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लैंगिक भेदभाव को जड़ से समाप्त करना आवश्यक : डी वी सदानंद गौड़ा

By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Thu ,24 Aug 2017 06:08:43 pm |


समाचार नाऊ ब्यूरो - केंद्रीय सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्री  डी वी सदानंद गौड़ा ने देश में लैंगिक भेदभाव के जड़ पर प्रहार करने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि समाज में व्यवहार परिवर्तन लाना आवश्यक है।  सदानंद गौड़ा आज नई दिल्ली में सतत विकास लक्ष्यों के लैंगिक संकेतकों के लिए डाटा एकत्रीकरण के बारे में दो दिन के राष्ट्रीय परामर्श सम्मेलन का उद्घाटन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यद्पि देश को अनेक सामाजिक बुराइयों से लड़ने में सफलता मिली है और कई क्षेत्रों मे महत्वपूर्ण प्रगति हुई हैं लेकिन देश के सभी कोने तक विकास का लाभ सुनिश्चित करने के लिए बहुत कुछ किया जाना शेष है। उन्होने कहा कि सरकार विकास के लाभ सभी वर्गों के लोगों, विशेष कर समाज से वंचित वर्गों की महिलाओं, तक सुनिश्चित करने की दिशा में कार्य कर रही है।

उन्होंने कहा कि भारत का जनसांख्यिकी लाभ अनूठा है क्योंकि कुल आबादी की तुलना में कामकाजी आबादी की वृद्धि दर अधिक है। जनसांख्यिकी लाभ का यह सिलसिला 2040 तक बने रहने की संभावना है। श्री गौड़ा ने कहा कि गरीबी कम करने में आर्थिक विकास के लाभों को पहुंचाने में उत्पादक रोजगार महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने रोजगार क्षेत्र में महिला श्रम शक्ति की भागीदारी में आ रही गिरावट पर चिंता व्यक्त की और कहा कि इस समस्या से निपटने के लिए नीति बनाने की आवश्यकता है।

लैंगिक समानता को बढ़ावा देने और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए सरकार के प्रयासों की चर्चा करते हुए सांख्यिकी और कार्यक्रम क्रियान्वयन मंत्री ने बेटी बचाव, बेटी पढ़ाओ, स्टैंड अप इंडिया, स्वच्छ भारत अभियान तथा स्वच्छ ईंधन प्रदान कर महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य की रक्षा करने वाली प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का जिक्र किया। उन्होंने शिक्षा के अधिकार अधिनियम, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम का भी जिक्र किया। समान पारिश्रमिक अधिनियम, 1976 में समान कार्य के लिए पुरुषों और महिलाओं को समान पारिश्रमिक देने का प्रावधान है। श्री गौड़ा ने कहा कि हाल में बनाया गया मॉडल शॉप और प्रतिष्ठान अधिनियम महिलाओं को रात में काम करने की अनुमति देता है। इस अधिनियम में रात्रि पाली में काम करने वाली महिलाओं की पर्याप्त सुरक्षा और कार्य संबंधी अन्य प्रावधान हैं।

संसद द्वारा पारित मातृत्व लाभ संशोधन विधेयक, 2016 की चर्चा करते हुए श्री गौड़ा ने कहा कि भुगतान वाला मातृत्व अवकाश 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दिया गया है।

दो दिन के परामर्श सम्मेलन से सतत विकास लक्ष्यों के लिए लैंगिक संकेतकों के लिए पाई जाने वाली खाई को पाटने के लिए विचार करने पर सभी हितधारकों को एक मंच प्राप्त होगा। विशेषज्ञों के साथ परामर्श करने से नई नीतियां बनेंगी और डाटा प्रणाली मजबूत होगी ताकि लैंगिक दृष्टिकोण से विकास के कदम उठाए जा सकें।

भारत के मुख्य सांख्यिकी अधिकारी और सांख्यिकी तथा क्रियान्वयन मंत्री डॉ. टी सीए अनंत ने कहा कि एसडीजी बहुत बड़ा लक्ष्य है और इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सरकार के नीति निर्माताओं, सांख्यिकी विशेषज्ञों और सिविल सोसाइटी के बीच निरंतर मूल्यांकन आवश्यक है। उन्होंने कहा कि नीति के संदर्भ में तथा प्रासांगिक डाटा के संबंध में निरंतर मूल्यांकन आवश्यक है। परामर्श सत्र को महिला और बाल विकास मंत्रालय के सचिव श्री राकेश श्रीवास्तव तथा महानिदेशक (सामाजिक सांख्यिकी), केंद्रीय सांख्यिकी अधिकारी, सहायक सचिव - संयुक्त राष्ट्र महासभा डॉ. देवेन्द्र वर्मा तथा संयुक्त राष्ट्र की उप कार्यकारी निदेशक सुश्री लक्ष्मीपुरी ने भी संबोधित किया



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