में दाखिल कराए गये ज्यादातर बच्चे कमजोर थे और गंभीर अवस्था में अस्पताल के अंदर दाखिल कराये गये थे.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जमशेदपुर के एमजीएम में बच्चों की मौत के सिलसिले मेें मीडिया में छपी खबरों को गंभीरता से लिया है. आयोग ने इस मामले में राज्य सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस भेज कर छह सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है. आयोग द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि आयोग ने उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ के अस्पतालों के बाद जमशेदपुर के अस्पताल में 52 बच्चों की मौत के मामले को भी गंभीरता से लिया है. जमशेदपुर स्थित एमजीएम के अधीक्षक ने 30 दिनों के अंदर 52 बच्चों की मौत के लिए कुपोषण को जिम्मेवार ठहराया है. आयोग ने इस मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से यह कहा है कि वह ठोस दिशा निर्देश जारी करे, ताकि किसी तरह की लापरवाही से किसी अस्पताल में एेसी दुखद घटना नहीं हो. आयोग ने उत्तर प्रदेश के बीआरडी मेडिकल कॉलेज और छत्तीसगढ़ के आंबेडकर अस्पताल में हुए बच्चों की मौत पर भी संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी किया है. 

अस्पतालों में दवाओं की कमी को देखते हुए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. दवाओं की कमी दूर करने के लिए 48 तरह की दवाओं की खरीद सिविल सर्जन स्तर के बजाय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर करने के अधिकार देने की बात चल रही है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से इससे जुड़ा प्रस्ताव कैबिनेट में भेजा जा चुका है, वहां से मंजूरी मिलते ही इसे अमल में लाया जायेगा. 

शिशु के जीवन रक्षा के लिए 13 नये एसएनसीयू 

राज्य में शिशुओं के जीवन रक्षा के लिए सेमी न्यू बॉर्न यूनिट (एसएनसीयू) की संख्या बढ़ायी जा रही है. स्वास्थ्य विभाग राज्य के छह बड़े अस्पतालों में सेमी न्यू बॉर्न यूनिट के अलावा 13 अन्य अस्पतालों में इलाज की अत्याधुनिक सुविधा बहाल करने जा रही है. एमजीएम में प्रीमैच्योर न्यू बॉर्न केयर व पेडियाट्रिक विभाग को जल्द ही हैंडओवर लेकर वहां उपचार की सुविधा शुरू की जायेगी.   
 

राज्य में स्वास्थ्य मानकों के हिसाब से बेड संख्या व डॉक्टरों के पदों में इजाफा होगा. विभाग के अपर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि न्यायालय से कानूनी अड़चन दूर होने के बाद तीन महीने के भीतर राज्य को 325 नये एंबुलेंस प्राप्त हो जायेंगे. श्री त्रिपाठी ने कहा कि राज्य के सरकारी अस्पतालों पर क्षमता से अधिक लोड है, मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना जल्द लागू की जायेगी.

रांची: बैठक के दौरान  स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने पूछा कि एमजीएम अस्पताल में बच्चों की मौत कैसे हो रही है? अस्पताल के अधीक्षक क्या कर रहे हैं? ऐसा किसकी लापरवाही से हुआ है? ऐसे अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए. नेशनल ह्यूमन राइट कमीशन ने रिपोर्ट मांगी है. 

मंत्री ने कहा कि बच्चों की मौत गंभीर मामला है. इस मामले में किसी को बख्शा नहीं जायेगा. हालांकि, एमजीएम के अधीक्षक ने लापरवाही से इनकार किया. मंत्री ने कहा कि यदि लापरवाही नहीं है, तो कैसे मौत हुई? एक-एक बच्चों की मौत पर रिपोर्ट दी जाये. बैठक में विभाग के अपर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी, निदेशक प्रमुख डॉ सुमंत मिश्रा समेत  तीनों मेडिकल कॉलेज के निदेशक, अधीक्षक, सहित सभी जिलों के सिविल सर्जन सहित विभाग के कई अधिकारी शामिल हुए.

डॉक्टरों की लापरवाही व एंबुलेंस की कमी पर चर्चा : बैठक में प्रत्येक जिलों के स्वास्थ्य कार्यक्रमों की समीक्षा करने के साथ ही डॉक्टरों की लापरवाही, एंबुलेंस की कमी और एमजीएम अस्पताल में बच्चों की मौत पर गंभीरता से चर्चा की गयी. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि कि एमजीएम में लगभग सभी बच्चे बेहद गंभीर हालत में रेफर करने के बाद दाखिल कराये गये थे. इसके बावजूद जांच के उपरांत अगर कोई गंभीर लापरवाही उजागर होती है, तो संबंधित अधिकारी पर सख्त कार्रवाई की जायेगी. उन्होंने तीन सदस्यीय कमेटी को गंभीरता से जांच करने का कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. उन्होंने कहा कि मानवाधिकार आयोग को भी जवाब देना है, अत: रिपोर्ट बेहतर तरीके से बने.  

