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शिक्षा मंत्री ने डोमचांच रेफरल अस्पताल का किया औचक निरीक्षण

By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Tue ,29 Aug 2017 06:08:26 pm |


डोमचांच: जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार को लेकर उठाये जा रहे प्रशासनिक कदम के बीच कुछ डाॅक्टरों के रवैये में सुधार नहीं हो रहा है. कुछ सरकारी डाॅक्टर तो सरकारी अस्पतालों में समय पर अपनी ड्यूटी देकर मरीजों का इलाज करते है, पर कुछ ऐसे भी है, जो ड्यूटी समय में सरकारी अस्पताल से अक्सर गायब रहते है. पिछले दिनों बासुकीनाथ दुमका में श्रावणी मेला ड्यूटी के दौरान अपने निजी अस्पताल में मौजूद मिले डाॅ अरुण कुमार एक बार फिर अपनी सरकारी ड्यूटी से गायब मिले है. 


इस बार खुद शिक्षा मंत्री डाॅ नीरा यादव ने निरीक्षण के दौरान डाॅक्टर को अनुपस्थित पाया, तो स्वास्थ्य महकमा के पदाधिकारियों को फटकार लगायी. यह मामला डोमचांच रेफरल अस्पताल का है. पूरे मामले को लेकर शिक्षा मंत्री की फटकार के बाद सीएस डाॅ बीपी चौरसिया ने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ पी मिश्रा से स्पष्टीकरण मांगा है. जानकारी के अनुसार शिक्षा मंत्री डॉ नीरा यादव ने रविवार की देर शाम करीब 6:30 बजे रेफरल अस्पताल डोमचांच का औचक निरीक्षण किया. इस दौरान एक महिला मरीज वहां जमीन पर लेटी मिली. बताया गया कि उन्हें बेड उपलब्ध नहीं कराया गया है. मंत्री ने यहां देखा की ड्यूटी डाॅक्टर अस्पताल से गायब है. 

मात्र एक एएनएम मौके पर मौजूद मिली. मंत्री ने मामले को गंभीरता से लेते हुए तुरंत सिविल सर्जन से बात कर फटकार लगाते हुए व्यवस्था में सुधार लाने का निर्देश दिया. इधर, डाॅक्टर की अनुपस्थिति को लेकर सीएस ने प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी से स्पष्टीकरण मांगा है. बताया जाता है कि मंत्री ने जिस समय अस्पताल से डाॅक्टर को गायब पाया, उस समय डाॅ अरुण कुमार की ड्यूटी रोस्टर के अनुसार थे और वे यहां मौजूद नहीं थे. इस संबंध में पूछे जाने पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डाॅ पी मिश्रा ने बताया कि मंत्री के निरीक्षण के दौरान डाॅ अरुण कुमार की ड्यूटी थी, उन्होंने कोई छुट्टी नहीं ली थी. मामले की जानकारी सीएस को दी जायेगी.

ज्ञात हो कि बीते दिन डाॅ अरुण कुमार द्वारा तिलैया में संचालित निजी अस्पताल गायत्री हॉस्पीटल में एक मरीज की डायलिसिस के दौरान मौत पर खासा हंगामा हुआ था. बाद में डाॅ अरुण ने परिजनों पर तोड़-फोड करने व जबरन 10 लाख रुपये का चेक लेने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया था. बाद में विभागीय जांच के दौरान खुलासा हुआ कि जिस आठ अगस्त को पूरा वाक्या हुआ था, उस दिन डाॅ अरुण की ड्यूटी श्रावणी मेला दुमका में थी.



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