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निर्भया गैंग रेप मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला चारो की फांसी की सजा बरकरार

By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Fri ,05 May 2017 06:05:56 pm |


नई दिल्ली: 16 दिसंबर, 2012 के गैंगरेप और हत्याकांड के चार दोषियों पर आज सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने दोषियों की सजा-ए-मौत के फैसले को बरकरार रखा है। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति आर भानुमति और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने चारों अपराधियों मुकेश, पवन, विनय और अक्षय की दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ अपील ठुकराते हुए फांसी की सजा को बरकरार रखा।

कोर्ट ने निर्भया के साथ हुई बर्बर घटना का उल्लेख करते हुए कहा कि यह जघन्य अपराध था और इसे विरलों में विरलतम (रेयरेस्ट ऑफ दी रेयर) की श्रेणी में रखा जाना उचित है। तीनों न्यायाधीशों का फैसला सहमति वाला था लेकिन न्यायमूर्ति भानुमति ने इस मामले में अलग से अपना आदेश सुनाया। वकीलों और मीडियाकर्मियों से खचाखच भरे अदालत कक्ष में निर्भया के माता-पिता भी मौजूद थे। कोर्ट ने कहा निर्भया कांड सदमे की सुनामी था जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। उस घिनौने कांड के लिए देश में कोर्ट के फैसले से अलग संदेश जाएगा जो जरूरी भी है।

शीर्ष अदालत ने चारों दोषियों- मुकेश, पवन, विनय शर्मा और अक्षय कुमार सिंह की अपीलों पर 27 मार्च को अपना फैसला सुरक्षित रखा था। चारों ने 13 मार्च, 2014 को उच्च न्यायालय द्वारा दोषी ठहराए जाने और सुनाई गई मौत की सजा के खिलाफ अपील की थी। इन चारों के अलावा एक आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में ही आत्महत्या कर ली थी, जबकि एक अन्य नाबालिग आरोपी को बाल अपराध न्याय बोर्ड ने सुधार गृह भेज दिया था। उसने सुधार गृह में सजा के अपने तीन साल पूरे कर लिए हैं।

साल 2012 में 16 दिसंबर की रात को 23 वर्षीय पैरामेडिकल छात्रा के साथ दक्षिण दिल्ली में एक चलती बस में जघन्य तरीके से सामूहिक दुष्कर्म किया गया था और उसे उसके एक दोस्त के साथ निर्वस्त्र बस से बाहर फेंक दिया गया था। अगली सुबह इस कांड ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था। न्याय के लिए लोग सड़कों पर उतर आए थे। इस कांड को निर्भया नाम दिया गया। निर्भया की जिंदगी बचाने के लिए उसे सिंगापुर में एक अस्पताल में भर्ती करवाया गया लेकिन 29 दिसंबर को सिंगापुर के एक अस्पताल में वो जिंदगी की जंग हार गई लेकिन कोर्ट ने उसे न्याय दिया है। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने दोषियों के लिए मौत की सजा की मांग की थी, वहीं बचाव पक्ष के वकील ने कहा था कि गरीब पारिवारिक पृष्ठभूमि के होने और युवा होने की वजह से नरमी बरती जानी चाहिए



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