खराब प्रदर्शन वाले सीएस को फटकार लगायी : समीक्षा के दौरान औसत से खराब प्रदर्शन करने वाले सिविल सर्जन को फटकार लगायी गयी. स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में कार्य करने वाले लोगों को अब अपना रवैया बदलना पड़ेगा. सिविल सर्जन सुधर जायें नहीं तो लापरवाही के कारण मरीजों की मौत पर अब सीधे कार्रवाई की जायेगी. 

एमजीएम में बच्चों की मौत को लेकर कांग्रेसी नेता डॉ अजय कुमार ने थाने में आवेदन देकर इस घटना को आपराधिक मामला बताया है. एक माह में 64 बच्चों की अस्पताल में मौत पर जमशेदपुर के पूर्व सांसद व राष्ट्रीय प्रवक्ता डॉ अजय कुमार ने मामले को रहस्यमयी बताते हुए इसकी उच्चस्तरीय जांच की मांग की है. थाने में दिये गये आवेदन को स्वास्थ्य मंत्री रामचंद्र चंद्रवंशी ने राजनीति से प्रेरित बताया. उन्होंने कहा कि विपक्ष का काम है राजनीति करना, स्वास्थ्य विभाग इस मामले में गंभीर है और जल्द ही दोषियों पर कार्रवाई होगी. इस मामले में स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि मामले में निदेशक प्रमुख की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गयी है जो बच्चों की मौत के वास्तविक कारणों की पड़ताल करेगी. मंत्री से भी उन्होंने कहा कि  कहा कि यह एक संयोग मात्र है, अस्पताल में दाखिल कराए गये ज्यादातर बच्चे कमजोर थे और गंभीर अवस्था में अस्पताल के अंदर दाखिल कराये गये थे.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने जमशेदपुर के एमजीएम में बच्चों की मौत के सिलसिले मेें मीडिया में छपी खबरों को गंभीरता से लिया है. आयोग ने इस मामले में राज्य सरकार के मुख्य सचिव को नोटिस भेज कर छह सप्ताह में जवाब देने का निर्देश दिया है. आयोग द्वारा जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि आयोग ने उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ के अस्पतालों के बाद जमशेदपुर के अस्पताल में 52 बच्चों की मौत के मामले को भी गंभीरता से लिया है. जमशेदपुर स्थित एमजीएम के अधीक्षक ने 30 दिनों के अंदर 52 बच्चों की मौत के लिए कुपोषण को जिम्मेवार ठहराया है. आयोग ने इस मामले में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से यह कहा है कि वह ठोस दिशा निर्देश जारी करे, ताकि किसी तरह की लापरवाही से किसी अस्पताल में एेसी दुखद घटना नहीं हो. आयोग ने उत्तर प्रदेश के बीआरडी मेडिकल कॉलेज और छत्तीसगढ़ के आंबेडकर अस्पताल में हुए बच्चों की मौत पर भी संज्ञान लेते हुए नोटिस जारी किया है. 

अस्पतालों में दवाओं की कमी को देखते हुए सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. दवाओं की कमी दूर करने के लिए 48 तरह की दवाओं की खरीद सिविल सर्जन स्तर के बजाय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर पर करने के अधिकार देने की बात चल रही है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से इससे जुड़ा प्रस्ताव कैबिनेट में भेजा जा चुका है, वहां से मंजूरी मिलते ही इसे अमल में लाया जायेगा. 
 

राज्य में शिशुओं के जीवन रक्षा के लिए सेमी न्यू बॉर्न यूनिट (एसएनसीयू) की संख्या बढ़ायी जा रही है. स्वास्थ्य विभाग राज्य के छह बड़े अस्पतालों में सेमी न्यू बॉर्न यूनिट के अलावा 13 अन्य अस्पतालों में इलाज की अत्याधुनिक सुविधा बहाल करने जा रही है. एमजीएम में प्रीमैच्योर न्यू बॉर्न केयर व पेडियाट्रिक विभाग को जल्द ही हैंडओवर लेकर वहां उपचार की सुविधा शुरू की जायेगी.   
राज्य में स्वास्थ्य मानकों के हिसाब से बेड संख्या व डॉक्टरों के पदों में इजाफा होगा. विभाग के अपर मुख्य सचिव सुधीर त्रिपाठी ने कहा कि न्यायालय से कानूनी अड़चन दूर होने के बाद तीन महीने के भीतर राज्य को 325 नये एंबुलेंस प्राप्त हो जायेंगे. श्री त्रिपाठी ने कहा कि राज्य के सरकारी अस्पतालों पर क्षमता से अधिक लोड है, मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना जल्द लागू की जायेगी.



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