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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Sat ,08 Apr 2017 08:04:27 pm |
समाचार नाऊ ब्यूरो - न्यायिक सेवा के क्षेत्र में अधिकतर उच्च पदों पर पुरूषों का ही बोलबाला रहा है लेकिन अब स्थिति बदल रही है। देश के चार महानगरों मुंबई, दिल्ली, कोलकाता और चेन्नै में स्थित देश के बड़े और सबसे पुराने हाईकोर्ट की प्रमुख महिला जज हैं। मद्रास हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस के तौर पर इंदिरा बनर्जी की नियुक्ति के साथ ही देश की महिलाओं के नाम यह इतिहास दर्ज हो गया।`
इन चारों हाई कोर्ट की स्थापना औपनिवेशिक सत्ता के दौरान हुई थी। मुख्य न्यायाधीश को मिलाकर मद्रास हाई कोर्ट में कुल 6 महिला जज हैं, जबकि 53 पुरुष जज हैं। उधर बॉम्बे हाई में देश के सभी उच्च न्यायालयों से ज्यादा महिलाएं है। यहां 61 पुरुष जज हैं, तो वहीं 11 जज महिलाएं हैं। मुख्य न्यायाधीश मंजुला चेल्लूर के बाद बॉम्बे हाई कोर्ट में नंबर दो की पोजिशन पर भी एक महिला जस्टिस वी एम ताहिलरामनी हैं।
अपने कई बड़े फैसलों को लेकर प्रख्यात दिल्ली हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस जी. रोहिणी इस पद पर अप्रैल 2014 से हैं। दिल्ली हाई कोर्ट में महिला जजों की संख्या 9 है, जबकि पुरुष जजों की संख्या 35 है। यहां भी नंबर दो की पोजिशन पर महिला जज जस्टिस गीता मित्तल हैं।
कलकत्ता हाई कोर्ट की कार्यकारी चीफ जस्टिस निशिता निर्मल इस पद पर 1 दिंसबर 2016 से हैं। लेकिन इस हाई कोर्ट में महिला और पुरुष जजों का अनुपात बेहद कम है। यहां सिर्फ 4 महिला जज हैं, जबकि पुरुष जजों की संख्या 35 है। देश के हालात की बात करें तो देशभर के 24 हाई कोर्ट के 632 जजों में सिर्फ 68 महिलाएं है। 28 जजों वाले सुप्रीम कोर्ट में भी सिर्फ एक महिला जज जस्टिस आर. भानुमति हैं।
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