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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Fri ,09 Jun 2017 09:06:05 am |
समाचार नाऊ ब्यूरो लखनऊ : सहारनपुर हिंसा के मुख्य आरोपित एवं भीम आर्मी के संस्थापक चंद्रशेखर को गुरुवार को हिमाचल प्रदेश से गिरफ्तार कर लिया गया. मेरठ जोन के अपर पुलिस महानिदेशक आनंद कुमार ने बताया कि तीस वर्षीय चंद्रशेखर को हिमाचल के डलहौजी क्षेत्र से गिरफ्तार किया गया. उसे ट्रांजिट रिमांड पर सहारनपुर लाया जायेगा. अपने नेता की गिरफ्तारी के बाद भीम आर्मी सोशल मीडिया पर सक्रिय हो गयी, जिसके बाद सहारनपुर में सभी इंटरनेट सेवाएं दो दिन के लिए बंद कर दी गयीं.
पुलिस महानिरीक्षक (अपराध) हरिराम शर्मा ने कहा, ‘‘सहारनपुर के जिलाधिकारी ने दो दिन के लिए सभी इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं.' उन्होंने बताया कि सहारनपुर में पिछले महीने जातीय हिंसा के बाद से अब तक 46 प्राथमिकी दर्ज हो चुकी हैं. अब तक 206 गिरफ्तारियां हो चुकी हैं, जिनमें चंद्रशेखर शामिल है.
इससे पहले भीम आर्मी के दो सदस्यों को नौ मई की रामनगर जातीय हिंसा में कथित तौर पर शामिल होने के लिए सहारनपुर में पकड़ा गया था. पांच मई को जिले के शब्बीरपुर गांव में हुई हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गयी थी, जबकि कई अन्य घायल हो गये थे. संघर्ष दलितों और ठाकुरों के बीच हुआ था.
नौ मई को फिर भड़की हिंसा में करीब दर्जन भर पुलिस वाहन फूंक डाले गये और 12 पुलिसकर्मी घायल हो गये. चंद्रशेखर तभी से फरार चल रहा था. उसे पकड़वाने वाले को 12 हजार रुपये ईनाम देने का एलान किया गया था. उत्तर प्रदेश पुलिस ने हाल में विशेष जांच टीम (एसआईटी) का गठन किया था. चालीस मामलों की जांच के लिए दस निरीक्षक एसआईटी में शामिल किये गये. ये मामले पांच मई से 23 मई के बीच दर्ज हुए थे.
नयी दिल्ली के जंतर-मंतर पर सहारनपुर में दलितों पर हुई हिंसा के खिलाफ प्रदर्शन करने के बाद से चंद्रशेखर सुर्खियों में आया. उसने कहा था कि यदि 37 निर्दोष दलित जमानत पर रिहा किये जाएं, तो वह आत्मसमर्पण कर देगा. चंद्रशेखर ने कहा था, ‘‘मैं मानता हूं कि उत्तर प्रदेश सरकार दलितों के मुद्दों का हल करने में विफल रही. पिछले ढाई महीनों के दौरान पिछले एक साल की तुलना में दलित उत्पीड़न के अधिक मामले हुए.'
चंद्रशेखर ने कहा, ‘‘सहारनपुर हिंसा के असल दोषियों को पकड़ने की बजाय पुलिस ने निर्दोषों को गिरफ्तार किया और उन्हें जेल भेजा. इससे दलितों में गुस्सा बढ़ गया.' सहारनपुर में हिंसा का सिलसिला पांच मई से प्रारंभ हुआ था. एक व्यक्ति की मौत हो गयी, जबकि कई अन्य घायल हो गये थे. अंतर जातीय संघर्ष में लगभग 25 घरों को आग लगा दी गयी थी. इसके बाद से जिले में लगातार तनावपूर्ण स्थिति रही.
जिले में 23 मई को एक व्यक्ति की गोली मार कर हत्या कर दी गयी, जबकि दो अन्य घायल हो गये. इसके बाद सरकार ने जिले के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक एवं जिलाधिकारी को निलंबित कर दिया था. मंडलायुक्त और पुलिस उपमहानिरीक्षक के तबादले कर दिये गये. उत्तर प्रदेश में विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरा और लगातार हमले किये. भीम आर्मी के बढ़ते प्रभाव को कम करने के मकसद से बसपा नेता मायावती शब्बीरपुर गांव पहुंच गयीं और वहां अपने पार्टी कार्यकर्ताओं को एकत्र किया.
कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी भी जातीय हिंसा के शिकार लोगों से मिले. उन्हें जिले की सीमा पर ही पुलिस ने रोक दिया था. हिंसा प्रभावित क्षेत्र में राहुल को जाने की इजाजत नहीं दी गयी. केंद्र ने शांति कायम करने के प्रयासों में जिला प्रशासन की मदद के लिए 400 दंगा रोधी पुलिसकर्मी सहारनपुर भेजे.
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