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हॉकी की 'युवा ब्रिगेड' के लिये 'टानिक' की तरह रहा यूरोप दौरा

By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Fri ,18 Aug 2017 08:08:57 pm |


समाचार नाऊ ब्यूरो : पिछले साल जूनियर विश्व कप जीतकर अपने तेवर जाहिर करने वाली भारतीय हॉकी की युवा ब्रिगेड का सीनियर स्तर पर पदार्पण सपने जैसा रहा और यूरोप दौरे पर दिग्गजों को हराने के बाद अब वे किसी भी टीम का सामना करने के लिये तैयार हैं. यूरोप दौरे पर भारतीय टीम में छह खिलाड़ी सीनियर स्तर पर पहला टूर्नामेंट खेल रहे थे. भारत ने पहले दो मैचों में बेल्जियम से मिली हार के बाद दुनिया की चौथे नंबर की टीम नीदरलैंड को लगातार दो मैचों में हराया और आखिरी मैच में आस्ट्रिया को मात दी. 

इस दौरे पर नियमित फारवर्ड एस वी सुनील, आकाशदीप सिंह और अनुभवी मिडफील्डर सरदार सिंह के अलावा गोलकीपर कप्तान पी आर श्रीजेश भी टीम में नहीं थे. ऐसे में फारवर्ड गुरजंत सिंह, अरमान कुरैशी, मिडफील्डर नीलकांता शर्मा, डिफेंडर वरुण कुमार और दिप्सन टिर्की, गोलकीपर सूरज करकेरा के पास अपनी उपयोगिता साबित करने का सुनहरा मौका था और वे इस पर खरे भी उतरे. इनमें से सूरज को छोड़कर सभी खिलाड़ी लखनऊ में 2016 जूनियर विश्व कप विजेता टीम में शामिल थे.

सभी खिलाडि़यों ने इस दौरे को यादगार बताते हुए कहा कि सीनियर स्तर पर खेलने का दबाव झेलने में यह मील का पत्थर साबित होगा. अरमान ने कहा, 'हम सभी जूनियर स्तर पर साथ खेले हैं लिहाजा आपसी तालमेल बहुत अच्छा था. सीनियर स्तर पर मानसिक और तकनीकी तौर पर अधिक दृढ होने की जरुरत थी और इस दौरे पर मिली जीत ने हमें वह आत्मविश्वास दिया.' बेल्जियम के खिलाफ पहले मैच में गोल करने वाले अरमान ने कहा, 'हम भले ही बेल्जियम से हार गये लेकिन हमारा प्रदर्शन खराब नहीं था. मैच दर मैच उसमें सुधार आया और पहले दो मैचों की हार ने उस नीदरलैंड के खिलाफ जीतने की प्रेरणा दी जिसमें सारे अनुभवी खिलाड़ी थे.' 

वरुण ने कहा कि नीदरलैंड पर मिली जीत को खिलाड़ी ताउम्र नहीं भुला सकेंगे. उन्होंने कहा, 'हमारी टीम में ज्यादातर युवा खिलाड़ी थे जबकि नीदरलैंड दुनिया की चौथे नंबर की टीम है. किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि हम लगातार दो मैचों में उसे हरायेंगे.यह जीत हमारे लिये टानिक की तरह रही और इसका असर लंबे समय तक रहेगा.' पुर्तगाल और रीयाल मैड्रिड के स्टार फुटबालर क्रिस्टियानो रोनाल्डो को अपना आदर्श मानने वाले मुंबई के गोलकीपर सूरज करकेरा ने कहा कि इस दौरे ने उन्हें दबाव को झेलना सिखाया. 

दस साल से हॉकी खेल रहे इस गोलकीपर ने कहा, 'बड़ी टीमों के खिलाफ कैसे खेलना है और दबाव को कैसे झेलना है, यह इस दौरे की सीख रही. हमारे कैरियर में यह दौरा काफी अहम साबित होगा.' भारतीय हॉकी की दीवार रहे महान डिफेंडर दिलीप टिर्की के शहर सुंदरगढ से आये दिप्सन 2013 से जूनियर टीम का हिस्सा हैं और उन्होंने स्वीकार किया कि सीनियर स्तर पर उस प्रदर्शन को दोहराने के लिये अभी और परिपक्व होना पड़ेगा.

उन्होंने कहा, 'जूनियर और सीनियर स्तर पर खेलने में बहुत फर्क है जो हमने इस दौरे पर महसूस किया. हमारा प्रदर्शन अच्छा रहा लेकिन अभी और परिपक्व होना पड़ेगा. छोटी-छोटी गलतियों पर काबू पाना सीखना होगा.' यह पूछने पर कि क्या वह भारतीय हॉकी में दिलीप की विरासत संभालने के लिये तैयार हैं, उन्होंने कहा, 'उसके लिये तो अभी लंबा सफर तय करना है. कोशिश कर रहे हैं और उम्मीद है कि कामयाबी जरुर मिलेगी.' मणिपुर के रहने वाले नीलकांता शर्मा ने कहा कि जूनियर टीम से आये खिलाडि़यों में खुद को साबित करने की जो ललक थी, वही सफलता की कुंजी बनी. 

उन्होंने कहा, 'सभी जूनियर खिलाडि़यों का लक्ष्य एक दिन सीनियर स्तर पर खेलना होता है और हम भी यह ठान कर आये थे कि अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना है. यह अच्छा है कि इससे भारतीय हॉकी का पूल बढ़ेगा और अगले साल राष्ट्रमंडल खेल, एशियाई खेल, विश्व कप जैसे बड़े टूर्नामेंटों में हमें खेलने का मौका मिल सकता है.' उन्होंने इस प्रदर्शन का श्रेय जूनियर विश्व कप विजेता टीम के कोच रहे हरेंद्र सिंह को भी दिया. उन्होंने कहा, 'हरेंद्र सर ने हमें बेसिक्स पर मेहनत करना सिखाया था और हमने वही किया. निश्चित तौर पर हमारी कामयाबी का श्रेय उन्हें भी जाता है.' 



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