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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Wed ,14 Jun 2017 06:06:34 pm |
समाचार नाऊ ब्यूरो /नयी दिल्ली/दार्जिलिंगः केंद्र सरकार ने हिंसा प्रभावित दार्जिलिंग में स्थिति सामान्य करने में पश्चिम बंगाल सरकार की मदद के लिए अर्द्धसैनिक बलों के 600 जवानों को भेजा है, जहां जीजेएम द्वारा आहूत अनिश्चतकालीन बंद के दूसरे दिन पथराव की घटनाएं सामने आयी हैं. केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से इस पर्वतीय जिले में मौजूदा हालात पर विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा कि दार्जीलिंग भेजे गये जवानों में 200 महिलाएं भी शामिल हैं. पश्चिम बंगाल में पहले से ही मौजूद करीब 400 जवानों को भी अतिरिक्त बलों के साथ पहाड़ी क्षेत्र में तैनात किया गया है.
गृह मंत्रालय ने कहा कि वह दार्जिलिंग के हालात पर करीब से नजर रख रहा है और राज्य सरकार को यहां स्थिति सामान्य करने के लिए हरसंभव सहायता देने को तैयार है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता में राज्य सचिवालय में संवाददाताओं से कहा कि पर्वतीय जिले में स्थिति शांतिपूर्ण है. हालांकि, उन्होंने कहा कि केंद्र ने दार्जिलिंग के हालात पर राज्य सरकार से कोई रिपोर्ट नहीं मांगी है. दार्जिलिंग में अनिश्चितकालीन बंद के दूसरे दिन गोरखालैंड समर्थकों को कई सरकारी कार्यालयों में बंद आहूत किये जाने से रोका गया. इसके बाद उन्होंने कई इलाकों में पुलिस पर पथराव किया.
सरकार और गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन जीटीए के कार्यालयों के सामने तथा हिल्स के कई प्रवेश और बाहरी मार्गों पर पुलिस ने बैरिकेड लगा दिये हैं, जबकि त्वरित कार्रवाई बल (आरएएफ) और बड़ी संख्या में महिला पुलिसकर्मियों को भी तैनात किया गया है. पथराव होने पर दुकानदारों ने दुकानों के शटर गिरा दिये. बहरहाल, जीजेएम नेतृत्व ने पुलिस पर जीजेएम रैली पर बिना उकसावे के लाठीचार्ज करने का आरोप लगाया.
जीजेएम महासचिव रोशन गिरी ने बताया कि पुलिस ने शांतिपूर्ण रैली पर बिना उकसावे के लाठीचार्ज किया. जितना अधिक वे हमारे खिलाफ बल का इस्तेमाल करेंगे, अलग गोरखालैंड राज्य के लिए संघर्ष उतना तेज होगा. सरकारी कार्यालयों में अनुपस्थिति सामान्य रही। हालांकि दार्जिलिंग हिल्स में 12 जून से शुरु सरकारी और जीटीए कार्यालयों में जीजेएम के अनिश्चितकालीन बंद के दौरान कुछ छिटपुट घटनाएं भी दर्ज की गयीं. इस बीच, जीजेएम प्रमुख बिमल गुरुंग ने कहा कि वह लगातार केंद्र के संपर्क में हैं और उन्हें उम्मीद है कि सहयोगी भाजपा सहानुभूतिपूर्वक अलग गोरखालैंड की उसकी मांग पर विचार करेगी.
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