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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Sat ,15 Apr 2017 07:04:48 pm |
समाचार नाऊ ब्यूरो - बिशुनपुर (गुमला): सरेंडर कर चुके भाकपा माओवादी के हार्डकोर नक्सली नकुल यादव और मदन यादव की प्रताड़ना का एक और रूप सामने आया है. गुमला के बिशुनपुर प्रखंड स्थित बोरहा गांव की सरिता (नाम बदला हुआ) शुक्रवार को जब बिशुनपुर थाना पहुंची, तो उसे देख कर लोगों की आंखें भर आयी. गोद में डेढ़ माह का बच्चा लिये सरिता की आंखों में अपने भविष्य को लेकर कई सवाल थे. कभी बच्चे को देखती और फिर सिर उठा कर अपनी दास्तां बताती. सरिता ने बताया : करीब डेढ़ साल पहले की बात है, तब वह करीब 16 साल की थी.
गांव में नकुल यादव व मदन यादव अपने दस्ते के साथ गांव आये थे. इन नक्सलियों ने बैठक कर गांववालों से एक-एक बच्चा मांगा. इस बीच उनकी नजर मुझ पर पड़ी. इसके बाद नक्सली मुझे जबरन उठा कर ले गये. मां ने विरोध किया था, पर हथियार के सामने वह भी चुप हो गयी. कड़ी धूप व गरमी से बच्चे को बचाने की जद्दोजहद और उसके परवरिश की चिंता के बीच सरिता बताती है, उससे नक्सली अपना सामान ढुलाते थे.
संगठन छोड़ कर भाग न जाऊं, इस कारण नकुल यादव ने 29 साल बड़े 45 वर्ष के नक्सली अनिल से जबरन शादी करा दी. सरिता ने बताया, गर्भवती होने के बाद पांच माह पहले किसी प्रकार नकुल के दस्ते से भाग कर अपने घर पहुंची और छिप कर रहने लगी. उसके साथ अन्य पांच लड़कियां भी भागी थीं. लेकिन वे अभी कहां हैं, पता नहीं है. सरिता को उसके बच्चे के साथ पुलिस संरक्षण में रखा गया है. पुलिस उससे पूछताछ कर रही है. सरिता ने बताया, नकुल यादव और मदन यादव का दस्ता धीरे-धीरे टूटने लगा था. दस्ते के एक-एक सदस्य भाग रहे थे. करीब डेढ़ साल पहले उनके दस्ते में 60 से 70 लोग थे. पर पांच माह पहले तक उसके दस्ते में मात्र 30 से 35 सदस्य ही बच गये थे. सरिता ने बताया कि नकुल और मदन के दस्ते नाबालिग लड़कियों को जबरन उठाते थे. दस्ते के सदस्य इन लड़कियों के साथ दुष्कर्म करते थे.
2015 में मामला सुर्खियों में आया था : नक्सली बच्चों को उठाने और बाल दस्ता बनाने का काम पांच साल से कर रहे थे. पर 2015 के अप्रैल में मामला प्रकाश में तब आया, जब अभिभावकों ने प्रशासन को इसकी जानकारी दी. नक्सली शुरुआत में बिशुनपुर व पेशरार क्षेत्र से करीब 38 बच्चों को उठा कर ले गये थे. प्रभात खबर में इससे संबंधित खबर प्रकाशित होने के बाद हाइकोर्ट ने संज्ञान लिया था. इसके बाद पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज कर बच्चों को मुक्त कराना शुरू किया. पुलिस ने अब तक छह बच्चे मुक्त कराये हैं. 15 से 16 बच्चे खुद नक्सलियों के चंगुल से भाग कर वापस आये हैं.
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