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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Thu ,13 Jul 2017 06:07:27 pm |
समाचार नाऊ ब्यूरो - नीतीश कुमार को कांग्रेस का अध्यक्ष बना दिया जाना चाहिए. कांग्रेस और उनका साथ जन्नत में बनी जोड़ी की तरह होगा. कांग्रेस बगैर नेता वाली पार्टी है और नीतीश बगैर पार्टी वाले नेता. यह कहना है जानेमाने इतिहासकार और जीवनी लेखक रामचंद्र गुहा का. उन्होंने अपनी किताब ‘इंडिया आफ्टर गांधी’ की 10वीं वर्षगांठ पर इसके पुनरीक्षित संस्करण के विमोचन अवसर पर मंगलवार को यह बात कही.
गुहा ने कहा कि लगातार पतन की ओर जा रही कांग्रेस पार्टी को नेतृत्व में बदलाव से ही उबारा जा सकता है. उन्होंने सुझाव दिया है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाना चाहिए. इस सुझाव को अपनी ‘‘फंतासी’’ करार देते हुए गुहा ने कहा कि यदि जदयू अध्यक्ष नीतीश ‘‘दोस्ताना तरीके से’’ कांग्रेस पार्टी का कार्यभार संभालते हैं तो यह ‘‘जन्नत में बनी जोड़ी’’ की तरह होगी. उन्होंने कहा कि ‘‘ऐसा इसलिए कह रहा हूं क्योंकि कांग्रेस बगैर नेता वाली पार्टी है और नीतीश बगैर पार्टी वाले नेता हैं.’’ उन्होंने कहा कि नीतीश एक ‘‘वाजिब’’ नेता हैं.
प्रख्तात इतिहासकार ने कहा कि ‘‘मोदी की तरह, उन पर परिवार का कोई बोझ नहीं है. लेकिन मोदी की तरह वह आत्म-मुग्ध नहीं हैं. वह सांप्रदायिक नहीं हैं और लैंगिक मुद्दों पर ध्यान देते हैं, ये बातें भारतीय नेताओं में विरले ही देखी जाती हैं. नीतीश में कुछ चीजें हैं जो अपील करती थीं.’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष जब तक नीतीश को यह पद नहीं सौंपतीं, तब तक ‘‘भारतीय राजनीति में उनका या सोनिया गांधी का कोई भविष्य नहीं है.’’ स्तंभकार-लेखक गुहा ने कहा कि 131 साल पुरानी कांग्रेस अब कोई बड़ी राजनीतिक ताकत नहीं बन सकती और लोकसभा में अपनी मौजूदा 44 सीटों को भविष्य में बढ़ाकर ज्यादा से ज्यादा 100 कर सकती है.
वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव का हवाला देते हुए गुहा ने कहा, ‘‘अब यदि कल उनका कोई नया नेता या नेतृत्व बन जाता है तो चीजें बदल सकती हैं. राजनीति में दो साल लंबा वक्त होता है.’’ उन्होंने कहा कि कांग्रेस का पतन भी चिंताजनक है, क्योंकि एक पार्टी वाली प्रणाली लोकतंत्र के लिए अच्छी चीज नहीं है.
वामपंथ और दक्षिणपंथ दोनों के आलोचक माने जाने वाले गुहा ने कहा, ‘‘एक ही पार्टी के शासन ने तो जवाहरलाल नेहरू जैसे बड़े लोकतंत्रवादी नेता को भी अहंकारी बना दिया था. इसने पहले से ही निरंकुश रही इंदिरा गांधी को और निरंकुश बना दिया. ऐसे में नरेंद्र मोदी और अमित शाह को यह चीज कैसा बना देगी, इसके बारे में मैंने सोचना शुरू कर दिया है.’’ गुहा ने कहा कि भारत पश्चिमी लोकतंत्रों के दो पार्टी के स्थायी मॉडल को अपनाने में नाकाम रहा है. उन्होंने कहा कि राज्यों में दो पार्टी की प्रतिद्वंद्विता को कमजोर नहीं किया जाना चाहिए.
रामचंद्र गुहा ने कहा, ‘‘पिछले 70 साल में भारत के जिन तीन राज्यों ने आर्थिक एवं सामाजिक सूचकांकों के मुताबिक अच्छा प्रदर्शन किया है, उनमें तमिलनाडु, केरल और हिमाचल प्रदेश शामिल हैं...और इन सभी में तुलनात्मक तौर पर दो पार्टी वाली स्थायी प्रणाली है.’’ गुहा ने पश्चिम बंगाल (वाम मोर्चा) और गुजरात (भाजपा) का उदाहरण देते हुए कहा कि जिन राज्यों में लंबे समय तक एक ही पार्टी की सरकार रही, वह ‘‘विनाशकारी’’ साबित हुआ.
गुहा ने कहा, ‘‘जिन राज्यों में स्थायी तौर पर दो पार्टी वाली प्रणाली होती है, वे बेहतरीन प्रदर्शन करते हैं, क्योंकि केरल में कांग्रेस वामपंथियों पर लगाम रखती है जबकि हिमाचल में भाजपा कांग्रेस पर लगाम रखती है
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