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By समाचार नाऊ ब्यूरो | Publish Date: Sat ,08 Apr 2017 01:04:40 pm |
समाचार नाऊ ब्यूरो : पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नरेन्द्र मोदी से राजनीतिक मतभेद व कथित कड़वे रिश्तों के बावजूद राष्ट्रहित के मुद्दों पर कम से कम 3 बार केंद्र सरकार के फैसलों के साथ खड़े नजर आए। उनका यह कदम कांग्रेस पार्टी के कथित स्टैंड से भी आगे दिखा। केंद्र में भाजपा की सरकार बनने से पहले की बात हो या बाद की मनमोहन सिंह कभी भी मोदी की राजनीति के समर्थक नहीं हैं। पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान नरेन्द्र मोदी जिस तरह मनमोहन सिंह का सार्वजनिक मंचों से मजाक उड़ाते रहे हैं उससे दोनों नेताओं के व्यक्तिगत संबंधों में भी कड़वाहट घुल गई थी।
बावजूद इसके पिछले 3 साल की मोदी सरकार में मनमोहन सिंह राष्ट्रीय महत्व के फैसलों पर सरकार के साथ खड़े नजर आए। इस दौरान वह राजनीतिक रूप से मोदी के बयानों के कड़े आलोचक भी रहे। जब मोदी ने 2015 में अर्थव्यवस्था सुधार का दावा किया था तो मनमोहन सिंह ने उन्हें एक अच्छा इवैंट मैनेजर बताते हुए मजाक उड़ाया था। इस तरह जब नोटबंदी का फैसला अचानक मोदी ने लिया तो मनमोहन सिंह ने राज्यसभा में उनके इस फैसले को संगठित लूट तथा अर्थव्यवस्था के दृष्टिकोण से भारी चूक बताया था भाजपा सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण तथा देश की अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण गुड्स एण्ड सर्विस टैक्स (जी.एस.टी.) पर सभी विपक्षी दल भाजपा से भिड़े हुए थे। भाजपा सरकार को उस मौके पर मनमोहन सिंह से समर्थन मिला।
मनमोहन की पहल पर ही सोनिया गांधी तथा नरेन्द्र मोदी के बीच इस मुद्दे पर एक बैठक हुई। इस मौके पर सोनिया के साथ मनमोहन सिंह भी प्रधानमंत्री आवास गए थे। मनमोहन सिंह दूसरी बार उस समय मोदी सरकार के बचाव में आगे आए जब पार्लियामैंट कमेटी ने नोटबंदी के मुद्दे पर रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल को निशाने पर ले रखा था। उस समय मनमोहन सिंह ने पटेल को सार्वजनिक रूप से सलाह दी थी कि उन्हें पार्लियामैंट कमेटी के पत्र का जवाब नहीं देना चाहिए। हाल ही में जी.एस.टी. बिल को राज्यसभा से पास करवाने में भी मनमोहन सिंह की कोशिशें रंग लाईं तथा सरकार उच्च सदन में जी.एस.टी. से जुड़ा कानून बिना किसी खास अड़चन के पास कराने में सफल रही।
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